छोटे उद्योग-कारोबार की चिंताएं

By: Jul 20th, 2020 12:07 am

डा. जयंतीलाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री

ऐसे में देश के उद्योग-कारोबार संगठनों के द्वारा चीन से आयात किए जाने वाले तथा देश के एमएसएमई पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे कोई 350 से अधिक चिन्हित उत्पादों के आयात पर सख्त गैर-शुल्क प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। खासतौर से प्रसंस्कृत खाद्य, कपड़े, चमड़ा, खेल का सामान, खिलौने, फर्नीचर, दवा, प्लास्टिक, टेलीविजन जैसे इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, एयर कंडीशनर और फ्रिज आदि के आयात पर प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए। यह भी जरूरी है कि उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय तथा नीति आयोग के द्वारा गैर जरूरी आयात कम करने की रणनीति को शीघ्रतापूर्वक अंतिम रूप दिया जाए। साथ ही भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के द्वारा भी उत्पादों के लिए कड़े मानक शीघ्रतापूर्वक सुनिश्चित किए जाएं…

इन दिनों राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हो रही विभिन्न रिपोर्टों के मुताबिक भारत में निगेटिव विकास दर की चुनौती के बीच सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। एमएसएमई को मजबूत बनाकर ही अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जा सकता है। हाल ही में विश्व बैंक ने कोविड-19 के संकट के कारण भारत में बुरी तरह से प्रभावित करीब 15 लाख सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों के पुनर्जीवन के लिए भारत को 75 करोड़ डॉलर दिए जाने की मंजूरी देते हुए कहा है कि भारत में एमएसएमई को मजबूत करके ही अर्थव्यवस्था को गतिशील किया जा सकता है। ज्ञातव्य है कि देश में करीब 6.30 करोड़ से अधिक की विशाल संख्या वाला एमएसएमई सेक्टर है। देश के कुल निर्यात में इस सेक्टर की हिस्सेदारी करीब 48 फीसदी है और देश की जीडीपी में इस सेक्टर का योगदान करीब 29 फीसदी का है। अतएव ऐसे महत्त्वपूर्ण ढहते हुए एमएसएमई सेक्टर में नई जान फूंकने के लिए इस समय चार अहम कदम तत्काल उठाए जाने जरूरी हैं। एक, आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 13 मई को घोषित राहतों को एमएसएमई की मुठ्ठियों में शीघ्रतापूर्वक कारगर तरीके से पहुंचाया जाए। दो, स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए गैर जरूरी उत्पादों पर उपयुक्त आयात प्रतिबंध लगाए जाएं। तीन, सरकार के द्वारा एमएसएमई के बकाया का भुगतान शीघ्र किए जाए। चार, एमएसएमई की निर्यातक इकाइयों को विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) में लाकर उन्हें लाभान्वित किया जाए। गौरतलब है कि देश के कोने-कोने में चुनौतियों का सामना कर रहे एमएसएमई सेक्टर को बचाने के लिए सरकार के द्वारा तीन लाख 70 हजार करोड़ रुपए के अभूतपूर्व राहतकारी प्रावधान घोषित किए गए हैं।

