कोरोना पर अंकुश के लिए नमस्ते

By: Mar 27th, 2020 12:06 am

प्रो. एनके सिंह

अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार

यह महामारी चीनी शहर वुहान में उत्पन्न हुई जहां वायरस के प्रजनन की सबसे अधिक संभावना मांस बाजार में हो सकती है। इसका नाम चीनी फ्लू भी है। इस देश में अब तक लगभग एक लाख लोग इस महामारी से संक्रमित हो चुके हैं, हालांकि लगभग 10,000 ठीक भी हो गए हैं। हालांकि इसका इलाज करने के लिए कोई ज्ञात उपाय या दवा नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि दवा के विकास में दो साल लगेंगे। यह दुनिया भर में चिकित्सा आपातकाल है जिसके लिए संपूर्ण समन्वय की आवश्यकता है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय संपर्क अपरिहार्य हो गए हैं और लोगों तथा सामग्रियों की वैश्विक मूवमेंट होती रहती है। पूरी दुनिया में यह बीमारी तेजी से फैली है जिसमें कुल पीडि़तों की संख्या तीन लाख के आसपास है जबकि एक लाख को चीन और अन्य देशों में ठीक किया गया है…

भारत परीक्षण और पीड़ा के नाजुक चरण से गुजर रहा है। एक तरफ  यह आर्थिक मंदी का सामना कर रहा है, लेकिन बदतर अब यह है कि यह कोरोना जैसी महामारी के नाजुक चरण में प्रवेश कर गया है, जो राष्ट्र को तबाह करने की क्षमता रखती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना के खतरे के खिलाफ  युद्ध की घोषणा की है। किसी भी संक्रमण से मुक्त रखने के लिए एक-दूसरे को ‘नमस्ते’ की शुभकामना देने वाली हिंदू संस्कृति की पुरानी प्रणाली को फिर से कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने की तरकीब के रूप में सिफारिश की जा रही है। पीएम मोदी के इस अभिवादन का आह्वान देश में वायरस के प्रसार को रोकने की योजना का हिस्सा था। स्वच्छता और सफाई, बार-बार हाथ धोना और रसोई अथवा किसी पवित्र स्थान में प्रवेश करने से पहले जूते निकालना, इन सब बातों पर हमारी संस्कृति द्वारा जोर देने का मतलब है कि ये सभी संक्रमण दूर रखने के उपाय हैं। यह महामारी चीनी शहर वुहान में उत्पन्न हुई जहां वायरस के प्रजनन की सबसे अधिक संभावना मांस बाजार में हो सकती है। इसका नाम चीनी फ्लू भी है। इस देश में अब तक लगभग एक लाख लोग इस महामारी से संक्रमित हो चुके हैं, हालांकि लगभग 10,000 ठीक भी हो गए हैं। हालांकि इसका इलाज करने के लिए कोई ज्ञात उपाय या दवा नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि दवा के विकास में दो साल लगेंगे। यह दुनिया भर में चिकित्सा आपातकाल है जिसके लिए संपूर्ण समन्वय की आवश्यकता है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय संपर्क अपरिहार्य हो गए हैं और लोगों तथा सामग्रियों की वैश्विक मूवमेंट होती रहती है। पूरी दुनिया में यह बीमारी तेजी से फैली है जिसमें कुल पीडि़तों की संख्या तीन लाख के आसपास है जबकि एक लाख को चीन और अन्य देशों में ठीक किया गया है। चीन में कुल एक लाख से अधिक बीमार लोगों की संख्या है और इस आंकड़े का तीन गुना दुनिया में बीमारी का प्रसार है।

