आरोपी नाकाम, निर्भया को मिला इनसाफ

By: Mar 23rd, 2020 12:02 am

पंचकूला – निर्भया रेप केस मामले में निर्भया और उसकी मां को आरोपी के द्वारा लाखों कोशिश करने के बाद आखिरकार इनसाफ  मिल ही गया है। वहीं, इन दरिदों को फंदे से लटकाने वाले जल्लाद पवन ने पूरी कहानी बताई। उन्होंने बताया कि शुक्रवार तड़के 3ः30 बजे तिहाड़ जेल में एक पुलिसकर्मी ने मेरे कमरे का दरवाजा खटखटाया। उसने तैयार हो जाने का कहा। कुछ ही देर में बाहर से आवाजें आने लगीं। करीब 4ः30 बजे कई अफसर मेरे पास आए। हालचाल पूछा वही,ं डाक्टर ने मेरा चैकअप किया। उसके बाद मैं फांसीघर पहुंचा तो जेल के अधिकारी एक निश्चित दूरी पर खड़े थे। पहले दो दरिंदों को एक साथ लाया गया। उनके चेहरे कपड़े से ढके थे। दोनों को दो अलग-अलग तख्तों पर खड़ा किया गया। उनके हाथ बंधे थे। फांसी का समय हुआ तो एक अफसर ने मुझे इशारा किया। मैं फांसी देने चला, तो उनमें से एक गिड़गिड़ाने लगा, लेकिन मैंने अपना कर्म निभाया। दोनों को फांसी के फंदे पर लटका दिया। डाक्टरों के चैक करने के बाद उन्हें फंदे से उतारा गया। उसके बाद दो अन्य दरिंदों को भी फांसी पर लटकाया। निर्भया के साथ दरिंदगी करने वाले चारों दोषियों को फांसी पर लटकाने के बाद घर लौटे पवन जल्लाद ने ये बातें बताईं। पवन कांशीराम कालोनी स्थित अपने घर पहुंचे तो उनसे मिलने वालों का तांता लग गया। हर कोई उनसे जानने के लिए उत्सुक था कि उन्होंने दरिंदों को कैसे फांसी दी।

17 को तिहाड़ जेल पहुंचे थे पवन

पवन ने बताया कि 17 मार्च को मेरठ से दिल्ली की तिहाड़ जेल ले जाया गया। था। वहां जेल अधिकारियों ने फांसीघर दिखाया। रहने को अलग कमरा दिया। कहा कि किसी भी सामान की जरूरत पड़े तो कभी भी मांग लेना। 18 और 19 मार्च को वहां खामोशी सी छाई थी।

कभी नहीं भूलूंगा यह दिन

चारों दरिंदों को फांसी देने के बाद एक डाक्टर ने मेरा भी ब्लड प्रेशर चैक किया। पूछा कि कोई घबराहट तो नहीं है। मैंने कहा कि यह मेरे लिए बहादुरी का दिन है, जो एक साथ चार दरिंदों को फांसी देने का मौका मिला।

जान का खतरा नहीं मुझे

पवन ने कहा की मुझे कोई जान का खतरा नहीं है। मेरठ जेल प्रशासन ने दो माह पहले भी गनर दिया था। चार लोगों को फांसी देकर मैंने पिता व दादा का सपना भी पूरा किया है।

सुरक्षा में घर भेजा गया

शुक्रवार रात दिल्ली तिहाड़ जेल से जिला कारागार मेरठ सुरक्षा में लाया गया। मेरठ जेल के अधिकारियों ने हस्ताक्षर कराए। उसके बाद मेरठ जेल से रात में कांशीराम कालोनी स्थित घर छुड़वाया गया।


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