नहीं सुलझा चचियां छावनी मसला
कैबिनेट में भेजने से पहले सरकार ने डीसी से मांगी रिपोर्ट
शिमला – पालमपुर के चाय बागान क्षेत्र चचियां में सैनिक छावनी का मामला अब तक नहीं सुलझ पाया है। सूत्रों के अनुसार इस मामले को एक दफा फिर से सेना ने उठाया है और सरकार से इस पर जानकारी मांगी है, क्योंकि अब तक राज्य सरकार कोई निर्णय नहीं ले पाई है, इसलिए जवाब देने के लिए भी अभी तैयार नहीं है। इस पर सरकार ने जिलाधीश से वापस रिपोर्ट मांगी है। बता दें कि मामले को कैबिनेट भेजा जाना है, मगर जब तक विस्तृत रिपोर्ट नहीं आ जाती है, तब तक कुछ कहा नहीं जा सकता। हालांकि यदि सेना ने जमीन लेनी है, तो उसे रोका नहीं जा सकता, मगर यहां पर मामला मुआवजे का है। चाय बागान किस्म की जमीन को बेचा नहीं जा सकता, यदि सेना इसे अपने अधीन लेती है, तो जो मुआवजा मिलना है, वह लोगों को मिले या फिर सरकार को इस पर निर्णय होना है। सूत्रों के अनुसार यही वजह है कि सरकार भी इस पर जानना चाहती है कि आखिर स्टेटस क्या है। इसलिए राजस्व विभाग से इसका पूरा खाका मांगा गया था। इससे पहले डीसी से उनकी राय और रिपोर्ट मांगी गई है। राजस्व विभाग का मानना है कि नियमों के अनुसार मुआवजे पर सरकार का हक बनता है, लेकिन यहां लोग मुआवजा चाहते हैं। डीसी से पूछा गया है कि कितने लोगों ने अब तक चाय बागान किस्म की जमीन को बेचने की इजाजत सरकार से ली है और कितनी जमीन बेची गई है। वर्ष 2010 के बाद से ऐसी इजाजत देनी सरकार ने बंद कर दी थी, जिसके बाद शायद ही किसी को ऐसी इजाजत मिली। अब यहां एक बड़ा एरिया सेना की छावनी को बनाने के लिए चाहिए, जिसके सामरिक दृष्टि से जरूरी माना गया है। राजस्व विभाग को डीसी की रिपोर्ट मिलने के बाद इस मामले को कैबिनेट के सामने लाया जाएगा और कोई न कोई निर्णय हो जाएगा।
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