बुजुर्गों के लिए आवश्यक सावधानियां

By: May 6th, 2020 12:05 am

डा. वाईके शर्मा

पूर्व प्रिंसीपल, आयुर्वेद

महामारी के चलते वृद्ध व्यक्तियों को अपने घर पर 1 से 2 माह की खाद्य सामग्री एवं अपनी आवश्यक औषधियों का संग्रह करना चाहिए। वयोवृद्ध व्यक्तियों की देखरेख के लिए परिवार का विशेष व्यक्ति सुनिश्चित होना चाहिए ताकि घर से बाहर निकलने वाले व्यक्ति उनके संपर्क में न आएं। पौष्टिक आहार, फल-सब्जी आदि की उपलब्धता सुनिश्चित होनी चाहिए। बड़े शहरी क्षेत्रों में इनकी आवश्यकता की पूर्ति सूचना तकनीक की आनलाइन व्यवस्था द्वारा की जा सकती है। नियमित योगासन एवं अन्य व्यायाम घर में भीतर, आंगन में अथवा छत पर किया जा सकता है जिससे शारीरिक स्वास्थ्य बना रहेगा…

कोरोना वायरस से फैली बीमारी कोविड-19 से अप्रैल अंत तक विश्व भर में 30 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं एवं 2 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हुई है। चीन में वायरस से उत्पन्न इस बीमारी ने अपनी उत्पत्ति के पांच माह में ही दुनिया के लगभग 190 देशों को ग्रस्त कर लिया है एवं संपूर्ण महाद्वीपों में इसका असर पड़ा है। निश्चित औषधि उपचार न होने के कारण बीमारी की रोकथाम के लिए अधिक कदम उठाए जा रहे हैं, जिसमें लॉकडाउन, सार्वजनिक स्थानों पर आपस में दूरी बनाए रखना, मास्क एवं सेनेटाइजर का प्रयोग एवं बार-बार साबुन से हाथ धोना प्रमुख हैं। अनेक देश अपनी स्वास्थ्य सुविधाओं, आर्थिक स्थिति, जनसंख्या घनत्व आदि के मद्देनजर बीमारी को रोकने एवं इसके कारण होने वाली मृत्यु दर पर अंकुश लगाने हेतु उचित निर्णय ले रहे हैं। बीमारी के चलते होने वाली मृत्यु के आंकड़े चौंका देने वाले हैं। कुल संक्रमित रोगियों में भिन्न-भिन्न देशों में यह दर 3 से 7 प्रतिशत रही है। मरने वाले अधिकांश व्यक्ति वृद्ध हैं। जापान एवं यूरोप के देश, जहां औसत आयु 80 वर्ष से ऊपर है, उनमें देखा गया है कि 90 से 95 प्रतिशत मृत 60 वर्ष के ऊपर के हैं एवं उनमें से भी 50 प्रतिशत 80 वर्ष से अधिक आयु के वृद्ध हैं। ऐसे वृद्ध जो हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, श्वास रोग, कैंसर, वृक्क रोग आदि जीर्ण व्याधियों से पीडि़त थे वं उपचाररत थे, उनमें यह मृत्यु दर अत्यधिक थी। मरने वाले 10 व्यक्तियों में से 8 किसी न किसी जीर्ण व्याधि से ग्रस्त पाए गए हैं। इसका मुख्य कारण वृद्ध व्यक्तियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी एवं नई संक्रामक व्याधि के प्रति स्वाभाविक रोग प्रतिरोधक क्षमता की उत्पत्ति की असमर्थता है।

