आध्यात्मिक मार्ग

By: Jan 23rd, 2021 12:20 am

सद्गुरु  जग्गी वासुदेव

ऊपरी तौर पर खुशी है, पर कहीं गहरे में, हर चीज में, अंदर एक पीड़ा है, कोई दुख है। ये दुख सिर्फ  इसीलिए है कि इस दबे हुए जीव को हमेशा एक गहरी चाह है। पर, इस दुख के बारे में जागरूक होने में भी लोगों को कई जन्मों का समय लग जाता है। आध्यात्मिक मार्ग पर आने का मतलब है कि आप अपने दुख, अपनी पीड़ा के बारे में जागरूक हो गए हैं…

जब आप आध्यात्मिक मार्ग पर आते हैं, तो सब कुछ गड़बड़ हो जाता है, हर चीज पर सवाल उठता है। आप ये नहीं जानते कि आप कहां खड़े हैं। आप कुछ नहीं जानते। आध्यात्मिकता के बारे में कुछ भी जानने से पहले आप कम से कम आराम में थे। अपने आप में संतुष्ट थे। सुबह नाश्ता करते थे, कॉफी पीते थे और आपको लगता था कि बस यही सब कुछ है। अब किसी चीज से कोई फर्क नहीं पड़ता। किसी बात का कोई महत्त्व नहीं है। आपको खाने, सोने या कुछ भी करने की इच्छा नहीं होती क्योंकि कोई भी चीज अब किसी मतलब की नहीं लगती। सही बात तो ये है कि कभी भी इसका कोई मतलब नहीं था। पर आप बस अपने आपको धोखा दे कर सोचते थे कि यही सब कुछ था।  अगर सही में कोई मतलब होता तो ये सब कैसे चला जाता? अगर सही में आपको पता होता कि ये सब क्या है, तो आप उलझन में क्यों होते? अगर आज आप उलझन में हैं, तो मतलब यही है कि पहले आप कुछ नहीं जानते थे। बस अपने आराम और अपनी सुरक्षा के लिए आपने गलत निष्कर्ष निकाल कर  रखे थे।

अगर आपको आराम ही चाहिए, तो अपने आपको, मानसिक रूप से ये मानने को तैयार कर लेना चाहिए कि आप शत-प्रतिशत सही हैं, ये कि आपके जीवन के साथ सब कुछ सही चल रहा है। मेरा घर अच्छा है, मेरा पति बहुत बढि़या है, मेरा जीवन बहुत अच्छा चल रहा है, मेरे बच्चे अद्भुत हैं, यही सब कुछ है। यही जीवन है। आपको अपने आपको रोज ये बताना चाहिए और इसी के साथ जीना चाहिए। ये बहुत अच्छा होगा, इसमें कुछ गलत नहीं है। बात बस यह है कि यह सब बहुत सीमित है और जीवन कभी भी, किसी भी ऐसी चीज के साथ हमेशा नहीं रह सकता जो सीमित हो। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कितने तरीकों से आप अपने आपको बेवकूफ बनाने की कोशिश करते हैं, आप में, कहीं न कहीं, असीमित की चाह है। आपको, अपने जीवन में, जितनी भी खुशियां मिलीं हैं, उन पर सावधानी से ध्यान दीजिए।  ऊपरी तौर पर खुशी है, पर कहीं गहरे में, हर चीज में, अंदर एक पीड़ा है, कोई दुख है। ये दुख सिर्फ  इसीलिए है कि इस दबे हुए जीव को हमेशा एक गहरी चाह है। पर, इस दुख के बारे में जागरूक होने में भी लोगों को कई जन्मों का समय लग जाता है। आध्यात्मिक मार्ग पर आने का मतलब है कि आप अपने दुख, अपनी पीड़ा के बारे में जागरूक हो गए हैं। जागरूकता के बिना, बेहोशी में, आप दुख भोग रहे थे। अब, आप इसके बारे में जागरूक हो गए हैं। जागरूकता की अवस्था में होने वाली पीड़ा, बिना जागरूकता के हो रही पीड़ा से ज्यादा गहरी होती है। पर यह अच्छी है। कम से कम, आप इसके बारे में जागरूक तो हैं। जब तक आप जागरूक नहीं होते, यह पीड़ा हमेशा बनी रहेगी। जब आप जागरूक हो जाते हैं, तो पीड़ा हमेशा के लिए नहीं रहेगी। एक संभावना तो है ही, है कि नहीं?


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