नए प्लेटफार्म पर शिक्षक: प्रो. एनके सिंह, अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार

By: Jun 19th, 2020 12:06 am

प्रो. एनके सिंह

अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार

विभिन्न उपलब्ध इलेक्ट्रानिक ऐप्स के साथ शिक्षकों की भूमिका में विस्तार की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन मानव संवाद का कोई विकल्प नहीं है। मैं स्टीव जॉब्स के रूप में इलेक्ट्रानिक मीडिया के क्षेत्र में सबसे ज्यादा सृजनशील विचारक का उल्लेख करना चाहूंगा। किसी भी महत्त्वपूर्ण व्यक्ति में सबसे ज्यादा महत्त्व वाली चीज सृजनशीलता व नवाचार होते हैं। कोई व्यक्ति आपकी जिज्ञासा को प्रेरित कर सकता है, आपकी जिज्ञासा को शांत भी कर सकता है, किंतु जिस तरह व्यक्ति यह काम करता है, उस तरह मशीन काम नहीं कर सकती। भारत में उन गुरुओं का अदब होता है जो अपने शिष्यों का सही मार्गदर्शन करते हैं…

प्राचीन काल से ही पूरे विश्व में शिक्षक सभी अध्ययनों व परिवर्तनों का केंद्र रहा है। पूरा भारतीय दर्शन गुरु के नीति-वचनों से प्रकट होता है। रामायण और महाभारत शिक्षकों के उत्पाद हैं। चाणक्य का अर्थशास्त्र अभी भी अध्येयताओं के लिए एक क्लासिक मैनुअल है जिसे शिक्षक प्रयोग करते हैं। उपनिषद गुरु और शिष्य के मध्य संवाद हैं। शुरू से ही अगर द्रोणाचार्य ने अनुचित गुरु दक्षिणा न मांगी होती तो महाभारत में पूरा इतिहास कुछ और ही होता। सभी उनके ज्यादा दयालु होने की इच्छा करते हैं। गुरु महत्त्व रखते हैं तथा राजा उनके प्रति अवनत होते हैं। कोरोना ने मानवजाति को प्रभावित किया है। पूरा विश्व व्यथित हो गया क्योंकि इस महामारी से बचने का उसके पास कोई समाधान नहीं दिख रहा था। मानवजाति को बचाने की इच्छा की हर जगह बात होने लगी, बावजूद इसके कि कोरोना का चीनी कनेक्शन भी है। काम के पूरे विश्व ने इलेक्ट्रॉनिक लर्निंग व शिक्षण की संभाव्यता में ज्ञान के सबसे बढि़या वैकल्पिक स्रोत के रूप में तसल्ली देखी। मार्केट में कई उपकरण आए तथा कंपनियों ने डिजिटल उपकरणों से शिक्षकों को स्थानापन्न किया अथवा छात्रों तक पहुंचने के लिए शिक्षकों को अतिरिक्त सहायता उपलब्ध कराई, शिक्षकों की शारीरिक उपस्थिति के बिना यह काम किया गया। टेलीविजन और रेडियो का प्रयोग पहले से ही हो रहा था, लेकिन शिक्षा को इंटरेक्टिव प्लेटफार्म की जरूरत होती है ताकि वाद-विवाद तथा ज्ञान का संभव विनिमय हो सके। कई प्लेटफार्म उभरे और अभी भी सक्रिय हैं। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट टीम, वेबएक्स तथा कई अन्य दौड़ में हैं। हांगकांग में छात्रों, जो अभी तक नागरिक कलह के कारण कठिनाइयां झेल रहे थे, ने घर पर अध्ययन शुरू किया तथा कई लाख छात्रों ने इलेक्ट्रॉनिक ऐप ज्वाइन किया जो वर्चुअल क्लास रूम सुविधा उपलब्ध करवाते हैं। काफी समय पहले जब मैं मासट्रिच्ट स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, नीदरलैंड में पढ़ रहा था, हमें आउटरीच कोर्सेज का अनुभव हुआ। हमारे पास इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर इंटरेक्शन की सुविधा थी। किंतु अब कोरोना ने हमें इंटरनेट इंटरेक्शन के जरिए सूचना एकत्रित करने के ज्यादा चैनल उपलब्ध कराए हैं।

