लॉकडाउन में कैसे कायम रखें फिटनेस

By: Apr 3rd, 2020 12:05 am

भूपिंदर सिंह

राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक

आज कोरोना महामारी के कारण लोग अपने-अपने घरों में बंद हो गए हैं और अगले कई सप्ताह तक इस तरह की स्थिति कायम रहने वाली है, ऐसे में किशोरों, युवाओं व वयस्कों के स्वास्थ्य की उपेक्षा नहीं की जा सकती है। घर में बैठे रहने के कारण शरीर पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है। आज हमें इस बात से सजग रहना है कि व्यक्ति विशेष के स्वास्थ्य से समग्र व्यक्ति का कल्याण जुड़ा है। शारीरिक योग्यता की आवश्यकता सबके लिए है न कि केवल वर्ग विशेष के लिए। कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के कारण हमारे रहन-सहन के तौर तरीकों में हुए परिवर्तन के कारण हमें दैनिक कार्यकलापों से शारीरिक योग्यता प्राप्त नहीं हो सकती है…

आज पूरे विश्व में कोरोना वायरस ने हाहाकार मचा रखा है। अमरीका व यूरोप के विकसित देशों ने इसके आगे घुटने टेक दिए हैं। महीनों से लोग अपने घरों में बंद हैं। इस छुआछूत की बीमारी को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने महामारी घोषित कर दिया है। इस के कारण ओलंपिक इतिहास में पहली बार ओलंपिक खेलों को स्थगित कर अगले वर्ष 2021 में आयोजित किया जा रहा है। आज जब पिछले एक सप्ताह से हमारे देश का हर नागरिक भी कोरोना महामारी के कारण अपने-अपने घरों में बंद हो गया है और अगले कई सप्ताह तक इस तरह की स्थिति कायम रहने वाली है, ऐसे में किशोरों, युवाओं व वयस्कों के स्वास्थ्य की उपेक्षा नहीं की जा सकती है। घर में बैठे रहने के कारण शरीर पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है। आज हमें इस बात से सजग रहना है कि व्यक्ति विशेष के स्वास्थ्य से समग्र व्यक्ति का कल्याण जुड़ा है। शारीरिक योग्यता की आवश्यकता सबके लिए है न कि केवल वर्ग विशेष के लिए। कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के कारण हमारे रहन-सहन के तौर तरीकों में हुए परिवर्तन के कारण हमें दैनिक कार्यकलापों से शारीरिक योग्यता प्राप्त नहीं हो सकती है, बल्कि इस के लिए हमें स्वयं प्रयास करना होगा। कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन के बगैर भी आज कल अधिकतर लोग फिटनेस कार्यक्रम से दूर अपने घरों में बंद रहते हैं।

अस्तित्व के लिए संघर्ष अभी भी जारी है और योग्यता की अति जीविता का सिद्धांत अब भी उतना ही महत्त्व रखता था, जितना पहले रखता है। सभ्यता की नियोग्यता एवं कई रोगों के बचाव के लिए शारीरिक योग्यता ही अत्यंत महत्त्वपूर्ण रहेगी, इस बात का पहले ही आभास मिल चुका है। केवल शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक रोगों के बचाव के लिए शारीरिक फिटनेस कार्यक्रम  काफी उपयोगी साबित हो रहा है। शारीरिक औषधियों के मामले में प्रयुक्त बहुत सी तकनीकों की खोज प्रशिक्षकों व खेल वैज्ञानिकों ने खेल मैदानों व व्यायामशालाओं में की है। आज औषधि व शारीरिक प्रशिक्षण के बीच समुचित संबंध स्थापित हो रहा है, जिससे खेल प्रशिक्षण के क्षेत्र में होने वाली प्रगति का उपयोग चिकित्सा क्षेत्र में किया जा रहा है। आज चिकित्सा और खेल प्रशिक्षण के बीच घनिष्ठ संबंध स्थापित हो रहे हैं। किसी एथलीट को अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता के लिए तैयार करना या किसी बालक को भावी संघर्ष से जूझने के लिए तैयार करना हो या किसी पक्षाघात के मरीज को ठीक करना हो, इन सब का उद्देश्य व तरीका एक ही है। आज खेलों को भी दो श्रेणियों में बांट दिया गया है। इंडोर व आउटडोर। आज हम अपने घर आंगन में भी अपनी फिटनेस के लिए काम कर सकते हैं। विभिन्न शारीरिक क्रियाओं को आप एक जगह खड़े होकर कर सकते हैं। आठ फुट की जगह पर बैठ व लेट कर कई प्रकार की क्रियाओं को किया जा सकता है।

फिटनेस कार्यक्रम के लिए सवेरे खाली पेट सब से उपयुक्त समय है। सुबह के दैनिक क्रिया-कलापों से निवृत्त होकर आप फिटनेस कर सकते हैं। पहले शरीर को गर्म करने के लिए शरीर के विभिन्न कोणों पर हल्की खिंचाव वाली क्रियाओं को करने के बाद एक जगह पर कुछ समय के लिए हल्के से मध्यम गति पर दौड़ना। उसके बाद अपने-अपने शारीरिक योग्यता के अनुसार विभिन्न प्रकार की शारीरिक क्रियाओं को करना है। उसके बाद हल्का-हल्का टहल कर शरीर का अनुकूलन कर देना चाहिए। जिसे सवेरे समय न मिले वह शाम के समय सवेरे के कार्यक्रम को कर सकता है। फिटनेस करने से पहले कम से कम दो घंटे पहले तक कुछ भी खाया न हो। खाया हुआ भोजन पच जाना चाहिए, तभी शारीरिक क्रियाओं को शुरू करना चाहिए। पानी पर्याप्त मात्रा में पीते रहना चाहिए। जब आप पूरा दिन घर में बंद हैं तो हल्का और सुपाच्य भोजन ग्रहण करना चाहिए। सवेरे शाम दिन के मुकाबले आजकल तापमान में दिन के मुकाबले दस डिग्री तक का फर्क पड़ जाता है, इसलिए सवेरे-शाम गर्म कपडे़ पहनने चाहिए। फ्रिज में रखे पेय तथा खाने की चीजों से परहेज करना चाहिए। सवेरे-शाम कोसा पानी पीना चाहिए। इस तरह अपने घर के अंदर लगातार कई सप्ताह तक रह कर भी आप अपना थोड़ा सा समय देकर अपनी फिटनेस को बरकरार रख सकते हैं।

ई-मेल-bhupindersinghhmr@gmail.com

हिमाचली लेखकों के लिए

लेखकों से आग्रह है कि इस स्तंभ के लिए सीमित आकार के लेख अपने परिचय तथा चित्र सहित भेजें। हिमाचल से संबंधित उन्हीं विषयों पर गौर होगा, जो तथ्यपुष्ट, अनुसंधान व अनुभव के आधार पर लिखे गए होंगे। 

-संपादक


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