देश में पहली बार होगी हींग की खेती

By: Feb 9th, 2020 12:08 am

अगले साल तक मिलेगा किसानों को बीज, सीएसआईआर पालमपुर में चल रही बड़ी रिसर्च

क्या आपको पता है दुनिया में सबसे ज्यादा हींग की खपत भारत में होती है। जी हां, देश में सालाना 1145 टन हींग यूज होता है, जिसकी कीमत 70 मिलियन डालर है। यानी भारत में हींग का बड़ा रुतबा है, तो हींग के इसी रुतबे से जुड़ी है अपनी माटी में दिखाई जाने वाली इस बार की खास खबर, तो किसान भाइयों, देश में पहली बार हींग का उत्पादन होने जा रहा है। सीएसआईआर के हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान आईएचबीटी पालमपुर ने हींग पैदावार को लेकर पहल की है। आईएचबीटी ने हाई क्वालिटी हींग की पौध तैयार की है।   नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक के माध्यम से संस्थान  को हींग के बीज उपलब्ध हुए हैं। आईएचबीटी के निदेशक डा. संजय कुमार ने बताया कि अगले साल तक किसानों को हींग का बीज मिल जाएगा। देश में हींग लाहुल-स्पीति , जम्मू-कश्मीर के लद्दाख तथा शीत मरूस्थल के क्षेत्र की आर्थिकी को बदलने का सामर्थ्य रखता है। अपनी माटी के लिए सीनियर जर्नलिस्ट जयदीप रिहान ने संस्था के वैज्ञानिक डा. अशोक कुमार से भी बात की। उन्होंने कहा कि सब सही रहा, तो प्रदेश के किसान हींग उत्पादन में अच्छा काम कर सकते हैं।

रिपोर्ट : जयदीप रिहान, पालमपुर

 बेला वैली क्यों नहीं उगाती अदरक

अदरक से निर्मित एशिया प्रसिद्ध बेला वैली की सौंठ की चमक अब फीकी पड़ने लगी है। कई संकटों से गुजरने के बाद टनों में उत्पादन की जाने वाली सौंठ अब नाममात्र रह गई है। किसानों ने अदरक उत्पादन कम कर दिया है। किसी वक्त बेला वैली के किसानों की यह नकदी फसल होती थी, मगर आज किसानों ने अदरक उत्पादन से मुंह मोड़ दिया है। किसानों को अदरक सड़न से लेकर विक्रय मंडी का समाधान न मिलने पर किसानों के लिए घाटे का सौदा हो गया है। क्षेत्र के प्रगतिशील किसान गुलाब सिंह नौटियाल, कंवर सिंह शर्मा का कहना है कि महंगा बीज, सड़न रोग, समय पर पर्याप्त बारिश न होना, सौंठ बनाते समय आसमान का खराब मिजाज और विक्री मंडी न होने की वजह से किसानों को नुकसान हो रहा है। उनका कहना है कि यदि कभी अच्छी सौंठ बन भी गई, तो इसकी विक्रय मंडी दिल्ली और राजस्थान में है, जो आम किसानों के पहुंच से बाहर है। इन सारी दिक्कतों के चलते किसानों ने सोंठ का काम नाममात्र कर दिया है। इन दिनों सौंठ का बाजार भाव 400 से 500 रुपए किलो है, लेकिन मेहनत करने वाले किसानों को तो आधे पौने दाम नसीब होते हैं। दिल्ली आजादपुर मंडी में सौंठ के प्रसिद्ध आढ़ती बाबू राम, हरि चंद का कहना है कि सौंठ मसालों और हर्बल औषधियों में पड़ती है। कई किसान अपनी सौंठ यहां बेचते हैं, लेकिन हर कोई यहां नहीं पहुंच पाता है। बेला वैली की सोंठ एशिया में प्रसिद्ध है। इसमें हर्बल औषधीय गुण ज्यादा है, लेकिन हर वर्ष उत्पादन कम हो रहा है।

रिपोर्ट : उदय भारद्वाज- शिलाई

मोदी सरकार के बजट में किसानों ने खोजी खामियां, इन्कम डबल करने के दावे पर शक

 क्या दावे हैं इस बजट में

 साल 2022 तक किसानों की इन्कम दोगुनी करना

20 लाख किसानों को सोलर पंप से जोड़ने का लक्ष्य

15 लाख फार्मर्ज को ग्रिड पंपों से लाभ पहुंचाना

 देश  के  दूध उत्पादन को 2025 तक डबल करना

देश के 100 जिलों को पानी व्यवस्था से जोड़ना

केंद्र की मोदी सरकार ने हाल ही में आम बजट देश के सामने रखा। सरकार का दावा है कि इस बजट के प्रावधानों से साल 2022 तक देश में किसानों की आय डबल हो जाएगी। साथ ही किसानों को दर्जनों फायदे होंगे। इसी मसले को लेकर अपनी माटी टीम ने चुनिंदा किसानों की राय ली। कांगड़ा जिला के फतेहपुर आधुनिक खेती में नए-नए प्रयोग करने वाले अशोक सोमल ने सरकार के दावों पर कई सवाल खड़े किए। खेती और बागबानी का गहन ज्ञान रखने वाले सोमल ने कहा कि इस बजट में कई खामियां हैं। उन्होंने कहा कि यह बजट किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर रहा है। बजट को लेकर सिरमौर की दून वैली के किसान रघुवीर कपूर से बात की। वह भी बजट से निराश दिखे। हालांकि पांवटा साहिब के किसान अशोक कुमार का मानना है कि इस बजट से किसानों को लाभ होगा।