चीन में 120 मिलियन छात्र लाइव बोर्ड कास्टर्स के जरिए अध्ययन कर रहे हैं। रेडियो अध्यापन का परंपरागत स्रोत रहा है तथा यहां तक कि हमारे प्रधानमंत्री इसे मन की बात के लिए प्रयोग कर रहे हैं। इस कार्यक्रम को लाखों लोग सुनते हैं तथा प्रधानमंत्री ने सहभागिता अध्ययन उपलब्ध कराने की दृष्टि से सवाल-जवाब की श्रृंखला पेश की है। कोरोना ने शिक्षकों की मदद के लिए कई नए उत्पादों और सेवाओं के अवसर सृजित किए हैं। जरूरत इस बात की है कि हम शिक्षा की भावी कार्यप्रणाली पर काम करें जिसे अब ब्लेंडेड लर्निंग कहा जा रहा है। इसमें डिजिटल प्लेटफार्म तथा उपकरण शिक्षकों की वैयक्तिक उपस्थिति तथा विचार-विमर्श सहित मिश्रित हैं। भविष्यवाणी होने लगी है कि यह भविष्य की मैथ्ड़ोलॉजी के रूप में उभरेगा। अंशतः इसका प्रयोग पहले से हो रहा है, लेकिन अब जोर इस बात पर रहेगा कि ज्यादा उपकरण इस तरह के अध्यापन को सुविधाजनक बनाएंगे। शिक्षा के स्टेक होल्डर्स जैसे शिक्षक, छात्र ऐप सर्जक, प्रकाशक तथा शैक्षिक उत्पाद निर्माताओं को भविष्य की अध्ययन विधि को ज्यादा प्रभावकारी, उत्पादक और सृजनशील बनाने के लिए आगे आना होगा। सबसे अधिक यह कि इसे कास्ट इफेक्टिव होने की जरूरत है। क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया घरों में सक्रिय होगा, इसलिए लंबे फिजिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे भवन और ऑडिटोरियम की मांग में कमी आएगी। शिक्षा के क्षेत्र में तीन क्षेत्र आगे उमड़ रहे हैं। पहला है नवाचार, शिक्षकों के नजदीक अध्यापकों को लाना। इसके लिए वर्चुअल क्लास रूम की दोबारा रूपरेखा बनानी होगी। पहले से ही कई निर्माता कई विषयों को सीखने के लिए भिन्न-भिन्न कोर्स की पेशकश कर रहे हैं। पसंद का विस्तार हो रहा है तथा छात्र किसी भी शिक्षक तथा कोर्स के लिए पहुंच बना सकते हैं। ऐप्स और प्लेटफार्म्स की वैरायटी पहले ही मार्केट में है। दूसरा क्षेत्र है शिक्षा की ओपनिंग। यह काम शिक्षा में सरकारी और निजी काम के मध्य भिन्नता को कम करके किया जा सकता है। यह इसलिए कि ज्यादा नए स्रोतों की जरूरत पड़ेगी तथा बढ़े हुए उपकरणों व अध्ययनों की संभाव्यता के लिए सभी को कंधे से कंधा मिलाकर चलना होगा। पहले ही क्लासडूजो जैसे ऐप छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों को एक साथ ला चुके हैं। भविष्य में जब शिक्षा का विस्तार होगा तो ज्यादा निजी क्षेत्र की सहभागिता होगी। तीसरा क्षेत्र होगा होमवर्क के साथ स्मार्ट फोन जैसा नवाचार। शिक्षक कोर्स को डिलीवर करेंगे तथा छात्र इन्हें चुन सकते हैं तथा मान्यता पा सकते हैं। जूम वेबेक्स जैसे प्लेटफार्म्स बैठकें करने की संभावना उपलब्ध करा रहे हैं, यह ध्यान में रखे बगैर कि स्पीकर व छात्र कहां हैं, उनकी लोकेशन क्या है। हाल में मैंने उद्योगों की संभावना पर एक वेबिनार में भाग लिया। यह भविष्य के प्रबंधन स्नातकों के लिए था। इसमें देशभर के शिक्षकों तथा एडमिशन पर निर्भर करते हुए विभिन्न भागों के छात्रों ने भाग लिया। हिमाचल में बैठकर मैं एक ऐसी मीटिंग में सहभागिता कर रहा था जिसमें वाराणसी, दिल्ली और अन्य शहरों के लोग भाग ले रहे थे। ऐसा करके आदर्श तरीके से योग्यता का उपयोग किया जा सकता है तथा साथ ही कास्ट इफेक्टिव मैनर से कोर्स को डिलीवर किया जा सकता है। विभिन्न उपलब्ध इलेक्ट्रॉनिक ऐप्स के साथ शिक्षकों की भूमिका में विस्तार की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन मानव संवाद का कोई विकल्प नहीं है। मैं स्टीव जॉब्स के रूप में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के क्षेत्र में सबसे ज्यादा सृजनशील विचारक का उल्लेख करना चाहूंगा। किसी भी महत्त्वपूर्ण व्यक्ति में सबसे ज्यादा महत्त्व वाली चीज सृजनशीलता व नवाचार होते हैं। कोई व्यक्ति आपकी जिज्ञासा को प्रेरित कर सकता है, आपकी जिज्ञासा को शांत भी कर सकता है, किंतु जिस तरह व्यक्ति यह काम करता है, उस तरह मशीन काम नहीं कर सकती। भारत में उन गुरुओं का अदब होता है जो अपने शिष्यों का मार्गदर्शन करते हैं तथा उन्हें सही मार्ग दिखाने की जिम्मेदारी को वहन करते हैं। गुरु को अपने शिष्य का मिशन की प्राप्ति में मार्गदर्शन करना होता है। जबकि अध्यापन और अध्ययन के नए-नए उपकरण आ रहे हैं, गुरु-शिष्य की परंपरा बनी रहेगी तथा अब शिक्षक नए प्लेटफार्म पर होगा।

ई-मेलः singhnk7@gmail.com


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