अनलॉक के दर्द व खुशियां : प्रो. एनके सिंह, अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार

By: Jun 12th, 2020 12:07 am

प्रो. एनके सिंह

अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार

चौथा क्षेत्र मूलभूत ढांचे के विकास से संबंधित है। सड़कों, पोर्ट्स व हवाई अड्डों के निर्माण के साथ-साथ भारत को अनुसंधान के लिए शैक्षिक प्रयोगशालाओं व पुस्तकालयों के निर्माण पर जोर देना चाहिए। ग्रामीण विकास को प्राथमिकता मिलनी चाहिए, गांवों में कृषि व विपणन केंद्रों को विकसित किया जाना चाहिए। यहां गिनवाए गए चार बड़े क्षेत्रों के अलावा विकास के अन्य क्षेत्रों में भी काम करने की जरूरत है। उद्यमियों को आसान कर्ज दिए जाने चाहिए तथा कर्ज लेने की प्रक्रिया में दुश्वारियां नहीं होनी चाहिएं। सभी बैंकिंग गतिविधियों में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना भी जरूरी है। प्रवासी मजदूरों का मसला क्योंकि बहुत बड़ा तथा महत्त्वपूर्ण है, अतः उन्हें रोजगार दिलाने के लिए प्राथमिकता से काम करना होगा…

कोरोना वायरस अब जाता हुआ लग रहा है तथा शायद किसी दवा या वैक्सीन का आना इस बीमारी के पूरी तरह चले जाने का मार्ग प्रशस्त करेगा। विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना वायरस गर्मी के कारण जुलाई में धुंधला पड़ जाएगा तथा यह नीचे उतरने के लिए चोटी पर पहुंच चुका है। सरकार ने अब लॉकडाउन में धीरे-धीरे छूट देनी शुरू कर दी है। मैंने अपने आसपास सड़कों और दुकानों पर लोगों को घूमते हुए पाया। अगर कोई वाहन सामान्य शोर वाले इंजन के साथ चलता है तो हम खुश हो जाते हैं कि जिंदगी फिर से पटरी पर लौट आई है तथा हम कई दिनों की दुश्वारियों के बाद सामान्य स्थिति में लौट रहे हैं। लेकिन बीमारी का खौफ अभी इतना है कि लोग इसके भय से बसों में नहीं बैठ रहे हैं। बसें खाली दौड़ रही हैं अथवा वे आधी खाली चल रही हैं। कुछ कार्यालय खुल गए हैं, किंतु कर्मचारियों की उपस्थिति अभी कम है। तेज बुखार वाली नींद के बाद सभी जागते हुए दिखाई दे रहे हैं। इसलिए हम वैसा महसूस नहीं कर पा रहे हैं जैसा लॉकडाउन से पहले महसूस करते थे क्योंकि खौफ अभी बाकी है। कोरोना वायरस ने विश्व भर में अरबों की संख्या में नौकरियां निगल ली हैं तथा अर्थव्यवस्थाएं चरमराने लगी हैं। जिस स्थिति में हम लॉकडाउन से पहले थे, उस स्थिति में हम कैसे लौट पाएंगे तथा बढि़या कैसे कर पाएंगे? कोरोना वायरस के कारण जहां हमारी आर्थिकी दुष्प्रभावित हुई है और रोजगार छिन गए हैं, वहीं शिक्षा, वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी विकास तथा यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भी हमने नुकसान झेला है। आज का विश्व महामारी के पहले के विश्व से अलग है। अगर यह महामारी चीन में पैदा न हुई होती और इसने अमरीका के मानव जीवन व अर्थव्यवस्था को हानि न पहुंचाई होती, तो अमरीका के राष्ट्रपति इतने रुष्ट न हुए होते, उन्हें उकसावा न मिलता तथा जी-सात में भारत को शामिल करने के लिए अमरीका तैयार न हुआ होता, साथ ही भारत और अमरीका इतने नजदीक न आए होते। चार ऐसे मुख्य क्षेत्र हैं जहां हमें नुकसान हुआ है तथा जहां हमें बिना देरी किए नुकसान से पार पाना है। मानव, वस्तुओं और मैटीरियल के परिवहन के बिना आर्थिकी को पुरानी स्थिति में नहीं लाया जा सकता है। इसे तुरंत मोबिलाइज करना होगा। जिन देशों को कोई खास नुकसान नहीं हुआ, उन्होंने सार्वजनिक परिवहन व अन्य कुछ सेवाओं को चलायमान रखा। कनाडा, जर्मनी और डेनमार्क ने सेवाओं को खुला रखा तथा उन्होंने अपना अस्तित्व बचा लिया। कोरोना वायरस का सकारात्मक पक्ष यह है कि तेल के दाम निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। एक बैरल के दाम 30 से 40 डालर चल रहे हैं। यह दाम इतने आकर्षक कभी नहीं हुए तथा विमानन क्षेत्र को इसका लाभ उठाना चाहिए। हमें परिवहन, पर्यटन तथा होटल इंडस्ट्री को कुछ बंदिशों के साथ खोल देना चाहिए। यह पाबंदियां स्वयं से लगाई होनी चाहिएं तथा लॉकडाउन को खोलने के लिए इन क्षेत्रों के कर्मचारियों को पहले प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

