तबलीगी जमात की करामात

By: Apr 4th, 2020 12:06 am

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री

वरिष्ठ स्तंभकार

दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले भारत में कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की संख्या आश्चर्यजनक रूप से कम थी। जो लोग विदेशों से संक्रमित होकर आए भी थे, उनकी पहचान भी हो रही थी और उनसे मिलने वालों का पीछा भी हो रहा था। इसलिए संक्रमित लोग या फिर संक्रमित हो जाने की संभावना वाले लोगों को आइसोलेट किया जा रहा था। यहां तक तो सब ठीक ही चल रहा था। सबको लग रहा था कि इस रास्ते पर चल कर भारत, चीन के इस वायरस को भी पराजित कर देगा, लेकिन बीच में ही तबलीगी जमात के मरकज का विस्फोट हो गया। देश की राजधानी दिल्ली में निजामुद्दीन में एक सात मंजिला भवन में कई दिनों से हजारों की संख्या में देश के विभिन्न हिस्सों से जमाती छिपे बैठे थे। दुनिया के सोलह दूसरे देशों से भी जमाती इस मरकज में आए हुए थे…

चीन से आए वायरस कोरोना का मुकाबला करने के लिए हिंदोस्तान ने अन्य उपायों के साथ-साथ एक सामाजिक रास्ता भी खोज लिया था। वह रास्ता था सोशल डिस्टेंसिंग का, यानी एक दूसरे से दूर रहो। इतना ही नहीं, बल्कि अपने-अपने घरों में ही रहें, क्योंकि यह वायरस एक-दूसरे के स्पर्श से ही फैलता है। यह तरीका फिलहाल सफलता की ओर ले जा रहा था। दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले भारत में कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की संख्या आश्चर्यजनक रूप से कम थी। जो लोग विदेशों से संक्रमित होकर आए भी थे, उनकी पहचान भी हो रही थी और उनसे मिलने वालों का पीछा भी हो रहा था। इसलिए संक्रमित लोग या फिर संक्रमित हो जाने की संभावना वाले लोगों को आइसोलेट किया जा रहा था।

यहां तक तो सब ठीक ही चल रहा था। सबको लग रहा था कि इस रास्ते पर चल कर भारत चीन के इस वायरस को भी पराजित कर देगा, लेकिन बीच में ही तबलीगी जमात के मरकज का विस्फोट हो गया। देश की राजधानी दिल्ली में निजामुद्दीन में एक सात मंजिला भवन में कई दिनों से हजारों की संख्या में देश के विभिन्न हिस्सों से जमाती छिपे बैठे थे। केवल देश से ही नहीं बल्कि दुनिया के सोलह दूसरे देशों से भी जमाती इस मरकज में आए हुए थे। मुल्ला मौलवियों का यह समूह कोरोना से बाखबर था, लेकिन उनका कहना था कि नमाज मस्जिद में ही पढ़ी जाएगी। जमात को चलाने वाले मुल्ला साद की जो तकरीरें सामने आ रही हैं वे हैरान कर देने वाली हैं। उनका कहना है कि मस्जिद में मरने से बेहतर मौत भला क्या हो सकती है? इसलिए आओ, मरने पर तुम्हें लेने के लिए फरिश्ते आएंगे। यह वक्त घर में छुप कर बैठने का नहीं है, बल्कि मस्जिदें भर देने का है। तबलीगी जमात का कहना है कि वह दुनिया भर में फैली है और उसका मकसद दुनिया को सही इस्लाम सिखाना है। इसलिए इसका अंतरराष्ट्रीय दफ्तर हिंदोस्तान में खोला गया है, लेकिन यदि दुनिया में किसी ने इस्लाम सीखना होगा तो वह सऊदी अरब जाएगा न कि हिंदोस्तान आएगा, लेकिन आखिर दुनिया भर के मुल्ला मौलवी निजामुद्दीन की इस तंजीम में क्या करने आते हैं, इसकी गहरी जांच होनी चाहिए।