16 सूत्री योजना में क्या

बजट में किसानों पर फोक्स करते हुए किसानों को बजट में 16 सूत्रीय योजना बनाई ,इसमें प्रधानमंत्री कुसुम स्कीम के अंतर्गत 20लाख किसानों को सोलर पंप से जोड़ा जाएगा इसके अलावा 15 लाख किसानों  के ग्रिड पंपों को सोलर योजना से जोड़ा जाएगा ,किसान क्रेडिट योजना को 2021 तक बढ़ाया जाएगा। देश  के  दूध उत्पादन को 2025 तक दुगना करने का लक्ष्य रखा गया है।

– रिपोर्ट : सिरमौर

महाराष्ट्र का प्याज मार्केट में आते ही गिरे दाम, किसान फिर मायूस

कुछ दिनों पहले ही प्याज के बढ़े हुए दाम ग्राहकों को रुला रहे थे और अब इसकी लगातार गिरती कीमतों से किसानों को रोना पड़ रहा है। देश की सबसे बड़ी प्याज की होलसेल मार्केट लासलगांव में बड़े पैमाने पर फसल आने के चलते दामों में तेजी से गिरावट आई है। सोमवार को ही मार्केट में 18,000 क्विंटल प्याज एकमुश्त पहुंचने के चलते रेट 2,250 रुपए प्रति क्विंटल हो गया।  इसके चलते प्याज उत्पादक किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं और उन्होंने सरकार से गिरती कीमतों को थामने के लिए कोई कदम उठाने की मांग की है। प्याज उत्पादकों ने सरकार से स्टॉक की लिमिट खत्म करने और निर्यात पर लगे बैन को हटाने की मांग की है। बता दें कि सरकार ने सितंबर, 2019 से दिसंबर, 2019 के दौरान प्याज के दामों में तेज इजाफे को रोकने के लिए सरकार ने स्टॉक की लिमिट तय करने के साथ ही निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की खबर के अनुसार महाराष्ट्र के लासलगांव की प्याज मंडी में दिसंबर में ही 8,625 रुपए क्विंटल तक में प्याज की खरीद हुई थी, लेकिन अब जब नई फसल आई है, तो किसानों को उनकी उपज का महज 2,250 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से ही रेट मिल रहा है।

किसानों को सताने लगा है पीले रतुए का डर

मौसम की अठखेलियां किसानों को भारी पड़ने लगी है। किसानों को अब अपनी गेहूं की फसलों में पीले रतुए व तेला कीट फैलने की आशंका उभर आई है, जिससे उनके माथे पर चिंता की लकीर साफ नजर आ रही है। किसानों की मानें तो इस बार अत्यधिक बारिश के चलते और कोहरानुमा मौसम के रहने से जहां फसलों की ग्रोथ नहीं हो पा रही है और लगातार धूप न खिलने से गेहूं की फसल में पीला रतुआ व तेला कीट फैलने लगा है, वहीं गेहूं की पौध भी कमजोर पड़ने लग गई है, जो हल्की हवाओं से गिरने की कगार पर आ जाएगी। मंडी, कांगड़ा, ऊना और सोलन जिला में कई किसान पीले रतुए और तेले की शिकायत कर रहे हैं। हालांकि कृषि विभाग का कहना है कि अभी तक पीले रतुए रोग फैलने की सूचना तो नहीं है।                                            रिपोर्ट  :अपनी माटी टीम

मनरेगा में कामचोरी पर मिली महज 30 रुपए दिहाड़ी

मनरेगा योजना में काम करने वाले सुस्त कामगारों को 30 रुपए दिहाड़ी भी नसीब नहीं हो रही है। जिला कुल्लू में केंद्र सरकार की मनरेगा योजना के तहत रहे हजारों ऐसे कामगार हैं, जिन्हें मिल रही दिहाड़ी का अगर जिक्र करें, तो शर्म आ जाए। हालांकि कामगारों के अनुसार कई बार गलत तकनीकी आकलन का ठीकरा भी उनके सिर ही फूट रहा है। जिला ग्रामीण विकास प्राधिकरण से प्राप्त जानकारी के अनुसार कुल्लू जिला में पिछले 11 माह में 1093 ऐसे काम हुए हैं, जहां पर काम करने वाले कामगारों को 30 रुपए से कम की दिहाड़ी नसीब हुई है। ऐसे में कई उन कामगारों को न्यूनतम दिहाड़ी भी नहीं मिल रही है, जो काम पर जाने के बाद दिन भी सुस्ताते रहते हैं।

