साहित्य का ज्ञान

By: May 16th, 2020 12:20 am

श्रीराम शर्मा

साहित्य की आज कहीं कमी है? जितनी पत्र-प्रतित्रकाएं आज प्रकाशित होती हैं, जितना साहित्य नित्य विश्व भर में छपता है उस पहाड़ के समान सामग्री को देखते हुए लगता है, वास्तव में मनीषी बढ़े हैं, पढ़ने वाले भी बढ़े हैं। लेकिन इन सबका प्रभाव क्यों नहीं पड़ता? क्यों एक लेखक की कलम कुत्सा भड़काने में ही निरत रहती है एवं क्यों उस साहित्य को पढ़कर तुष्टि पाने वालों की संख्या बढ़ती चली जाती है, इसके कारण ढूंढ़े जाएं तो वहीं आना होगा, जहां कहा गया था, ‘पावनानि न भवंति’। यदि इतनी मात्रा में उच्चस्तरीय, चिंतन को उत्कृष्ट बनाने वाला साहित्य रचा गया होता एवं उसकी भूख बढ़ाने का माद्दा जन समुदाय के मन में पैदा किया गया होता तो क्या ये विकृतियां नजर आतीं जो आज समाज में विद्यमान है। दैनन्दिन जीवन की समस्याओं का समाधान यदि संभव हो सकता है, तो वह युग मनीषा के हाथों ही होगा। जैसा कि हम पूर्व में भी कह चूके हैं कि नवयुग यदि आएगा तो विचार शोधन द्वारा ही क्रांति होगी तो वह लहू और लोहे से नहीं विचारों की काट द्वारा होगी, समाज का नव निर्माण होगा, तो वह सद्विचारों की प्रतिष्ठापना द्वारा ही संभव होगा। अभी तक जितनी मलिनता समाज में प्रविष्ट हुई है, वह बुद्धिमानों के माध्यम से ही हुई है। द्वेष, कलह, नस्लवाद, जातिवाद, व्यापक नर संहार जैसे कार्यों में बुद्धिमानों ने ही अग्रणी भूमिका निभाई है। यदि वे सन्मार्गगामी होते, उनके अंतःकरण पवित्र होते, तप, ऊर्जा का संबल उन्हें मिला होता, तो उन्होंने विधेयात्मक चिंतन प्रवाह को जन्म दिया होता, सत्साहित्य रचा होता, ऐसे आंदोलन चलाए होते। परिस्थितियां आज भी विषम हैं। वैभव और विनाश के झूले में झूल रही मानव जाति को उबारने के लिए आस्थाओं के मर्मस्थल तक पहुंचना होगा और मानवी गरिमा को उभारने, दूरदर्शी विवेकशीलता को जगाने वाला प्रचंड पुरुषार्थ करना होगा। साधन इस कार्य में कोई योगदान दे सकते हैं, यह सोचना भ्रांतिपूर्ण है। दुर्बल आस्था अंतराल को तत्त्वदर्शन और साधना प्रयोग के उर्वरक की आवश्यकता है। अध्यात्म वेत्ता इस मरुस्थल की देखभाल करने की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते व समय-समय पर संव्याप्त भ्रांतियों से मानवता को उबारते हैं। अध्यात्म की शक्ति विज्ञान से भी बड़ी है। अध्यात्म ही व्यक्ति के अंतराल में विकृतियों के माहौल से लड़ सकने, निरस्त कर पाने में सक्षम तत्त्वों की प्रतिष्ठापना कर पाता है। हमने व्यक्तियों में पवित्रता व प्रखरता का समावेश करने के लिए मनीषा को ही अपना माध्यम बनाया एवं उज्ज्वल भविष्य का सपना देखा है। साहित्य को सही मायनों में समझने के लिए आपको अपने अंतर्मन की गहराइयों में झांकना पड़ेगा। शब्दों की सही समझ और शब्दों का सही ज्ञान ही आपको साहित्य के भीतर छुपी सामाग्री के भाव समझा सकता है। साहित्यकार की रचनाओं में जो भाव छिपे होते है, उन्हें समझने के लिए आपमें विवेकशीलता होनी जरूरी है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App