दूसरा क्षेत्र उत्पादन तथा मध्यम व लघु उद्योगों का संचालन है, जहां एहतियात के साथ काम करने को प्रमुख प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सभी उत्पादक मोर्चों को खोल देना चाहिए। केवल गैर उत्पादक या अनावश्यक सेवाओं को नियंत्रित किया जाना चाहिए, शेष को स्व-नियमन के आधार पर काम करना चाहिए। तीसरा क्षेत्र शिक्षा तथा रोजगार सृजन का है। ऑनलाइन सेल तथा डिलीवरी जैसे नए उद्यमों को विकसित किया जाना चाहिए। इसे रोजगार का विस्तार करना चाहिए तथा बाइक व अन्य वाहनों के संचालन में कार्बन उत्सर्जन को घटाना चाहिए। घर-घर में चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए बड़े पैमाने पर पूंजी निवेश होना चाहिए जिससे अस्पतालों, क्लीनिकों व ऐसे ही अन्य निकायों का बोझ कम हो। ग्रामीण व फील्ड कार्य में नौजवान मेडिकल ग्रेजुएट्स को तैनात किया जाना चाहिए। इससे जहां स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी, वहीं रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। इसे विकेंद्रीकृत किया जाना चाहिए, न कि केवल अस्पतालों व क्लीनिकों पर केंद्रित होना चाहिए। ऐसे केंद्रों को कम संख्या में विजिट करना चाहिए। इसी तरह कालेजों व स्कूलों को शिफ्ट में काम करना चाहिए। आधे समय उन्हें संगठन में होना चाहिए, जैसे कि शिक्षकों द्वारा सुविधा के लिए निर्णय किया गया हो, तथा आधे समय उन्हें घर से ऑनलाइन कार्य करना चाहिए। ऑन एंड ऑफ कैम्पस वैकल्पिक दिवस बनाना और भी अच्छा हो सकता है। स्वास्थ्य व शिक्षा का संचालन बिना किसी बाधा के होना चाहिए तथा इन्हें संशोधित उपस्थिति व मूवमेंट में होना चाहिए। चौथा क्षेत्र मूलभूत ढांचे के विकास से संबंधित है। सड़कों, पोर्ट्स व हवाई अड्डों के निर्माण के साथ-साथ भारत को अनुसंधान के लिए शैक्षिक प्रयोगशालाओं व पुस्तकालयों के निर्माण पर जोर देना चाहिए। ग्रामीण विकास को प्राथमिकता मिलनी चाहिए, गांवों में कृषि व विपणन केंद्रों को विकसित किया जाना चाहिए। यहां गिनवाए गए चार बड़े क्षेत्रों के अलावा विकास के अन्य क्षेत्रों में भी काम करने की जरूरत है। उद्यमियों को आसान कर्ज दिए जाने चाहिए तथा कर्ज लेने की प्रक्रिया में दुश्वारियां नहीं होनी चाहिएं। सभी बैंकिंग गतिविधियों में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना भी जरूरी है। प्रवासी मजदूरों का मसला क्योंकि बहुत बड़ा तथा महत्त्वपूर्ण है, अतः उन्हें रोजगार दिलाने के लिए प्राथमिकता से काम करना होगा। मैं पहले भी सुझाव दे चुका हूं कि प्रवासी मजदूरों के लिए सहकारी समिति या गैर सरकारी संगठन का निर्माण होना चाहिए। यह निर्माण सरकार की सहायता से हो, किंतु इसे सरकारी निकाय के रूप में काम नहीं करना चाहिए। इस संगठन का काम होगा मजदूरों का पंजीकरण करके आवश्यक लेबर उपलब्ध करवाना तथा जरूरत पड़ने पर मजदूरों की मदद करना। मांग के आधार पर लेबर की आपूर्ति की जा सकती है। कोरोना वायरस के दुष्प्रभावों से बाहर आने में अभी कुछ समय लग सकता है, किंतु तथ्य यह है कि यह दीवार पर लिख दिया गया है कि हम इस जंग को अवश्य जीतेंगे। न्यूजीलैंड पहले ही अपने को संक्रमण-मुक्त घोषित कर चुका है। हमें अच्छे दिनों की आशा करनी चाहिए।

ई-मेलः singhnk7@gmail.com


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