अब अर्थव्यवस्था में तेज सुधार

निःसंदेह अभी हमें कारोबार सुमगमता, नवाचार एवं प्रतिस्पर्धा के वर्तमान स्तर एवं विभिन्न वैश्विक रैंकिंग में आगे बढ़ते कदमों से संतुष्ट नहीं होना चाहिए। अभी इन विभिन्न क्षेत्रों में सुधार की जरूरत है…

23 जून को ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के 14वें शिखर सम्मेलन को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित करते हुए कहा कि ब्रिक्स देशों का आपसी सहयोग कोविड के नुकसान से उबरने में मददगार बन रहा है। ब्रिक्स देशों के साथ कारोबार तेजी से बढ़ने से भारतीय अर्थव्यवस्था लाभान्वित हो रही है। ज्ञातव्य है कि ब्रिक्स दुनिया के पांच सबसे बड़े विकासशील देशों- ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका को एक मंच पर लाता है। इन देशों की कुल हिस्सेदारी वैश्विक आबादी में 41 फीसदी, वैश्विक जीडीपी में 24 फीसदी और वैश्विक व्यापार में 16 फीसदी है। उल्लेखनीय है कि 22 जून को प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स बिजनेस फोरम को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में कोरोना काल के बाद जो सुधार और नवाचार हो रहा है, उसे पूरी दुनिया में रेखांकित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के इस साल 2022-23 में 7.5 फीसदी की दर से पूरी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। नए भारत में हर क्षेत्र में रूपांतरकारी बदलाव हो रहे हैं  और देश के आर्थिक सुधार का एक प्रमुख स्तंभ प्रौद्योगिकी आधारित वृद्धि है। देश में 100 से ज्यादा यूनीकॉर्न (एक लाख डॉलर से ज्यादा का कारोबार करने वाली नई कंपनियां) और 70 हजार स्टार्टअप हैं।

 भारत लगातार कारोबार करने के माहौल में सुधार कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में जितनी तेजी से डिजिटलीकरण हो रहा है, उतनी तेजी से दुनिया में कहीं भी नहीं हो रहा है। भारतीय डिजिटल अर्थव्यवस्था का आकार 2025 तक 1000 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा पाइपलाइन के तहत 1500 अरब डॉलर के निवेश के अवसर हैं। गौरतलब है कि यद्यपि इस समय वैश्विक मंदी की तेज लहर का भारत की अर्थव्यवस्था पर भी असर हो रहा है, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले 7-8 वर्षों में हुए आर्थिक सुधारों और नवाचार के कारण मंदी की लहर के बीच भी गतिशील है। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि इस समय जहां सेंसेक्स में बड़ी गिरावट है, डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत में भी भारी गिरावट है, ब्याज की बढ़ती दरों व पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण महंगाई का बढ़ा हुआ ग्राफ भी दिखाई दे रहा है, वहीं इन आर्थिक और वित्तीय चुनौतियों के बीच भी भारतीय अर्थव्यवस्था बुनियादी मजबूत आर्थिक घटकों के कारण हाल ही में प्रकाशित विभिन्न प्रमुख वैश्विक संगठनों की रिपोर्टों में सबसे तेज गति से बढ़नी वाली अर्थव्यवस्था के रूप में रेखांकित की जा रही है।

 उल्लेखनीय है कि 15 जून को प्रकाशित विश्व प्रसिद्ध इंस्टिट्यूट फॉर मैनेजमेंट डेवलपमेंट (आईएमडी) के वार्षिक वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक 2022 में जहां भारत ने एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज सुधार का तमगा प्राप्त किया है, वहीं वैश्विक रैंकिंग में भी भारत ने छह पायदान की जोरदार छलांग लगाई है। गौरतलब है कि वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित 63 देशों के इस आईएमडी सूचकांक 2022 में भारत 43वें से 37वें स्थान पर आ गया है। मुख्य रूप से आर्थिक मोर्चे पर प्रदर्शन में सुधार से प्रतिस्पर्धा के मामले में भारत की स्थिति सुधरी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत जिन चुनौतियों का सामना कर रहा है उनमें व्यापार रुकावटें और ऊर्जा सुरक्षा का प्रबंधन, महामारी के बाद सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि को बनाए रखना, कौशल विकास एवं रोजगार सृजन, संपत्ति का मौद्रीकरण, बुनियादी ढांचे के विकास के लिए संसाधन जुटाना शामिल हैं। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि पिछले दिनों जब अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों के द्वारा दुनिया के कई देशों की रेटिंग घटाकर नकारात्मक की गई है, तब भारत की रेटिंग में सुधार का संतोषजनक परिदृश्य दिखाई दे रहा है। दुनिया की तीनों बड़ी रेटिंग एजेंसियों फिच, मूडीज और एसएंडपी की नजर में भारत का लंबी अवधि का सॉवरिंन ऋण और आर्थिक परिदृश्य अब स्थिर हो गया है। 10 जून को रेटिंग एजेंसी फिच ने पिछले दो वर्षों से भारत को लगातार दी जा रही नकारात्मक रेटिंग को सुधारकर स्थिर रेटिंग में उन्नत किया है। फिच ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने कोरोना महामारी के बाद जोरदार वापसी की है। आर्थिक और वित्तीय सुधार लागू किए हैं। बुनियादी ढांचे पर बड़ा निवेश किया है। इन सब से निर्यात, निवेश और विकास दर बढ़ने में मदद मिल रही है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि 11 जून को अमेरिकी संसद में अमेरिका के कोषालय विभाग के द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना की तीन चिंताजनक लहरों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था ने जोरदार तरीके से वापसी की है।

