स्नोव्हाइट और सात बौने

By: Mar 14th, 2020 12:20 am

सभी बौनों ने एक स्वर में घोषणा की कि वह एक परी है। बौनों की आवाजें सुनकर स्नोव्हाइट की नींद टूटी। उसे सात छोटे-छोटे बौनों को देखकर घोर आश्चर्य हुआ। इतने छोटे गुड्डे से आदमी! कुछ भी हो, उनके चेहरों पर मित्रता के भाव थे। ‘तुम कौन हो परी? किस लोक से आई हो?’ बौनों ने बड़ी उत्सुकता से पूछा। ‘मैं परी नहीं हूं। मैं एक राजकुमारी हूं और मैं इसी धरती लोक की वासी हूं।’ स्नोव्हाइट ने उत्तर दिया। फिर उसने बौनों को अपनी सारी कहानी सुना डाली। उसकी आप-बीती ने बौनों के दिलों के तारों को छू लिया। उन्हें स्नोव्हाइट से गहरी सहानुभूति हो गई…

-गतांक से आगे…

वास्तव में वह घर सात बौनों का था, जो सुबह ही काम पर जाने के लिए निकल पड़ते थे और देर गए रात को लौटते थे। सारा दिन वे जंगल में काम करते रहते थे। उस रात जब सातों बौने लौटे और घर में घुसे तो चौंक गए। उन्होंने एक लड़की को फर्श पर सोते पाया। वह लड़की उनसे लगभग तिगुनी बड़ी थी। उन्होंने यह भी देखा कि उनका घर साफ-सुथरा लग रहा है और सारी चीजें सलीके से रखी हैं। सभी बौनों ने एक स्वर में घोषणा की कि वह एक परी है। बौनों की आवाजें सुनकर स्नोव्हाइट की नींद टूटी। उसे सात छोटे-छोटे बौनों को देखकर घोर आश्चर्य हुआ। इतने छोटे गुड्डे से आदमी! कुछ भी हो, उनके चेहरों पर मित्रता के भाव थे। ‘तुम कौन हो परी? किस लोक से आई हो?’ बौनों ने बड़ी उत्सुकता से पूछा। ‘मैं परी नहीं हूं। मैं एक राजकुमारी हूं और मैं इसी धरती लोक की वासी हूं।’ स्नोव्हाइट ने उत्तर दिया। फिर उसने बौनों को अपनी सारी कहानी सुना डाली। उसकी आप-बीती ने बौनों के दिलों के तारों को छू लिया। उन्हें स्नोव्हाइट से गहरी सहानुभूति हो गई। ‘जब तुम आईं तो हमारा घर बहुत गंदा लगा होगा। हमें ठीक से साफ-सफाई का समय ही नहीं मिलता। दिन भर काम करना पड़ता है न। हमारे घर की सफाई करने का जो कष्ट तुम्हें उठाना पड़ा, उसके लिए हम क्षमा चाहते हैं। और तुम्हारे हम बहुत आभारी भी हैं।’ एक बौना बोला। ‘मुझे कोई कष्ट नहीं हुआ।’ स्नोव्हाइट ने कहा। ‘हम नहीं चाहते कि तुम्हें ऐसे छोटे काम करने पड़ें, आखिर तुम एक राजकुमारी हो और अब से हम तुम्हें इस घर में राजकुमारी की भांति ही रखेंगे। हम निर्धन लोग हैं, इसलिए राजमहल जैसी सुख-सुविधा व ठाट-बाट जुटाना तो हमारे बस की बात नहीं है, लेकिन हां, हम तुम्हें पूरा राजसी आदर-सम्मान देंगे।’ दूसरा बौना बोला। ‘तुम्हारे प्रेम और आदर की भावना ने मुझे गदगद कर दिया। पर मुझे भी तो कुछ करना होगा। निठल्ली बैठी खाती-पीती मोटी नहीं हो जाऊंगी?’ स्नोव्हाइट ने मुस्कराकर कहा। ‘तुम्हें भूख नहीं लगी है?’ एक और बौने ने पूछा। ‘हां, हां लगी है।’ राजकुमारी बोली- ‘मुझे किचन दिखाओ। मैं सबके लिए खाना पकाऊंगी। आज आप लोग शाही भोजन खाएंगे।’ बौनों ने उसे किचन दिखा दिया। स्नोव्हाइट ने जो कुछ खाद्य सामग्री वहां पड़ी थी, उससे सबके लिए खाना पकाया। फिर उसने शाही सलीके से खाना टेबल पर सबके लिए सजाया व परोसा।  


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