इस बार मौत ने दाग दिया गोल, तीन बार के ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट हाकी लीजेंड बलबीर सिंह सीनियर का निधन

By: May 26th, 2020 12:08 am

ओलंपिक में तीन बार के गोल्ड मेडलिस्ट और दुनिया के महान हाकी खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर का सोमवार को 96 वर्ष की उम्र में देहांत हो गया। वह मोहाली के एक अस्पताल में दाखिल थे। वह लगभग एक साल से दिल की बीमारियों से जूझ रहे थे। वह अकसर कहा करते थे कि मैंने प्रतिद्वंदी टीमों पर सैकड़ों गोल स्कोर किए हैं, पर अब मौत की बारी है, जब चाहे मुझ पर गोल दाग सकती है। हाकी के लीजेंड बलबीर सीनियर के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समेत सभी नेताआें और खेल जगत की हस्तियों ने शोक जताया है। बलबीर सिंह सीनियर का जन्म उनके नौनिहाल गांव हरिपुर खालसा, जिला मोगा में 1924 में हुआ था। मोगा के देव समाज हाई स्कूल से प्राथमिक शिक्षा हासिल करने के बाद उन्होंने डीएस कालेज मोगा, लाहौर के सिख नेशनल कालेज और खालसा कालेज अमृतसर से आगे की पढ़ाई की। बलवीर सिंह के पिता चाहते थे कि उच्च सरकारी ओहदा हासिल करें, लेकिन इसके उलट उनका ज्यादातर समय मैदान में हाकी खेलने में व्यतीत होता था। हाकी उनका जुनून था। घरवाले निरंतर इसका विरोध करते रहे, लेकिन उनका उत्साह बरकरार रहा। यहां तक कि वह औपचारिक शिक्षा में कुछ बार फेल भी हुए। प्रशिक्षक हरबेल सिंह, बलबीर सिंह के पहले हाकी कोच थे। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर पंजाब यूनिवर्सिटी और पंजाब पुलिस की नुमाइंदगी की।

— अमरीक सिंह

पद्मश्री पाने वाले पहले खिलाड़ी, डाक टिकट भी हुआ था जारी

बलबीर पहली ऐसी खेल हस्ती थे, जिन्हें देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।  उन्हें 1957 में यह सम्मान दिया गया था। डोमिनिक गणराज्य ने 1956 मेलबोर्न ओलंपिक की याद में डाक टिकट जारी किया था, जिसमें बलबीर और गुरदेव सिंह को जगह मिली थी।

कमेंटेटर जसदेव सिंह से ऐसे मिला सीनियर नाम

सीनियर नाम उन्हें मशहूर कमेंटेटर जसदेव सिंह ने दिया था। 1958 में टोक्यो में हुईं एशियन खेलों में कप्तान बलवीर सिंह की कप्तानी में संसारपुर के बलवीर सिंह कुलार टीम के दस्ते में शामिल थे। कमेंटेटर जसदेव सिंह की ओर से बलबीर सिंह दोसांझ को सीनियर और दूसरे बलवीर सिंह कुलार को जूनियर का नाम दिया गया, ताकि भ्रम न रहे। पंजाब में उन्हें खेल-जगत हाकी देवता भी कहता है। जिस भी नवोदित हाकी खिलाड़ी पर उन्होंने हाथ रखा वह स्टार खिलाड़ी बन गया।

हिंदुस्तान के दूसरे ध्यानचंद, टेरर ऑफ डी नेम

राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय गलियारों में बलबीर सिंह का नाम खेल की दुनिया में बेहद अदब से लिया जाता था। हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के बाद बलवीर सिंह दूसरे ऐसे खिलाड़ी थे, जिन्हें बतौर खिलाड़ी, कप्तान और उपकप्तान ओलंपिक हाकी में तीन गोल्ड मेडल हासिल करने का शानदार मौका मिला। उन्हें हिंदुस्तान का दूसरा ध्यानचंद कहा जाता था। उनका समूचा खेल करियर विजय से भरा हुआ है।  बलवीर सिंह सीनियर को विश्व का सबसे खतरनाक सेंटर फारवर्ड माना जाता था। इसके चलते उन्हें टेरर ऑफ  डी खिलाड़ी के तौर पर भी पुकारा गया। पद्मश्री और अर्जुन अवार्ड से सम्मानित बलबीर सिंह सीनियर के हिस्से खेल इतिहास के कई सुनहरे पन्ने हैं। उन्हें कभी राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलते समय मैच रेफरी की ओर से रेड या यलो कार्ड नहीं दिया गया। वह भारत के इकलौते खिलाड़ी हैं, जिन्हें विश्व स्तर के 16 आइकॉन खिलाडि़यों में जगह हासिल है।


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