 इस रिपोर्ट में भारत के कोरोना टीकाकरण अभियान की जोरदार प्रशंसा की गई है और भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़त की सराहना की गई है। निश्चित रूप से कोविड-19 और यूक्रेन संकट की चुनौतियों के बीच भी भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ते हुए दिखाई दे रही है। पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की 8.7 फीसदी की सर्वाधिक विकास दर, देश में छलांगे लगाकर बढ़ रहे यूनिकॉर्न, 31.45 करोड़ टन का रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन, बढ़ता विदेश व्यापार, नए प्रभावी व्यापार समझौते, करीब 600 अरब डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार आदि के कारण भारत से निर्यात बढ़े हैं और भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का प्रवाह तेजी से बढ़ा है। पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने 83.57 अरब डॉलर का रिकॉर्ड प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्राप्त किया है। भारत का उत्पाद निर्यात करीब 419 अरब डॉलर और सेवा निर्यात करीब 249 अरब डॉलर के ऐतिहासिक स्तर पर पहुंचना इस बात का संकेत है कि अब भारत निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था की डगर पर आगे बढ़ रहा है।  निःसंदेह देश में बढ़ते हुए एफडीआई के विभिन्न क्षेत्रों में कृषि क्षेत्र तेजी से उभरता हुआ क्षेत्र दिखाई दे रहा है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक कृषि एवं ग्रामीण विकास के तेजी से मजबूत होते परिदृश्य के कारण कृषि क्षेत्र में विदेशी निवेश बढ़ रहे हैं। पिछले 8 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा निर्धारित कृषि विकास के प्रयासों ने कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ाया है।

 31 मई 2022 तक सीधे किसानों के बैंक अकाउंट में 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक की रकम की सम्मान निधि का ट्रांसफर, किसानों की तपस्या, किसान कल्याण एवं कृषि विकास के लिए अनेक अभिनव पहल के रूप में योजनाओं एवं कार्यक्रमों के सफल क्रियान्वयन, सरकार के द्वारा पिछले आठ वर्षों में कृषि बजट में करीब छह गुना वृद्धि, कृषि स्टार्टअप, कृषि क्षेत्र में ड्रोन का प्रयोग, सिंचित क्षेत्र में वृद्धि, कृषि शोध और कृषि के क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों के प्रयोग से जहां देश में कृषि एवं किसानों की दशा और दिशा दोनों बदल गई है, वहीं कृषि व ग्रामीण विकास के क्षेत्र में विदेशी निवेश तेजी से बढ़े हैं। निःसंदेह अभी हमें कारोबार सुमगमता, नवाचार एवं प्रतिस्पर्धा के वर्तमान स्तर एवं विभिन्न वैश्विक रैंकिंग में आगे बढ़ते कदमों से संतुष्ट नहीं होना चाहिए। अभी इन विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक सुधार की जरूरत है। निश्चित रूप से देश में रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) पर खर्च बढ़ाया जाना होगा। जरूरी होगा कि वर्तमान एफडीआई और निर्यात नीति को और अधिक उदार बनाया जाए। देश को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ा जाए। देश में श्रमिकों की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए उन्हें कौशल विकास प्रशिक्षण से दक्ष बनाया जाए। सेज की नई अवधारणा के सफल क्रियान्वयन से देश को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की डगर सरल बनाई जाए। इन सब बातों पर ध्यान दिए जाने से भारतीय अर्थव्यवस्था के और आगे बढ़ने की रफ्तार और बढ़ेगी।

डा. जयंतीलाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App