जवाली का नौण जहां होती है शिव आराधना…

By: Apr 25th, 2020 12:22 am

जवाली का ऐतिहासिक नौण आज भी अपनी प्राचीन गाथा को उजागर करता है। कांगड़ा जिले के जवाली कस्बे में स्थित राजमहलों से करीब 150 मीटर दूर स्थित यह स्थान नगर वासियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। नौण परिसर में स्थित शिव मंदिर में लोग सुबह-शाम शिव पूजन करते हैं। यहां बने सरोवर में बारह महीने स्वच्छ पानी बहता रहता है। गर्मियों में यह पानी ठंडा और सर्दियों में गर्म होता है। यहां स्थापित सरोवर की बगल में एक ही दीवार पर करीब 14 मंदिर बने हैं और दीवार पर ही माता शीतला, मनसा देवी, शनिदेव व अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाई गई हैं, जो अपने प्राचीन स्वरूप को बयां करती प्रतीत होती हैं। लोग यहां स्नान करने के बाद इन मूर्तियों पर जल चढ़ाते हैं। सरोवर के साथ ही यहां पर शिव मंदिर और एक हनुमान का मंदिर भी मौजूद है। नौण सुधार समिति ने इसकी उचित देखरेख करते हुए इस धरोहर को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। स्थानीय लोगों के सहयोग से यहां पर महिलाओं व पुरुषों के लिए अलग-अलग स्नान घर का निर्माण व बच्चों के खेलने के लिए गोपाल वाटिका का निर्माण करवाया है। बताया जाता है कि नौण विकास समिति से पहले नौण को संवारने में गोपाल नाम के एक कर्मचारी ने अपना अभूतपूर्व योगदान दिया था, जिसके नाम पर समिति ने इस वाटिका का नामकरण किया है। नौण विकास समिति प्रमुख गुरमीत सिंह  का कहना है कि इस प्राचीन धरोहर को संवारने में जवाली कई लोग समाज सेवा कर अपना योगदान देते हैं, यहां पर अब राजस्थानी कारीगरों से शिव मंदिर का निर्माण करवाया है। मंदिर परिसर में हर बार शिवरात्रि के उपलक्ष्य में भंडारे का आयोजन किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि राजवंश और रियासत कालीन परंपरा में नूरपुर के बाद जवाली का नाम आता है। जवाली की स्थापना गुलेर रियासत के राजा ने की थी। उस समय इस क्षेत्र पर गुलेर रियासत का अधिपत्य हुआ करता था। उस दौर में जवाली के महलों में केवल राजा गोवर्धन सिंह की रानी जवाला देवी ही यहां स्थायी रूप से रहीं। इसी कारण इस कस्बे का नाम जवाली पड़ गया। जवाली के राजमहलों की दीवारों पर आज भी कई कलाकृतियां और आलेख दिखते हैं, लेकिन ये महल अब खंडहर बन गए हैं। चूने के पत्थर से बने इन महलों में एक विशाल कमरे को देख कर यहीं अनुमान लगाया जा सकता है कि इसे कभी कचहरी या सभा के लिए इस्तेमाल किया गया होगा। राजवंश के लोगों की धर्म के प्रति अटूट आस्था थी, इसके प्रमाण महलों की दीवारों पर कुछ देवी-देवताओं की अंकित तस्वीरों से मिलते हैं। महलों के प्रांगण में एक देवी शक्ति का चबूतरा भी मौजूद था, जिसे अब स्थानीय जनता की श्रद्धा ने महलां देवी मंदिर के रूप में संवारा है। कहा जाता है कि तत्कालीन राजा ने अपनी रानी व स्थानीय लोगों को जल सुविधा प्रदान करने के लिए ही नौण का निर्माण करवाया गया था।              -कपिल मेहरा, जवाली


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App