हिमाचल में खेल विंग कब खुलेंगे: भूपिंदर सिंह, राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक

By: Jun 19th, 2020 12:06 am

भूपिंदर सिंह

राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक

प्रतिभा व सुविधा के अनुसार हिमाचल प्रदेश के विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में भी सरकार खेल विंग खोलती है तो भविष्य में हिमाचल के खिलाड़ी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं। हिमाचल प्रदेश के कई महाविद्यालयों के पास अंतरराष्ट्रीय स्तर का खेल ढांचा तैयार खड़ा यूं ही बेकार हो रहा है। इस कॉलम के माध्यम से पहले भी इस विषय पर बहुत बार लिखा जा चुका है, मगर सरकार का रवैया उदासीन रहा है। खेल विंगों के लिए सरकार को कोई खेल ढांचा खड़ा नहीं करना है…

पंजाब ने एक समय खेल विंगों के माध्यम से खेलों में श्रेष्ठतम स्थान प्राप्त किया हुआ था। प्रतिभा व सुविधा के अनुसार हिमाचल प्रदेश के विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में भी सरकार खेल विंग खोलती है तो भविष्य में  हिमाचल के खिलाड़ी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं। हिमाचल प्रदेश के कई महाविद्यालयों के पास अंतरराष्ट्रीय स्तर का खेल ढांचा तैयार खड़ा यूं ही बेकार हो रहा है। इस कॉलम के माध्यम से पहले भी इस विषय पर बहुत बार लिखा जा चुका है, मगर सरकार का रवैया उदासीन रहा है। खेल विंगों के लिए सरकार को न तो खेल ढांचा खड़ा करना पड़ता है और  न ही नया छात्रावास बनाना पड़ता है। केवल खेल विशेष का प्रशिक्षक और खिलाडि़यों के लिए खुराक व रहने का प्रबंध करना होता है जो आसानी से बहुत कम धन राशि खर्च करके हो सकता है। हिमाचल प्रदेश में विभिन्न खेलों का स्तर राज्य में खेल छात्रावासों के खुलने के बाद काफी सुधरा है। स्कूली स्तर पर खेल छात्रावासों को आज से तीन दशक पहले शुरू कर दिया गया था। पपरोला का बास्केटबॉल खेल छात्रावास तत्कालीन भारतीय खेल प्राधिकरण के प्रशिक्षक जन्म चंद कटोच के प्रशिक्षण में काफी फला-फूला था। स्कूली स्तर पर एशियाई प्रतियोगिता में कई खिलाडि़यों ने शिरकत की थी। सुरेश व सुरजीत जैसे अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी इसी प्रशिक्षण की देन हैं। हाकी में माजरा स्कूली खेल छात्रावास की लड़कियों ने पिछले कई वर्षों से राष्ट्रीय स्कूली खेलों में हिमाचल प्रदेश को पदक तालिका में स्थान दिलाया है। प्रशिक्षक चंद्र शेखर शर्मा के प्रशिक्षण को और अधिक धार मिल सकती है यदि इन लड़कियों को एस्ट्रोटर्फ मिले। क्या इस खेल छात्रावास को फिडिंग रख कर अच्छे खिलाडि़यों को एस्ट्रोटर्फ पर प्रशिक्षण के लिए ऊना में एक और नया स्कूल स्तर पर लड़के व लड़कियों के लिए छात्रावास जल्द ही हिमाचल प्रदेश के शिक्षा विभाग को खोलना चाहिए। हिमाचल प्रदेश के स्कूली लड़कों ने भी कुछ वर्ष पहले अंडर-17 वर्ष आयु वर्ग में हिमाचल प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर रजत पदक हासिल किया था। स्कूल स्तर की राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिमाचल प्रदेश का प्रदर्शन सम्मानजनक खेल छात्रावासों के कारण रहता है। हिमाचल प्रदेश में स्कूली स्तर पर पपरोला में लड़कों के लिए बास्केटबॉल, सुंदरनगर व नादौन में लड़कों की हाकी, माजरा में लड़कियां के लिए हाकी में खेल छात्रावास चल रहे हैं। वालीबाल में स्कूली स्तर पर प्रशिक्षण का अच्छा प्रबंध है। मतियाणा व रोहडू में लड़कों को तथा कोटखाई में लड़कियों के लिए खेल छात्रावासों को वर्षों पहले से शुरू किया