दिल्ली में एकत्रित इन तबलीगी मुल्लाओं में से अधिकांश को कोरोना ने पकड़ लिया है, यह भी ये जानते थे, लेकिन उसके बावजूद ये हिंदोस्तान के विभिन्न हिस्सों में जाकर वहां की मस्जिदों में छिप गए और समय देख कर सामान्य लोगों में विचरण भी करते रहे। इतना ही नहीं, जब इस तबलीगी तंजीम के इस खतरनाक राष्ट्रघाती व्यवहार की खबर लोगों को लगी तो इन्हें वहां से निकालने के लिए पुलिस बुलानी पड़ी। तंजीम के इन देशी-विदेशी मौलवियों ने बाहर निकलने से इनकार कर दिया। अपने भीतर कोरोना को लेकर घूमते इन जमातियों ने जगह-जगह थूकना ही नहीं शुरू कर दिया बल्कि जिस स्थान पर इनको क्वारंटाइन करके रखा गया था, वहीं सामूहिक नमाज पढ़नी शुरू कर दी। नर्सों से उलझना शुरू कर दिया । जगह-जगह थूकना शुरू कर दिया। दिल्ली सरकार जो पिछले कुछ महीने से शाहीन बाग को बहुत मोहब्बत से पाल-पोस रही थी, उसको भी लिखना पड़ा कि तबलीगी हमारे नियंत्रण में नहीं आ रहे, इनके लिए पुलिस भेजी जाए। इन तबलीगियों के देश भर में पहुंच जाने से देश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या अचानक बढ़ने लगी है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस तबलीगी जमात का सदर मुल्ला साद अपने अड्डे से भागने में कामयाब हो गया है। पुलिस उसकी तलाश कर रही है, लेकिन वह अभी छिप कर अगली क्या योजना व रणनीति बना रहा है, इसी के चलते लोगों की चिंता गहरी होती जा रही है।

हिमाचल प्रदेश में तबलीगी जमात के इस विस्फोट ने कहर मचा दिया है। अभी तक पर्वतीय प्रदेशों में कोरोना का प्रकोप बहुत कम पहुंचा था। कुल मिला कर तीन लोग संक्रमित थे जिनमें से एक की मौत हो गई और दो सही सलामत होकर घर चले गए। इनके संपर्क में जो लोग आए थे कमोबेश उनकी भी पहचान कर ली गई थी और उनमें से अधिकांश आइसोलेशन का कालखंड पूरा कर रहे थे, लेकिन अब पता चला है कि हिमाचल के भी लगभग सात सौ लोग इस तबलीगी जमात का हिस्सा हैं। उनमें से कुछ निजामुद्दीन के मरकज में संक्रमित होकर आए और प्रशासन को बिना सूचित किए इधर-उधर छिप गए। तीन ऊना में पकड़े गए और तीनों ही संक्रमित थे। नूरपुर, पांवटा साहिब और सिरमौर में भी इनकी जड़ें हैं। नकडोह का किस्सा भी सामने आया है। आशा करनी चाहिए कि हिमाचल में तबलीगियों की यह सेना कहर ढाए, उससे पहले ही इनकी शिनाख्त कर इन्हें शेष समाज से अलग-थलग कर देना चाहिए, लेकिन सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि विभिन्न प्रदेशों में जो तबलीगी पकड़ में आ रहे हैं, उनमें से अधिकांश उन प्रदेशों के रहने वाले नहीं हैं बल्कि बाहर के हैं। यहां तक कि कुछ विदेशी भी हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार को भी इस बात की जांच करनी चाहिए कि प्रदेश में  तबलीगी किन प्रदेशों से हैं और क्या कुछ विदेशी तबलीगी भी इस देवभूमि को अपना अड्डा बना कर बैठे हैं?

ईमेलः kuldeepagnihotri@gmail.com


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