भांग के आयुर्वेदिक गुण

By: Oct 3rd, 2020 12:20 am

भांग चरस या गांजे की लत शरीर को नुकसान पहुंचाती है। लेकिन इसकी सही डोज कई बीमारियों से बचा सकती है। इसकी पुष्टि विज्ञान भी कर चुका है। आमतौर पर भांग को लोग नशे में इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इसके कुछ ऐसे पौधे होते हैं, जिनमें औषधीय गुण पाए जाते हैं। जिसका इस्तेमाल दवा के रूप में भी किया जाता है।

भांग का इस्तेमाल कैंसर, मिर्गी और स्किल सेल रोग के उपचार में किया जाता है। औषधीय गुण वाले भांग में कैनाबिनाइड्यस (सीबीडी) मौजूद होता है जो कीमोथैरेपी के साइडइफेक्ट को कम करता है। जिससे मरीजों को भूख बढ़ने, चिड़चिड़ापन कम, उल्टी जैसी परेशानी कम हो सकती है। यही नहीं भांग से बनी दवा कैंसर मरीजों के मूड को भी बेहतर बनाती है। भांग से बनी दवा का इस्तेमाल कई मानसिक बीमारियों में किया जाता है।

चक्कर से बचाव

2013 में वर्जीनिया की कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने यह साबित किया कि गांजे में मिलने वाले तत्त्व एपिलेप्सी अटैक को टाल सकते हैं। यह शोध साइंस पत्रिका में भी छपा। रिपोर्ट के मुताबिक कैनाबिनाइड्स कंपाउंड इनसान को शांति का एहसास देने वाले मस्तिष्क के हिस्से की कोशिकाओं को जोड़ते हैं।

कैंसर पर असर

2015 में आखिरकार अमरीका सरकार ने माना कि भांग कैंसर से लड़ने में सक्षम है। अमरीका की सरकारी वेबसाइट कैंसर ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक कैनाबिनाइड्स तत्त्व कैंसर कोशिकाओं को मारने में सक्षम हैं। यह ट्यूमर के विकास के लिए जरूरी रक्त कोशिकाओं को रोक देते हैं। कैनाबिनाइड्स से कोलन कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और लिवर कैंसर का सफल इलाज होता है।

प्रतिरोधी तंत्र की बीमारियों से राहत

कभी कभार हमारा प्रतिरोधी तंत्र रोगों से लड़ते हुए स्वस्थ कोशिकाओं को भी मारने लगता है। इससे अंगों में इन्फेक्शन फैल जाता है। इसे ऑटोइम्यून बीमारी कहते हैं। 2014 में साउथ कैरोलाइना यूनिवर्सिटी ने यह साबित किया कि भांग में मिलने वाला टीएचसीए संक्रमण फैलाने के लिए जिम्मेदार मॉलिक्यूल का डीएनए बदल देता है। तब से ऑटोइम्यून के मरीजों को भांग की खुराक दी जाती है।


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