भीड़तंत्र से बचाव का विकल्प

By: Apr 22nd, 2020 12:05 am

-सिद्धांत ढडवाल, गंगथ

भारत के एक राज्य में भीड़ द्वारा साधुओं की हत्या निंदनीय है। कहा जा रहा है कि गांव वालों को शक था कि ये साधु बच्चा चोर गिरोह के हैं। क्योंकि उस इलाके में बच्चे चोरी के मामले आ रहे थे, लेकिन अगर कोई चोर भी था फिर भी उन्हें खुद सजा देना न तो इनसानियत है और न ही संवैधानिक। सजा तो कानून देता है। वृद्ध साधुओं पर बेरहमी से डंडे बरसाती भीड़ ने उनकी उम्र का लिहाज भी नहीं किया। आज शायद वक्त पाठ्यक्रम में बच्चों को गांधी जी के बारे में पढ़ाने का है। आंख के बदले आंख फोड़ कर तो हम पूरी दुनिया को अंधा कर देंगे। दोषियों को सख्त सजा तो होनी ही चाहिए, परंतु सांस्कारिक शिक्षा ही भीड़तंत्र से देश को बचा सकती है।


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