सेना, संवैधानिक पद, पार्टी

By: Apr 24th, 2021 12:06 am

कोरोना की दूसरी लहर पिछले वर्ष से भी ज्यादा भयावह प्रतीत हो रही है। पिछले वर्ष जब मार्च महीने में कोरोना ने भारत में अपने पैर पसारना शुरू किए थे, उस वक्त एहतियात के तौर पर सही निर्णय न लेने की वजह से सरकार ने इस महामारी को हल्के में लिया तथा नमस्ते ट्रंप एवं मध्य प्रदेश सरकार बनाने के चक्कर में भीड़ लगाने की अनुमति देते रहे और जब इस महामारी ने अपने पैर पसार दिए तब आनन-फानन में तालाबंदी करके आम लोगों की मुसीबतों को और बढ़ा दिया। ताली और थाली बजाने को तथाकथित बुद्धिजीवी लोगों ने भी बढ़-चढ़कर इस बीमारी से निजात पाने का जरिया समझा। उस वक्त अगर किसी ने सरकार के इस निर्णय पर तर्कसंगत विचार व्यक्त करने की कोशिश की तो उसको देश विरोधी माना गया और पूरी कोशिश की गई कि इस महामारी को फैलाने का जिम्मा एक जमात पर डाला जाए। जैसे-तैसे समय बीत गया, लोग इस बीमारी से जूझ कर बाहर आए, थोड़ा लगने लगा कि हालात सामान्य होने वाले हैं।

 रेमडेसिविर कुछ हद तक कोरोना  के इलाज में कारगर साबित हुई और भारत की भी कुछ कंपनियों ने इसका उत्पादन शुरू कर दिया। कोविशिल्ड और कोवैक्सीन कोरोना से बचने का रामबाण है जिसे वैक्सीन के तौर पर कोरोना से लड़ने में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मददगार माना गया। यहां तक फिर भी सब सही था, पर दुख इस बात का है कि इन सब उपलब्धियों को भारत की जनसंख्या को देखते हुए उसकी उपयुक्त खेप अपने नागरिकों को उपलब्ध करवाने के बजाय विदेशों में इसका निर्यात करना थोड़ा तर्कसंगत नहीं दिखता है। पिछले साल नमस्ते ट्रंप और मध्य प्रदेश सरकार की वजह से फैले कोरोना से सबक न लेते हुए इस बार भी हरिद्वार में कुंभ का आयोजन तथा पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव, उसमें भी खासकर बंगाल के चुनावों को लंबा खींचना तथा हजारों लाखों की भीड़ इकट्ठा करके मात्र चुनाव जीतना एवं सरकार बनाना ही लक्ष्य रखना समझ से परे लग रहा है।

 संवैधानिक पद पर आसीन केंद्र तथा राज्यों की सरकारों के मुखिया मात्र पार्टी कार्यकर्ता बनकर चुनाव प्रचार में व्यस्त दिख रहे हैं, जबकि अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए रेमडेसिविर तथा ऑक्सीजन की कमी देखने को मिल रही है। आज जरूरत है देश के हर नागरिक को सोचने की, कि क्या संवैधानिक पद पर आसीन कोई भी व्यक्ति सिर्फ और सिर्फ अपनी पार्टी के लिए उत्तरदायी है या फिर उसकी जिम्मेदारी कुछ देश के नागरिकों के लिए भी बनती है। दिमाग की आंखें बंद करके किसी के द्वारा कही गई हर तरह की बात को सच मानना और उस पर तार्किक मत न देना आने वाली पीढ़ी के लिए हमारे अपने देश के स्वर्णिम भविष्य के लिए बहुत बड़ी मुश्किल पैदा करने वाला हो सकता है। इसी बीच हर मुश्किल में आगे बढ़कर देश के नागरिकों का साथ देने वाली भारतीय सेना ने इस महामारी के दौरान भी मदद करने की कोशिश की है। भारतीय सेना का दिल्ली के बेस अस्पताल को कोरोना मरीजों के लिए बनाने का फैसला तथा अन्य सैनिक अस्पतालों को भी कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए उपलब्ध करवाने की कोशिश काबिले-तारीफ है।

संपर्क :

कर्नल (रि.) मनीष धीमान, स्वतंत्र लेखक


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App