रिपोर्ट : हीरालाल ठाकुर, भुंतर

क्या आपने अभी भी नहीं की प्रूनिंग

अगले पांच दिनों में मौसम साफ व शुष्क रहने की संभावना है। दिन व रात के  तापमान में हल्की बढ़ोतरी होने के साथ हवा की गति दक्षिण-पूर्व  दिशा से चार से छह किमी प्रति घंटा चलने तथा औसतन सापेक्षित आर्द्रता 35- 85 प्रतिशत तक रहने की संभावना है। बागबानों को सलाह दी जाती है कि ट्रेंनिग प्रूनिंग कहीं बची है, तो जल्दी खत्म करें तथा घावों पर तुरंत ब्लॉक टॉकस या चौबाटिया पेस्ट अवश्य करें। इसी तरह मटर फसल में झांबे लगाएं तथा जीवाणु रोग की रोकथाम हेतू  स्टैंप्टोसाई क्लीन 10 ग्राम/100 लीटर पानी का छिड़काव करें। गोभी में आजकल तेले का आक्रमण भी हो जाता है। इसकी रोकथाम के लिए मैलाथियॉन 15 मिली/15 लीटर पानी का छिड़काव करें।

 रिपोर्ट : निजी संवाददाता-नौणी

धर्मशाला में जाइका और कृषि विभाग बताएंगे किसानों की भलाई का मंत्र

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर 10 फरवरी को एकदिवसीय दौरे पर धर्मशाला आ रहे हैं। मुख्यमंत्री धर्मशाला में ओशो आश्रम के पास स्थित होटल ट्रांस में 12 फरवरी तक किसानों की आय और खाद्य सुरक्षा विषय पर आयोजित हो रही अंतरराष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला में बतौर मुख्यातिथि हिस्सा लेंगे। तीन दिवसीय इस कार्यशाला में देश विदेश से करीब 125 विशेषज्ञ हिस्सा लेंगे। कार्यशाला का आयोजन हिमाचल प्रदेश फसल विविधिकरण प्रोत्साहन परियोजना जाइका एवं कृषि विभाग द्वारा किया जा रहा है। प्रोजेक्ट डायरेक्टर विनोद शर्मा ने बताया कि कार्यशाला की अध्यक्षता कृषि मंत्री डा. रामलाल मारकंडा करेंगे। वहीं जाइका की ओर से भारत में तैनात मुख्य प्रतिनिधि मात्सुओमोतो विशिष्ट अतिथि होंगे।  कार्यशाला में बतौर मुख्यातिथि हिस्सा लेने के बाद मुख्यमंत्री दोपहर बाद 2:40 बजे वापस शिमला लौट जाएंगे। 10 से 12 फरवरी तक तीन दिनों की इस कार्यशाला में दो दिन विभिन्न सेशन पर चर्चा होगी। वहीं कार्यशाला के आखिरी दिन विशेषज्ञ फील्ड में जाकर  फसलों और बागबानी के बारे में अपने सुझाव देंगे। उधर,मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपनी माटी को बताया कि हिमाचल सरकार किसानों की आय डबल करने और प्रदेश में खेती के जरिए और खुशहाली लाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग और जाइका के ऐसे प्रयासों से किसानों को लाभ मिलेगा।

रिपोर्ट : पूजा चोपड़ा

किसानों को मझा हुआ कारोबारी बना रही नौणी यूनिवर्सिटी

हिमाचली किसान-बागबानों की मेहनत का लोहा सारी दुनिया मानती है, लेकिन ऐसे सैकड़ों किसान भाई हैं,जिन्हें यह पता नहीं होता कि कब ,क्या फसल उगानी है और उसे बेचना कहां है। किसानों की इसी उधेड़बुन को खत्म करने का बड़ा प्रयास कर रही है नौणी यूनिवर्सिटी। नौणी यूनिवर्सिटी विशेष योजना के तहत समूचे प्रदेश के किसान-बागबानों को बुलाकर यह बता रही है कि किस समय कौन सी फसलें उगाना फायदेमंद साबित हो सकता है तथा फसलों को स्मार्ट तरीके से बेचना कहां है। यानी किसानों को का माइंडसेट व्यवसायी की तरह बनाने का प्रयास किया जा रहा है। खास बात यह कि इससे किसानों को भी काफी फायदा हो रहा है। लगातार सैकड़ों किसान इस योजना के तहत टिप्स पाने के लिए पहुंच रहे हैं। अपनी माटी टीम के लिए सोलन से हमारी संवाददाता मोहिनी सूद ने नौणी यूनिवर्सिटी में बिजनेस मैनेजमेंट के एचओडी डा केके रैणा से बात की। डा. रैणा ने कहा कि यह मुहिम किसानों के लिए मददगार साबित होगी।

रिपोर्ट :  मोहिनी सूद, नौणी (सोलन)

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