इसके अतिरिक्त श्वसन संस्थान में प्राकृतिक अथवा व्याधि जनित परिवर्तनों के कारण श्वास क्षमता में कमी भी प्रमुख कारण है जिनके चलते फेफड़ों का संक्रमण एवं निमोनिया होने पर रक्त में आक्सीजन की कमी मृत्यु का मुख्य कारण बनती है। वर्तमान युग में जहां वृद्ध व्यक्तियों का मजबूरी अथवा स्वेच्छा से अकेले रहने का प्रचलन बढ़ गया है, बीमारी से बचाव के कदमों के कारण उन्हें अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। रोग ग्रस्त, आर्थिक रूप से असंपन्न, आधुनिक सूचना तकनीक से अनभिज्ञ वृद्धों का जीवन अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है। अपर्याप्त पौष्टिक भोजन एवं दैनिक गतिविधियों की कमी कई प्रकार की शारीरिक एवं मानसिक व्याधियों को उत्पन्न कर सकती है। जीवन रक्षक औषधियों का न मिलना भी व्याधियों में वृद्धि कर सकता है। सामाजिक मेलजोल न रहना एवं अपने मित्रों, सगे संबंधियों से दूरी भी कष्टकर हो सकती है। इन सबके चलते सामान्य वृद्ध व्यक्ति भी मानसिक तनाव, चिड़चिड़ापन, उपेक्षा की मनोस्थिति, अनिद्रा, असहायपन, मनोवसाद आदि से ग्रस्त हो सकते हैं। वैश्विक महामारी के चलते विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एवं भारत सरकार ने भी वृद्ध व्यक्तियों की देखरेख के लिए कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं ताकि वह इस कठिन दौर में भी अपने आपको कोरोना संक्रमण से मुक्त रखते हुए शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य सुनिश्चित कर सकें। दिशा- निर्देशों के अनुसार सामान्य प्रक्रियाएं जैसे मास्क पहनना, 2 मीटर की शारीरिक दूरी, बार-बार साबुन से हाथ धोने के अतिरिक्त 60 वर्ष से अधिक आयु के वृद्ध व्यक्तियों को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। महामारी के चलते वृद्ध व्यक्तियों को अपने घर पर 1 से 2 माह की खाद्य सामग्री एवं अपनी आवश्यक औषधियों का संग्रह करना चाहिए। वयोवृद्ध व्यक्तियों की देखरेख के लिए परिवार का विशेष व्यक्ति सुनिश्चित होना चाहिए ताकि घर से बाहर निकलने वाले व्यक्ति उनके संपर्क में न आएं। पौष्टिक आहार, फल-सब्जी आदि की उपलब्धता सुनिश्चित होनी चाहिए। बड़े शहरी क्षेत्रों में इनकी आवश्यकता की पूर्ति सूचना तकनीक की आनलाइन व्यवस्था द्वारा की जा सकती है। नियमित योगासन एवं अन्य व्यायाम घर में भीतर, आंगन में अथवा छत पर किया जा सकता है जिससे शारीरिक स्वास्थ्य बना रहेगा। मन में अवसादक भावनाओं से बचने के लिए परिवार के सदस्यों के अतिरिक्त अपने मित्रों, रिश्तेदारों अथवा पूर्व सहकर्मियों से टेलीफोन पर बात करते रहना चाहिए।

परिवार के अन्य सदस्य जो घर पर न हों, उन्हें भी परिवार में वृ़़द्धों से बात कर जीवन के स्वर्णिम पलों को याद करना चाहिए। टेलीविजन पर धार्मिक, सामाजिक तथा मनोरंजन कार्यक्रम देखकर भी एकांत में मानसिक तनाव एवं अवसाद से बचा जा सकता है। स्वास्थ्य जांच एवं उपचार के लिए चिकित्सक अथवा चिकित्सालय में जाने की बजाय टेलीफोन अथवा वीडियो कॉल कर परामर्श लेना चाहिए। ऐसा उन स्थानों पर और भी आवश्यक है जहां पर कोरोना वायरस का संक्रमण है। ऐसी सभी शल्य क्रियाएं जिन्हें करवाना आपातस्थिति नहीं है, को संक्रमण समाप्ति तक लंबित कर देना चाहिए। अपनी धार्मिक आस्था का पालन भी वृद्ध व्यक्तियों को अपने घर की चार दिवारी में रहकर ही करना होगा एवं धार्मिक स्थानों पर जाने से एवं धार्मिक आयोजनों से परहेज करना चाहिए। ऐसा भी देखा गया है कि संक्रमण की अवस्था में कुछ वृद्ध आर्थिक संसाधनों की कमी, पारिवारिक उपेक्षा, दुर्व्यवहार, हिंसा अथवा तिरस्कार का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में उन्हें प्रशासन की मदद से प्रयास करके समाधान मिल सकता है।  सूचना तकनीक के युग में इस तकनीक से अनभिज्ञ वृद्ध आर्थिक स्थिति अच्छी होने के बावजूद लॉकडाउन एवं कर्फ्यू के चलते कुछ लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। ऐसे में आवश्यक है कि परिवार, समाज अथवा प्रशासन इसके लिए वैकल्पिक प्रबंध करे ताकि कोरोना रोग की इस त्रासदी में भी वृद्ध व्यक्ति शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक रूप से स्वस्थ रहें।


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