भूरी सरसों का करें तेले से बचाव
गोभी में तेले-सुंडियों की रोकथाम के लिए मैलाथियान 50 ईसी का करें छिड़काव
कार्यालय संवाददाता — पालमपुर
भूरी सरसों व राया की फसल में इन दिनों तेले का अत्याधिक प्रकोप होता है। तेले की रोकथाम के लिए फसल पर साइपरमैथरिन-10 ईसी या मिथाइल डेमिटान 25 ईसी या 60 मिली डाइमिथोएट 30 ईसी ( 1.0 मिली प्रति लीटर पानी में) का छिड़काव करें। दवाई छिड़कने के बाद सरसों के पत्तों को साग के लिए प्रयोग न करें। गोभी प्रजाति की सब्जियों में तेले व सुंडियों के नियंत्रण के लिए मैलाथियान 50 ईसी (एक मिली प्रति लीटर पानी में) का छिड़काव करें। फूल तोडऩे के सात दिन पहले फसल पर छिड़काव न करें। प्याज के रोगों की रोकथाम के लिए इंडोफिल एम-45 या रिडोमिल एम जैड (25 ग्रा प्रति 10 लीटर पानी) का छिड़काव करें।
जिन क्षेत्रों में गेहूं की रतुआ संवेदनशील किस्मों में पीला रतुआ प्रकोप के आसार दिखते हैं, लक्षणों को देखते ही गेहूं की फसल में टिलट (प्रापिकोनाजोल) 25 ईसी का 0.1 प्रतिशत घोल यानी 30 मिली रसायन 30 लीटर पानी में घोलकर स्टिकर डालकर प्रति कनाल की दर से छिड़काव करें व 15 दिन के अंतराल पर इसे फिर से दोहराएं। प्रदेश कृषि विश्व विद्यालय के वैटरिनरी कालेज के वैज्ञानिकों के अनुसार पशुओं को कुतरा हुआ हरा चारा, सूखे चारे के साथ 10:1 के अनुपात में मिला कर खिलाएं। दाना मिश्रण में दो प्रतिशत खनिज लवण मिश्रण व एक प्रतिशत नमक मिलाएं। मौसम में पशु ज्यादा मद में देखे जाते हैं। अत: पशुओं में गरमाने के लक्षणों की ओर उचित ध्यान दें व ब्यांत के उपरांत दो-तीन महीने के बीच गर्भाधान करवाएं। पशुओं को इस महीने में खुरमूंही बीमारी का टीका अवश्य लगवा लें। बच्चों को परजीवियों से बचाव का ध्यान रखें व उनके भार का एक बटा 10वां भाग खीस प्रतिदिन की दर पिलाएं।
Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also, Download our Android App or iOS App