मार्शल आर्ट में हैं अच्छे स्कोप
मार्शल आर्ट में करियर संबंधित विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने रणबीर ठाकुर से बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश…
रणबीर ठाकुर (कोच )
मार्शल आर्ट अकादमी, भुंतर
मार्शल आर्ट में युवाओं के लिए क्या स्कोप है?
युवाओं के लिए मार्शल आर्ट में करियर का अच्छा स्कोप है। सरकारी व गैर-सरकारी स्तर पर शैक्षणिक संस्थानों और खेल संस्थानों में प्रशिक्षक के तौर पर युवा कार्य कर सकते हैं। पिछले कुछ सालों से प्रदेश के प्रत्येक निजी व प्रतिष्ठित स्कूलों ने मार्शल आर्ट के खेल को अनिवार्य कर दिया है।
इस फील्ड में करियर बनाने के लिए शैक्षणिक योग्यता क्या है?
इस फील्ड में करियर बनाने के लिए शैक्षणिक योग्यता से ज्यादा खेल कुशलता ज्यादा देखी जाती है, लेकिन विद्यालयों में प्रशिक्षक के तौर पर कार्य करने के लिए दस जमा दो या स्नातक होना अनिवार्य है।
कौन-कौन से कोर्स इस क्षेत्र में किए जा सकते हैं?
मार्शल आर्ट की विभिन्न खेलों जैसे बॉक्सिंग, जुडो, कराटे, ताईक्वांडो, बुशू, किक-बाक्सिंग,कुश्ती, मिक्स मार्शल आर्ट के एक साल से छह साल तक के कोर्स करवाए जाते हैं। युवा अपनी दक्षता के अनुसार खेलों का चयन कर सकते हैं।
क्या लड़कियां भी मार्शल आर्ट में करियर बना सकती हैं?
लड़कियों ने मार्शल आर्ट में अपनी पहचान बनाई है। लड़कियां भी मार्शल आर्ट में करियर बना रही है और विभिन्न खेल संस्थानों, अकादमियों व शैक्षणिक संस्थानों में प्रशिक्षक के तौर पर कार्य कर रही है। हिमाचली लड़कियों के लिए यह बेहतर विकल्प है।
रोजगार के अवसर किन क्षेत्रों में उपलब्ध होते हैं?
मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण लेने के उपरांत युवाओं को शिक्षा विभाग, खेल विभाग के अलावा पुलिस व सेना में रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध होते हैं। सालों से निजी खेल संस्थानों और संस्थाओं में भी रोजगार के द्वार खुले हैं तो नौकरियों में भी कोटा उपलब्ध हो रहा है। युवा अपनी अकादमी या प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना भी कर सकते हैं।
कहीं जॉब मिलने पर आरंभिक आय कितनी होती है?
मार्शल आर्ट में नौकरी मिलने पर आरंभिक 10000 से 15000 रुपए मासिक आय अर्जित कर सकते हैं।
हिमाचल में मार्शल आर्ट सिखाने के लिए संस्थान हैं?
हिमाचल में मार्शल आर्ट सिखाने के लिए अलग संस्थान तो नहीं है, लेकिन साई होस्टल ऊना में जुडो व साई होस्टल बिलासपुर में बॉक्सिंग का प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। निजी खेल संस्थाओं व अकादमियों के जरिए मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण प्रदेश में दिया जा रहा है।
युवाओं के लिए इस क्षेत्र में क्या चुनौतियां हैं?
अधिकतर युवा इस मार्शल आर्ट में दक्ष होने के बाद निरंतर अभ्यास करना जारी नहीं रख पाते हैं। उनके लिए खेल को दूसरी बार अपनाना मुश्किल हो जाता है। इस का प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए पर्याप्त मात्रा में सरकारी संस्थान प्रदेश में नहीं है। इससे अपने खर्च पर युवाओं को उक्त क्षेत्र में आगे बढना पड़ता है। यह आर्थिक तौर पर कमजोर युवाओं के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। इसके अतिरिक्त कई मार्शल आर्ट खेल ऐसे भी हैं जिन्हे सरकारी मान्यता भी नहीं है और नौकरी में कोटा फिलहाल नहीं मिल रहा है।
हीरा लाल ठाकुर, भुंतर
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