गया है। रोहडू में फुटबाल का भी खेल छात्रावास है। इन छात्रावासों में अच्छे प्रशिक्षकों के साथ-साथ खेल सुविधाओं में काफी सुधार की जरूरत है। हिमाचल प्रदेश में भारतीय खेल प्राधिकरण ने तीस वर्ष पहले शिलारू में विशेष खेल क्षेत्र योजना के अंतर्गत खेल छात्रावास शुरू किया था जो राष्ट्रीय स्तर पर अच्छे परिणाम देने के बावजूद बंद हो गया था। उसी समय बिलासपुर व धर्मशाला में भारतीय खेल प्राधिकरण ने खेल छात्रावासों की शुरुआत की और ये आज तक चल रहे हैं। बिलासपुर में साई के तत्कालीन वालीबाल प्रशिक्षक स्वर्गीय एनके शर्मा ने बंगाणा क्षेत्र के सुरजीत सहित कई अंतरराष्ट्रीय खिलाडि़यों को तराश कर भविष्य के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया है। कबड्डी में साई प्रशिक्षकों में नंदलाल ठाकुर व जयपाल चंदेल ने अपने-अपने कार्यकाल में अच्छा प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया है। एथलेटिक्स में स्वर्गीय बलदेव सिंह एजीआर मेहता व स्वर्गीय सतीष कुमार ने यहां से अच्छे धावक व धाविकाओं को प्रशिक्षित कर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर का सफर तय करवाया है। अंतरराष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी पदमश्री व अर्जुन अवार्ड से सम्मानित अजय ठाकुर व धावक अमन सैनी बिलासपुर साई खेल छात्रावास की देन हैं। धर्मशाला खेल छात्रावास से साई प्रशिक्षक मेहर चंद वर्मा ने कबड्डी में पूजा ठाकुर व कविता ठाकुर को एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता टीम का सदस्य बनने का सफर अपने प्रशिक्षण कार्यक्रम से पूरा करवाया है। एथलीट प्रशिक्षक केहर सिंह पटियाल का प्रशिक्षण कार्यक्रम भी काफी  सफल रहा है। धाविका सीमा ने एशिया स्तर पर कांस्य पदक जीता है तथा यूथ ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने भी बिलासपुर व ऊना में विभिन्न खेलों के लिए छात्रावास चलाए हैं। बिलासपुर से महिला कबड्डी में पहले स्वर्गीय दौलत व उसके बाद रतन ठाकुर ने अच्छा प्रशिक्षण कार्यक्रम चला कर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक अच्छे परिणाम दिए हैं। एशिया स्तर पर पदक विजेता रितू नेगी सहित कई महिला खिलाडि़यों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। ऊना का राज्य खेल छात्रावास वह खेल परिणाम अभी तक नहीं दे पाया है जिसकी इससे अपेक्षा है। निजी स्तर पर नब्बे के दशक से सुंदरनगर में मुक्केबाजी तथा हमीरपुर में जूडो व एथलेटिक्स पर प्रशिक्षण कार्यक्रम जो शुरू हुआ था, उसी से मुक्केबाजी में परशुराम अवार्ड से सम्मानित शिव चौधरी व आशीष चौधरी के लिए आधार प्रशिक्षक नरेश कुमार ने तैयार किया। हमीरपुर से जूडो में परशुराम अवार्डी नूतन को प्रशिक्षक कुलदीप शर्मा ने तराशा था। हमीरपुर के एथलेटिक्स प्रशिक्षण कार्यक्रम से परशुराम अवार्डी पुष्पा ठाकुर ने तेज गति की दौड़ों में व संजो ठाकुर ने भाला प्रक्षेपण में राष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल प्रदेश को पहचान दिलाई है। स्नेह लता द्वारा चलाए गए हैंडबाल प्रशिक्षण कार्यक्रम से कई महिला खिलाडि़यों ने हिमाचल प्रदेश को कई बार पदकों से सजाते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया है। हिमाचल की खेलों के लिए स्नेह लता और उनके पति अंतरराष्ट्रीय हैंडबाल खिलाड़ी सचिन चौधरी उदाहरण पेश किए हुए हैं। अधिक से अधिक खेल विंग, छात्रावास व अकादमी से खेलों को गति मिलेगी।

ईमेलः Bhupindersinghhmr@gmail.com


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