सैन्य क्षमता एवं हथियार

By: Mar 13th, 2021 12:06 am

कर्नल (रि.) मनीष धीमान

स्वतंत्र लेखक

पिछले सप्ताह की अगर मुख्य गतिविधियों पर नजर डाली जाए तो महिला दिवस और शिवरात्रि के महापर्व के साथ-साथ जो कुछ मुख्य घटनाएं हुईं, उनमें पांच राज्यों में होने वाले चुनाव मुख्य खबर रहे। इसी संदर्भ में अगर अतीत के एक वर्ष का भी आकलन करें तो भी कोरोना के अलावा जो मोटे तौर पर चर्चा में रहा, वह चुनाव गतिविधियां ही रही। ऐसा प्रतीत होता है जैसे हमारी दैनिक दिनचर्या के अलावा राजनीति हमारी जिंदगी का एक मुख्य हिस्सा बन गई है। कोई भी इनसान इसमें रुचि दिखाए या नहीं, पर इसमें चर्चा करने पर बाधित रहता है और हो भी क्यों नहीं क्योंकि शायद राजनीतिक चुनाव के बाद चुना हुआ व्यक्ति एक निर्धारित समय के लिए हमसे जुड़ी हर चीज का कर्णधार बन जाता है और कर्णधार बनना, चाहे कुछ भी कहो, एक सम्मानजनक उपाधि है जिसको हासिल करने के लिए हर नेता, राजनेता चुनाव के दौरान अपनी क्षमता का प्रदर्शन करता है।

उसी तरह देश की तरक्की के लिए और विश्व में अपनी क्षमता का डंका बजवाने के लिए अच्छे राजनेता होने के साथ-साथ सेना का क्षमतावान होना अति आवश्यक है। राजनेता तथा ब्यूरोक्रेट्स अच्छे कानून बनाकर देश की स्थिति को सुदृढ़ करते हैं तो क्षमतावान सेना देश के हर नागरिक और देश की सीमाओं को सुरक्षा प्रदान करती है। भारतीय सेना ने भी अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ाने के लिए थल सेना के मुख्य अंग पैदल सेना को और भी सक्षम बनाने के लिए उनके लिए हथियार खरीदने का निर्णय लिया है। पिछले काफी वर्षों से भारतीय सीमाओं को ध्यान में रखते हुए ज्यादातर फोकस टैंक, मिसाइल, आरटी गन आदि बडे़ हथियारों की खरीददारी पर रखा गया और उस अंग की क्षमता आज इतनी बढ़ गई है कि आज सेना का यह हिस्सा न केवल  मरुस्थल तथा मैदानी इलाकों में लड़ सकता है, अपितु पहाड़ी और बर्फीली जगहों पर जिन क्षेत्रों पर लड़ने के लिए पहले मात्र पैदल सेना ही उपयोग में लाई जाती थी, उन जगहों पर आज भारतीय सेना का टैंक रिसाला भी उतना ही सक्षम हो चुका है।

 पर फिर भी मुख्य मुद्दा यह है कि भारत की भौगोलिक संरचना इस तरह की है कि हर तरह की क्षमता होने के बावजूद कुछ जगहों पर मात्र पैदल सेना ही काम कर सकती है। उसी को ध्यान में रखते हुए भारत की करीब 12 लाख की पैदल सेना जिसमें 380 इन्फेंट्री और 63 राष्ट्रीय राइफल की बटालियन हैं, को आधुनिक और अधिक क्षमतावान बनाने के लिए 9.5 लाख असाल्ट राइफल, 4.6 लाख कारबाइन और करीब 57000 तक की एलएमजी (लाइट मशीन गन) की जरूरत है। इस जरूरत को पूरा करने के लिए भारत मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट को शुरू कर रहा है जिसमें इजरायल, रूस, जापान व फ्रांस आदि वैपन मैनूफैक्चरिंग में अव्वल देशों के साथ कोलैबोरेशन करके ककुछ खरीदकर तो कुछ अपने देश में ही तैयार कर पैदल सेना को जरूरत अनुसार हथियार मुहैया कराना चाहता है। आशा है कि आने वाले कुछ समय में ये हथियार सेना को मिल जाएंगे जिससे भारतीय सेना का यह महत्त्वपूर्ण अंग और भी क्षमतावान हो जाएगा। विश्व की दूसरी सबसे बड़ी सेना क्षमता में भी विश्व की मुख्य सेनाओं में अपना डंका बजवाएगी।


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