नवसाक्षर लेखन में ‘साहब नहीं पीते’

By: Feb 29th, 2020 12:01 am

सुंदरनगर – मंडी के सुंदरनगर में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास एनबीटी की चार दिवसीय नवसाक्षर लेखन के दूसरे दिन कार्यशाला में मौजूद दो लेखकों ने अपनी अपनी कहानियों का पाठ किया। इस अवसर पर संदर्भ व्यक्ति सुदर्शन वशिष्ठ ने कहा कि नवसाक्षर लेखन के लिए हमें उनकी मनस्थिति को समझते हुए लिखना पड़ेगा, ताकि वे समझ सके कि जीवन के प्रति उनकी जिम्मेदारी को वे किस तरह निभा पाने में सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि चार दिवसीय कार्यशाला में रचनाकारों ने बड़ी मेहनत से कहानियां तैयार की हैं और उनके पहले ड्राफ्ट पर चर्चा सत्र में बातें निकल कर आईं। इस अवसर पर न्यास संपादक डा. ललित किशोर मंडोरा ने कहा कि हमें नवसाक्षरों के लिए सरल भाषा का ही उपयोग करना पड़ेगा, जिनके लिए हम लिख रहे हैं। इस अवसर पर रचनाकारों ने अपनी कहानियों को सस्वर सुनाया। इसी महत्त्वपूर्ण सत्र में लेखकों ने उन कहानियों को मनोयोग से सुना और अपनी राय से साथी रचनाकार को परिचय कराया। इसमें विनोद भावुक ने कुत्ते, कृष्ण चंद्र महादेविया ने ‘और चेला भाग गया’, सूरत ठाकुर ने मास्टर दौलतराम, रूपेश्वरी शर्मा ने ‘उजियारा’, कमल प्यासा ने ‘धीरू कुंडेवाला’ व ‘साहब नहीं पीते’, आरके गुप्ता ने ‘अधूरा जीवन’, हरिप्रिया शर्मा ने ‘नहीं से हां तक’, विजय विशाल ने ‘बुधिया’, मुरारी शर्मा ने ‘किस्मत की तलाश’ और ‘भगवान गायब हैं’, शेर सिंह ने ‘रतन का सपना’, रोशन चौहान ने कर्तव्य व अन्य रचनाकारों ने अपनी कहानियों का पाठ किया। इस अवसर पर भाषा संस्कृति विभाग के सचिव डा. कर्म सिंह भी मौजूद थे।


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