कोरोना की लगाम कसते ‘भारतीय संस्कार’

By: Mar 17th, 2020 12:06 am

कंचन शर्मा

लेखिका, शिमला से हैं

यह जानना बहुत आवश्यक है कि यह वायरस कहीं भी मौजूद हो सकता है। जहां हाथ लगने पर यह हमसे चिपक सकता है और फिर हाथों के जरिए मुंह, आंखों के रास्ते शरीर में प्रवेश पा सकता है। इसलिए अत्यावश्यक है कि बार-बार अपने हाथों को धोया जाए और अपने हाथों को मुंह व आंखों से छूने से रोका जाए। यही नहीं स्वयं खांसते, छींकते वक्त टिश्यू पेपर नाक-मुंह पर रखें और उसका दोबारा इस्तेमाल न करें। नौकरी पेशा लोग सेनेटाइजर अपने साथ रखें…

2009 में स्वाइन फ्लू की महामारी के बाद दिसंबर 2019 में चीन से कोरोना वायरस के संक्रमण की शुरुआत से अब तक मार्च 2020 में लगभग पूरे विश्व को कोरोना वायरस ने अपनी चपेट में ले लिया है। उस पर ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ द्वारा कोरोना वायरस को वैश्विक महामारी घोषित करने के बाद सोचने के लिए कुछ नहीं रह जाता कि भारत कोरोना वायरस के खतरे की घंटी न सुन पाए क्योंकि भले ही हम खतरे से दूर हों मगर विदेशी व भारतीय यात्रियों के आवागमन के चलते कोरोना का प्रवेश रोकना मुश्किल था लिहाजा अब एहतियातन 15 अप्रैल तक सभी देशों के वीजा निलंबित या फिर रद्द कर दिए गए हैं। भारत के अनेक राज्यों ने जहां कोरोना वायरस को महामारी घोषित कर स्कूल, कालेज, सिनेमाघर, समारोह, बाजार, कंपनियां बंद करवा दिए हैं वहीं कोरोना वायरस को बाजार के इस पार पहाड़ों की ओट में ‘दिव्य हिमाचल’ के द्वारा आयोजित मिस हिमाचल 2020 का 21 मार्च को फाइनल निलंबित करके अपने जागरूक होने का पुख्ता प्रमाण दिया है और 14 मार्च को हिमाचल प्रदेश सरकार ने कोरोना वायरस से एहतियात स्वरूप सभी शिक्षण संस्थान, आंगनबाडि़यों व सिनेमाघरों को 31 मार्च तक बंद रखने के आदेश दिए हैं जबकि परीक्षाएं यथावत चलती रहेंगी।

निश्चित तौर पर यह कोरोना वायरस से जंग में अभिभावकों के लिए संतोष की बात है। यही नहीं सरकारी विभागों  में भी एहतियात स्वरूप बायोमीट्रिक मशीन से उपस्थिति दर्ज करवाने पर भी मनाही है जो कि उचित है। आज सोशल मीडिया व गूगल ज्ञान इतना प्रभावी हो चुका है कि इससे जुड़े हर व्यक्ति को विश्व से जुड़ी हर जानकारी एक दम पहुंच जाती है। सोशल मीडिया में भले ही लोगों ने कोरोना वायरस पर चुटकुले, मीमज गढ़ना शुरू कर दिए हैं पर जरूरी है इस वायरस के प्रति संवेदनशील, जागरूक व सावधान होना। कोरोना वायरस को स्कूल, कालेज, नौकरी से आकस्मिक मुफ्त की छुट्टी के उत्सव के रूप में देखने से अच्छा है कि इस वायरस से बचने के उपाय पर ध्यान देना। हम भारतीय हर समस्या में भले ही हास्य ढूंढ लेते हैं मगर कोरोना वायरस हंसी का विषय नहीं, यह जानलेवा वायरस है जो किसी भी वक्त किसी को भी ग्रस सकता है। जानना जरूरी है कि कोरोना वायरस है क्या ? कोरोना वायरस कहां से आया है, यह अलग विषय है मगर इससे बचने के तरीके पर गौर करना जरूरी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ताजा रिपोर्ट के अनुसार  दुनिया के लगभग 124 देशों में इस वायरस के संक्रमण के 1,32,540 मामलों की पुष्टि हो चुकी है जबकि इसके कारण 4,950 लोगों की मृत्यु हो चुकी है जिसमें दो मृत्यु की भारत में भी पुष्टि हुई है। यह जानना बहुत आवश्यक है कि यह वायरस कहीं भी मौजूद हो सकता है। जहां हाथ लगने पर यह हमसे चिपक सकता है और फिर हाथों के जरिए मुंह, आंखों के रास्ते शरीर में प्रवेश पा सकता है। इसलिए अत्यावश्यक है कि बार-बार अपने हाथों को धोया जाए और अपने हाथों को मुंह व आंखों से छूने से रोका जाए। यही नहीं किसी भी खांसते, छींकते व्यक्ति से दूरी बनाए रखें क्योंकि खांसने या छींकने वाला व्यक्ति अगर इस वायरस से संक्रमित हुआ तो वायरस सूक्ष्म कणों के माध्यम से हमारी सांसों से हमारे भीतर प्रवेश कर सकता है। इसलिए भीड़भाड़ वाली जगह से दूरी बनाए रखना जरूरी है। यही नहीं स्वयं खांसते, छींकते वक्त टिश्यू पेपर नाक-मुंह पर रखें और उसका दोबारा इस्तेमाल न करें। नौकरी पेशा लोग सेनेटाइजर अपने साथ रखें।