इनमें से इस क्षेत्र की इकाइयों को तीन लाख करोड़ रुपए का गारंटी मुक्त कर्ज दिए जाने जैसी कई राहतें शामिल हैं। लेकिन ऐसी राहतों के लिए उपयुक्त क्रियान्वयन न होने के कारण एमएसएमई गंभीर चुनौतियों के दौर में से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। एमएसएमई आपूर्तिकर्ताओं से भुगतान प्राप्त न होने से परेशान हैं। विभिन्न मुश्किलों के कारण लॉकडाउन समाप्त होने के बाद भी आधे से अधिक एमएसएमई इकाइयां उत्पादन शुरू नहीं कर पाई हैं। जिनमें काम शुरू हुआ है, वे भी काफी कम क्षमता के साथ परिचालन कर रही हैं। यद्यपि सरकार ने एमएसएमई की इकाइयों के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत बैंकों के जरिए बगैर किसी जमानत के आसान ऋण सहित कई राहतों का पैकेज घोषित किया है, लेकिन अधिकांश बैंक ऋण डूबने की आशंका के मद्देनजर ऋण देने से पीछे हटते हुए भी दिखाई दे रहे हैं। स्थिति यह है कि एमएसएमई के लिए मई में घोषित तीन लाख करोड़ रुपए में से जुलाई 2020 के पहले सप्ताह तक करीब 61 हजार करोड़ रुपए ही ऋण के रूप में वितरित किए जा सके हैं। चूंकि देश में कार्यरत एमएसएमई में से करीब 99 फीसदी सूक्ष्म श्रेणी के हैं और उनमें से अधिकांश औपचारिक बैंकिंग व्यवस्था के अधीन नहीं हैं, अतएव उन्हें सरकारी राहतों के मिलने में कठिनाई आ रही है। ऐसे में एक ओर शीघ्रतापूर्वक ऐसी सुसंगत और सुसंगठित व्यवस्था बनाई जानी चाहिए, जिसके तहत सूक्ष्म औद्योगिक इकाइयों सहित सभी एमएसएमई को आर्थिक पैकेज का लाभ मिल सके। गौरतलब है कि सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत आयात पर निर्भरता घटाने और स्थानीय सामान के उत्पादन तथा मांग को बढ़ावा देने पर जोर दिया है। इसी परिप्रेक्ष्य में केंद्र सरकार ने सरकारी विभागों और मंत्रालयों को चीन के आपूर्तिकर्ताओं के किसी सामान के चयन या खरीददारी से दूर रहने का अनौपचारिक निर्देश दिया है। ऐसे में देश के उद्योग-कारोबार संगठनों के द्वारा चीन से आयात किए जाने वाले तथा देश के एमएसएमई पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे कोई 350 से अधिक चिन्हित उत्पादों के आयात पर सख्त गैर-शुल्क प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। खासतौर से प्रसंस्कृत खाद्य, कपड़े, चमड़ा, खेल का सामान, खिलौने, फर्नीचर, दवा, प्लास्टिक, टेलीविजन जैसे इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, एयर कंडीशनर और फ्रिज आदि के आयात पर प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए। यह भी जरूरी है कि उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय तथा नीति आयोग के द्वारा गैर जरूरी आयात कम करने की रणनीति को शीघ्रतापूर्वक अंतिम रूप दिया जाए। साथ ही भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के द्वारा भी उत्पादों के लिए कड़े मानक शीघ्रतापूर्वक सुनिश्चित किए जाएं। कोविड-19 के बीच एमएसएमई को विपरीत परिस्थितियों से बाहर निकालने के लिए यह भी जरूरी है कि एमएसएमई की केंद्र सरकार, विभिन्न केंद्रीय विभागों तथा राज्य सरकारों के पास जो बकाया धनराशि है, उसका भुगतान एमएसएमई को शीघ्र किया जाए। यद्यपि वित्तमंत्री ने कोई दो माह पहले मई 2020 में ऐसा बकाया भुगतान 45 दिन में चुका दिए जाने की घोषणा की है, लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में एमएसएमई की मुठ्ठियों में बकाया भुगतान नहीं आया है। ऐसे में जरूरी है कि केंद्र एवं राज्य सरकारें एमएसएमई के बकाया भुगतान के लिए प्राथमिकता से आगे बढ़ें। साथ ही यह भी जरूरी है कि दिवालिया संकट का सामना कर रही एमएसएमई को राहत देने के लिए केंद्र सरकार शीघ्र ही इंसाल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) के तहत स्पेशल स्कीम को मूर्तरूप दे। उल्लेखनीय है कि एमएसएमई सेक्टर की निर्यातक इकाइयों को अधिकतम प्रोत्साहन देने के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र यानी स्पेशल इकोनॉमिक जोन (सेज) को प्रभावी बनाने की जरूरत अनुभव की जा रही है। देश में मार्च 2020 के अंत तक 238 सेज के तहत 5000 से अधिक औद्योगिक इकाइयां काम कर रही हैं। सेज में करीब 5.37 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया गया है। पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में सेज इकाइयों से करीब 7.85 लाख करोड़ रुपए का निर्यात किया गया था। विभिन्न अध्ययन रिपोर्टों में पाया गया है कि देश में जितने सेज हैं, उनमें आधे से अधिक बेकार पड़े हैं और निर्यात बढ़ाने में सेज अधिक उपयोगिता सिद्ध नहीं कर पाए हैं। ऐसे में यदि सरकार सेज को उपयोगी बनाने और देश में आधे से ज्यादा बेकार पड़े सेज को सक्रिय बनाने की डगर पर आगे बढ़ेगी, तो इससे एमएसएमई सेक्टर की निर्यातक इकाइयों को लाभ होगा। हम उम्मीद करें कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत सरकार ने एमएसएमई में नई जान फूंकने के लिए जो अभूतपूर्व घोषणाएं की हैं, उनका कारगर क्रियान्वयन के साथ-साथ चीन से आयात किए जा रहे गैर जरूरी उत्पादों पर आयात प्रतिबंध तथा सरकार के द्वारा एमएसएमई को बकाया भुगतान सुनिश्चित किया जाना देश की एमएसएमई इकाइयों के लिए संजीवनी का काम करेगा। इससे निश्चित रूप से इस समय ठप पड़ी देश की अर्थव्यवस्था गतिशील हो सकेगी।


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