10 महीने के निचले स्तर पर कच्चा तेल, सभी तेल कंपनियां काट रही हैं मलाई, आम लोगों को राहत नहीं
एजेंसियां — मुंबई
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक नवंबर में क्रूड ऑयल (कच्चा तेल ) इंडियन बास्केट की कीमत 10 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई हैं, जिसके बाद दाम 88.6 डालर प्रति बैरल पर आ गए हैं। हालांकि इसका असर पेट्रोल पंपों पर मिलने वाले पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर देखने को नहीं मिला है। मतलब साफ है कि तेल कंपनियां तो खूब चांदी कूट रही हैं, लेकिन जनता को कोई फायदा नहीं मिल रहा है। सरकारी अधिकारियों और जानकारों का मानना है कि ऑयल मार्केटिंग कंपनियां अपने नुकसान की भरपाई करने में लगी हुई हैं। वास्तव में चीन में ताजा कोविड-19 के प्रकोप ने प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक मंदी के तेज होने की आशंका को बढ़ा दिया है, जिसकी वजह से ब्रेंट क्रूड की हाजिर कीमतें चार जनवरी के बाद से सबसे निचले स्तर 79.92 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गईं। भारत के लिए कच्चे तेल की कीमतों में प्रति बैरल एक डालर की गिरावट का उसके चालू खाते पर लगभग एक बिलियन डॉलर का प्रभाव पड़ता है।
कच्चे तेल की कम कीमत भारत के लिए अच्छी खबर है, क्योंकि यह आयात पर बहुत अधिक निर्भर करता है। वहीं पेट्रोल और डीजल की कीमत में गिरावट के लिए अभी आम लोगों को थोड़ा लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। इसका कारण है ऑयल मार्केटिंग कंपनियां अपने नुकसान की भरपाई कर रही हैं। वैसे देश में मई के बाद से पेट्रोल और डीजल की कीमत में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला हैं, जबकि मार्च के हाई के बाद से ब्रेंट क्रूड ऑयल करीब 40 फीसदी तक नीचे आ चुका है, जबकि डब्ल्यूटीआई के दाम में भी समान रूप से गिरावट देखने को मिल चुकी है।
यह रहे कच्चे तेल के दाम
महीना दाम (डॉलर प्रति बैरल)
जनवरी 84.67
फरवरी 94.07
मार्च 112.87
अप्रैल 102.97
मई 109.57
जून 116.01
जुलाई 105.49
अगस्त 97.40
सितंबर 90.71
अक्टूबर 91.70
नवंबर 88.66
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