फिल्मी जगत में बुलंदियां छू रही किन्नौर की रेणु नेगी, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनाई पहचान

By: Jul 24th, 2021 12:08 am

प्रदेश के जनजातीय इलाके से निकल कर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनाई पहचान

राज्य ब्यूरो प्रमुख-शिमला

मंजिल उन्हें मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौसले से उड़ान होती है। ये पंक्तियां हिमाचल की रेणु नेगी के लिए सटीक बैठती हैं। जनजातीय इलाके किन्नौर से निकलकर फिल्म-मेकिंग में बड़ा नाम कमाने वाली रेणु नौजवानों के लिए प्रेरणा हैं। उनके काम को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है। विज्ञान से जुड़ी फिल्में बनाने के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं। रेणु नेगी हिमाचल प्रदेश की एकमात्र जनजातीय महिला फिल्म निर्माता हैं। हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला किन्नौर के गांव डबलिंग में पैदा हुई रेणु एक साधारण परिवार में पली-बढ़ीं। हिमाचल के इस बेहद खूबसूरत इलाके ने उन्हें प्रकृति के साथ प्रेम करना सिखाया। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद रेणु ने कुछ प्रसिद्ध फिल्म निर्माताओं के साथ काम किया और फिल्म निर्माण की बारीकियां सीखीं।

फिर स्वतंत्र रूप से अपने काम की शुरुआत की। सबसे पहले दूरदर्शन दिल्ली के लिए हिमाचली लोक नृत्यों के कुछ कार्यक्रम बनाए। साल 1997 में एक बड़ा कदम उठाया और फिल्म निर्माण की शुरुआत की। हिमाचल पर्यटन, कला, संस्कृति और स्वास्थ्य से संबंधित फिल्में बनाईं, जिन्हें उस वक्त के फिल्म-मेकर बनाने से कतराते थे। धीरे-धीरे उन्होंने मेनस्ट्रीम मीडिया को चुना। मेनस्ट्रीम मीडिया नई दिल्ली में था। ये यात्रा शुरुआत में मुश्किल थी। जनजातीय पृष्ठभूमि से होने के कारण करियर की शुरुआत में रेणु को कम आंका गया। रेणु ने कमी को ताकत में बदला। जिन जनजातीय विषयों पर फिल्में बनाने से लोग कतराया करते थे, उन्होंने उसी क्षेत्र में काम किया। साल 1998 में रेणु भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के लिए बतौर फिल्म-मेकर काम करने लगीं। 1998 में अपना प्रोडक्शन हाउस खोलने के बाद लगातार फिल्में और सीरीज बना रही हैं। रेणु बताती हैं कि उन्हें उनके परिवार का पूरा साथ मिला। रेणु के पति हिमाचल के सरकारी मेडिकल कालेज में चिकित्सक के पद पर सेवाएं दे रहे हैं। दंपति के दो बच्चे हैं।

गद्दी-गुज्जरों पर बनाई फिल्में

रेणु की कंपनी ने हिमाचल प्रदेश की जनजातियों- लाहौला, पंगवाला, किन्नौरा, गद्दी और गुज्जरों पर फिल्में बनाई हैं। उत्तराखंड की बक्सा जनजाति, मध्य प्रदेश भील, गोंड, बैगा जनजाति एवं देश के पूर्वोत्तर में रहने वाली जनजातियों का जीवन भी फिल्म के माध्यम से रेणु ने दिखाया है। निशि जनजाति से जुड़ी फिल्म ‘एक निशि औरत की कहानीÓ बनाई थी। इसके अलावा मिशमी, खामटी, शेरडुकपेन, और मेघालय की खासी जनजातियों से जुड़ी सीरीज़ ‘वापसीÓ भी बनाई है। रेणु ने भारत के जनजातीय संगीत, वाद्ययंत्रों आदि पर काल्पनिक धारावाहिक और शॉर्ट फिल्में बनाई हैं जिनका प्रसारण डीडी नेशनल पर ‘जनजाति दर्पणÓ नाम के साप्ताहिक कार्यक्रमों में हुआ है। आज कल आरडीएन प्रोडक्शन ‘इंडीजनÓ (ह्यूमन जिनोम) पर वृतचित्र बना रहा है।

24 साल में 95 से ज्यादा कार्यक्रम

रेणु के पास फिल्मों के ज़रिए कहानियां सुनाने का लंबा अनुभव है। अपने 24 साल के करियर में उन्होंने 95 से ज्य़ादा कार्यक्रम बनाए हैं। आजकल रेणु की कंपनी आरएन प्रोडक्शन विज्ञान-आधारित कार्यक्रम भी बना रही है, जिनका प्रसारण विज्ञान के लिए समर्पित नए चैनल- डीडी साइंस पर किया जाएगा। रेणु उन चुनिंदा फिल्म मेकर्स में से है, जिन्हें डीडी साइंस के लिए शुरुआती फिल्में बनाने के लिए चुना गया है। विज्ञान आधारित उनकी फिल्म ‘याक द शिप ऑफ माउंटेंसÓ के लिए उन्हें दो राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।


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