चीन के बाद इटली लगभग 50,000 पीडि़तों के साथ है और जर्मनी व ईरान का नंबर इसके बाद आता है। यह संख्या तेजी से बदल रही है क्योंकि कई ठीक हो रहे हैं तथा कइयों की रिपोर्ट नेगेटिव आ रही है। महामारी ने दुनिया भर में दहशत का माहौल बना दिया है क्योंकि इलाज की कोई निश्चित दवा नहीं है। कई देश इसे ठीक करने के लिए वैक्सीन या अन्य दवाओं पर काम कर रहे हैं, लेकिन अभी तक इसमें कोई सफलता नहीं मिली है और इसमें समय लग रहा है। इस महामारी के घातक प्रहार के कारण सभी नस्लों व जातियों के लोग एकजुट हुए हैं तथा मानव का अस्तित्व एक साझा चिंता बन चुकी है। इसने सावधानियों और एहतियात को शामिल करने और लागू करने के लिए संयुक्त प्रयास करने में दुनिया को एकजुट किया है। अधिकांश देशों ने अपनी सीमाओं को सील कर दिया है जैसा कि भारत ने भी किया है और अंतरराष्ट्रीय दुनिया में ‘वर्चुअल लॉकडाउन’ दिखाई दिया है। पीएम मोदी ने एहतियात को लागू करने के लिए स्वैच्छिक अपील के साथ प्रयोग किया है और एक प्रतीक के रूप में राष्ट्र से अपील की है जिसे ‘जनता कर्फ्यू’ कहा जाता है, जब कोई भी व्यक्ति 22 मार्च को सुबह 7 बजे से 9 बजे तक घर से बाहर नहीं निकला। बहुतों को संदेह हुआ क्योंकि भारतीय सत्यापित रूप से अनुशासित नहीं हैं तथा सरकार का रूप भी असुविधाजनक निर्णयों का पालन करने के लिए प्रेरित नहीं करता है। उदाहरण के लिए, सुप्रीम कोर्ट के दो वार्ताकारों को शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को मनाने के लिए भेजने सहित सभी अनुनय के बाद भी किसी ने जवाब नहीं दिया और विरोध जारी है। नाकाबंदी ने सैकड़ों लोगों द्वारा उपयोग की जाने वाली एक सार्वजनिक सड़क को बंद कर दिया है। यह बहुत आश्चर्य की बात थी कि जनता कर्फ्यू इतना सफल था कि पूरी ताकत के साथ सरकार द्वारा लागू किया गया कर्फ्यू भी यह सुनिश्चित करने में बेहतर नहीं हो सकता था कि कोई भी सामाजिक संपर्कों से बचने के लिए घर से बाहर न जाए।

कई शंकाशील लोगों ने दांव खो दिया। जनता कर्फ्यू ने यह भी दिखाया कि पीएम मोदी बेहद लोकप्रिय नेता हैं जो लोगों को उनकी अपील का पालन करने के लिए राजी कर सकते हैं, लेकिन आगे का कार्य कठिन है और जनता के व्यवहार में आज्ञापालन सुनिश्चित बनाने के लिए चिंता और भय आवश्यक तत्त्व हैं। नाकाबंदी या लॉकडाउन के लिए कहना आसान है, लेकिन सबसे बड़ी समस्या आर्थिक नीति होगी। ऐसे उद्योगों की मदद करनी होगी जो अर्थव्यवस्था में वृद्धि के लिए संभावित सेक्टर हैं। पर्यटन, होटल व्यवसाय, विमानन, प्रौद्योगिकी और अन्य आवश्यक क्षेत्रों को मजबूत करना होगा जो कि अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ कर सकते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों को तत्काल राहत दी जा रही है, लेकिन लंबे समय में नौकरी बाजार उत्पादकता और कारोबार में वृद्धि की मांग करता है। इस महामारी का एक दिन अंत जरूर होगा, लेकिन कोई भी विश्व परिवार, योग और नमस्ते की संस्कृति वाले अपने दर्शन के साथ तालमेल की भारत की वैश्विक चिंता को भूल नहीं सकता है।

ई-मेलः singhnk7@gmail.com


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