जमीन रजिस्ट्री में लाखों की हेरा-फेरी

By: Feb 8th, 2022 12:01 am

गगरेट की कलोह उपतहसील में ऑडिट के दौरान सामने आई सच्चाई

स्टाफ रिपोर्टर—गगरेट

जमीनी सौदों में औसत व्यय में हेर-फेर कर रजिस्ट्री करवाने वालों पर अब ऑडिटर जनरल से आए ऑडिटर की गाज गिरी है। उप-तहसील कार्यालय कलोह स्थित गगरेट का ऑडिट करने पर लाखों रुपए के राजस्व का चूना लगाने का पता चला है। कई लोगों की रिकवरी तो लाखों रुपए में बन रही है। ऐसे में अब उप-तहसील कार्यालय से सरकारी राजस्व का चूना लगाने वालों को नोटिस जारी कर तय रिकवरी की राशि उप -कोषागार में जमा करवा कर तय समयावधि तक रसीद उप-तहसील कार्यालय में दिखाने को कहा है। पूर्व कांग्रेस सरकार के दौरान उपतहसील कलोह स्थित गगरेट को खोला गया था। यहां पर जमीनी रजिस्ट्रियां भी औसत से ज्यादा ही होती हैं। औसत व्यय कम दर्शा कर सरकारी राजस्व को चूना लगाने के इस खेल का पता तब चला जब उप-तहसील कार्यालय का ऑडिट हुआ।

ऑडिट में पाया गया कि कई मामलों में जमीनी सौदे के दौरान औसत व्यय कम दर्शाइ गई है। जाहिर है कि राजस्व विभाग के जमीन की किस्म व उसकी सड़क मार्ग या मुख्य मार्ग से दूरी के हिसाब से जमीन को तीन वर्गों में विभाजित किया है। सड़क मार्ग के साथ लगती जमीन की औसत व्यय सबसे ज्यादा है और सड़क से जैसे-जैसे दूरी बढ़ती जाती है वैसे-वैसे औसत व्यय भी कम होती जाती है। जमीन की रजिस्ट्री करवाते समय इसी बात को छुपाते हुए कई मामलों में औसत व्यय कम दर्शाई गई है। जब इसका ऑडिट किया गया तो कई मामले पकड़ में आए। कई मामलों में करीब 15 से बीस लाख रुपए का चूना सरकारी राजस्व को लगाया गया है। राशि जमा न करवाने पर संबंधित व्यक्ति को कानूनी कार्रवाई का भी सामना करना पड़ सकता है।

जमीनी सौदों में छिपाई जमीन की असल औसत

नायब तहसीलदार परीक्षित नेगी ने बताया कि ऑडिट के दौरान इस बात का पता चला है कि कई जमीनी सौदों में जमीन की असल औसत व्यय को छुपाया गया है। ऐसे मामलों में नोटिस जारी कर तय राशि उप-कोषागार में जमा करवाने को कहा है।


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