हालांकि कायदे से एहतियात तौर पर सरकारी कार्यालय भी बंद होने चाहिएं क्योंकि जान है तो जहान है और अगर खतरे का पैमाना इतना नहीं बढ़ा है तो भी कम से कम सरकारी, राजनीतिक मीटिंग्ज स्थगित करने में ही इस वायरस से रोकथाम की ओर ठोस कदम होगा। ऐसा वायरस जिसने विश्व की अर्थव्यवस्था की चूलें हिला दीं वह सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं या संस्थानों की संगठनात्मक गतिविधियों से संभलने वाली नहीं। समय आ चुका है जब हमें जिंदगी से जंग लड़नी है। यह भी पक्का है कि बहुत जल्द इस वायरस का तोड़ भी निकल आएगा, लेकिन तब तक हम घरों में सुरक्षित हो जाएं यही बेहतर होगा। अभी तक कोरोना वायरस पर लगाम लगाने लिए कोई वैक्सीन या ठोस इलाज नहीं है, इसलिए यह तेजी से अपने पांव पसार रहा है जो कि संपूर्ण मानव जाति व अन्य प्राणियों के लिए धरती पर खतरा बन चुका है। कुछ भी हो ऐसे में प्रारंभिक अवस्था में भारतीय संस्कार, संस्कृति इस तरह की महामारियों से बचने के लिए कारगर सिद्ध होते आए हैं। भारतीय संस्कार जहां अपने जीवन साथी से ही शारीरिक संबंधों को मान्यता देते हैं तो यह एड्स जैसी जानलेवा बीमारी से दूर रखता है, जहां प्राणियों पर हिंसा का विरोध करता है तो स्वाइन फ्लू जैसी वैश्विक महामारियों से निजात दिलाता है और अब कोरोना वायरस से दूर रहने का उपाय ‘नमस्कार’ संस्कार पूरे विश्व को आकर्षित कर रहा है तो क्यों न गर्व करें अपनी संस्कृति पर जहां योग, स्वच्छता, सतर्कता, चिंतन, मनन, प्रकृति पूजा, अहिंसा, परोपकार, वैश्विक भाईचारे की भावना सर्वोपरि है। यही भावना आज विश्व के अनेक देशों को आत्मसात करने की आवश्यकता है जो कुत्सित हुई भावना के मद्देनजर परमाणु के बाद अब जीवाणु युद्धों की तैयारी में लगे हैं जबकि आज भारत की गौरवमयी संस्कृति ‘वासुधैव कुटुंबकम’ की तर्ज पर विश्व को चलना होगा अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब कुछ नकारात्मक विचारधारा के लोग धरती पर मानव जाति का संहार कर देंगे।


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