श्रीगोपाल सहस्रनाम स्तोत्रम्
-गतांक से आगे…
स्यमन्तकमणिप्राज्ञो विज्ञो विघ्नविघातकः।
गोवर्धनो वर्धनीयो वर्धनी वर्धनप्रियः।। 66।।
वर्धन्यो वर्धनो वर्धी वार्धिन्यः सुमुखप्रियः।
वर्धितो वृद्धको वृद्धो वृन्दारकजनप्रियः।। 67।।
गोपालरमणीभर्ता साम्बुकुष्ठविनाशनः।
रुक्मिणीहरणः प्रेमप्रेमी चन्द्रावलीपतिः।। 68।।
श्रीकर्ता विश्वभर्ता च नारायणनरो बली।
गणो गणपतिश्चैव दत्तात्रेयो महामुनिः।। 69।।
व्यासो नारायणो दिव्यो भव्यो भावुकधारकः।
श्वः श्रेयसं शिवं भद्रं भावुकं भविकं शुभम।। 70।।
शुभात्मकः शुभः शास्ता प्रशस्ता मेघनादहा।
ब्रह्मण्यदेवो दीनानामुद्धारकरणक्षमः।। 71।।
कृष्णः कमलपत्राक्षः कृष्णः कमललोचनः।
कृष्णः कामी सदा कृष्णः समस्तप्रियकारकः।। 72।।
नन्दो नन्दी महानन्दी मादी मादनकः किली।
मिली हिली गिली गोली गोलो गोलालयी गुली।। 73।।
गुग्गुली मारकी शाखी वटः पिप्पलकः कृती।
म्लेक्षहा कालहर्ता च यशोदायश एव च।। 74।।
अच्युतः केशवो विष्णुर्हरिः सत्यो जनार्दनः।
हंसो नारायणो लीलो नीलो भक्तिपरायणः।। 75।।
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