नवनिर्माण की आवश्यकता

By: Nov 3rd, 2022 12:08 am

दुश्मनी में हमेशा डर का माहौल बना रहता है और सुरक्षा सदा दांव पर होती है। ध्रुवीकरण और बंटवारे से किसी समाज का भला नहीं हो सकता। हमें समझना होगा कि झूठ का प्रसार या समाज का बंटवारा सिर्फ नेताओं को फायदा पहुंचाता है, जनता का तो नुकसान ही होता है। कोई भी नेता, चाहे वह किसी भी दल का हो, झूठ परोस रहा हो, समाज को बांट रहा हो, उसका बहिष्कार होना चाहिए। अब हमें जागना होगा, खुद जागना होगा, ताकि देश मजबूत बने और प्रगति कर सके। अगर हम चाहते हैं कि देश जीते, समाज जीते तो यह हमें करना होगा। यह नेताओं की नहीं, हमारी जिम्मेदारी है। हम यह जिम्मेदारी निभा सके तो ही देश का नवनिर्माण संभव है…

आदमी उम्र से नहीं, विचारों से बूढ़ा होता है। जब हम नए विचार ग्रहण करना बंद कर देते हैं तो हम बूढ़े हो जाते हैं। देश के समग्र विकास के लिए यह आवश्यक है कि हम अन्य व्यक्तियों के दृष्टिकोण के प्रति दिमाग खुला रखें और उनसे लाभ लेने के लिए आवश्यक माहौल तैयार करें। युवाशक्ति की प्रशंसा इसीलिए की जाती है कि उनमें ऊर्जा तो बहुत होती है, पर पूर्वाग्रह नहीं होता और वे दूसरों के दृष्टिकोण के प्रति खुले दिमाग से सोचते हैं। अगर देश के सभी नागरिक हर मामले में युवा वर्ग के इसी दृष्टिकोण का अनुसरण करें तो हमारा देश ‘यंगिस्तान’ बन जाएगा। ‘यंगिस्तान’ का मतलब है खुला दिमाग, दूसरों के नज़रिये के प्रति सहनशीलता, नई बातें सीखने का जज़्बा, काम से जी न चुराना, तकनीक का लाभ उठाने की योग्यता, प्रगति और रोजग़ार के नए और ज्यादा अवसर, आपसी भाईचारा तथा देश और क्षेत्र का समग्र विकास। हमारे देश के सामने कई समस्याएं दरपेश हैं, पर आम जनता में उनको लेकर कुंठा तो रहती है, कोई सार्थक बहस नहीं होती, या फिर इतने छोटे स्तर पर बहस होती है कि उसका प्रशासन और सरकार पर असर नहीं होता, या फिर सिर्फ बहस ही होती रह जाती है। जीवन में चार तरह की स्वतंत्रताएं महत्वपूर्ण हैं। एक, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता। दो, धर्म की स्वतंत्रता। तीन, अभावों से छुटकारा और चार, भय से आज़ादी। भारतवर्ष में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कई कुठाराघात हुए हैं और देश में अभी अभावों से आज़ादी और भय से आज़ादी एक सपना ही है। शिक्षा सेवा, सामान्य चिकित्सा सेवा का अभाव, पीने योग्य पानी की समस्या, सफाई का अभाव, रोजग़ार की कमी, भूख और कुपोषण आदि समस्याएं, महंगाई, भ्रष्टाचार आदि समस्याएं विकराल हैं और आम आदमी को इनसे राहत की कोई राह नजऱ नहीं आती। हमारे देश के राजनेता झूठे वायदों और भ्रामक आंकड़ों के लिए जाने जाते हैं।

वे किसी भी दल से हो सकते हैं। सच और झूठ का शोरबा बनाना, अधूरा सच बताना और झूठ को सच की तरह पेश करना उनका पसंदीदा शगल है। पिछले कुछ दशकों में उनके इस शगल में भडक़ाऊ बयान शामिल हो गए थे और हाल के कुछ वर्षों में अपने विरोधियों की इज्ज़़त उतारने और उन्हें बुद्धिहीन सिद्ध करने का एक नया शगल शुरू हुआ है। संसद में, विधानसभा में, जनसभाओं में और यहां तक कि न्यायालयों तक में हमारे राजनेता झूठ बोलना और झूठ बोलकर बच निकलना अपना जन्मसिद्ध अधिकार मानते हैं। राजनेताओं का झूठ बोलना जितना शर्मनाक है, उससे भी ज्यादा परेशान करने वाला यह तथ्य है कि हम मतदाताओं की बड़ी संख्या न केवल इस झूठ को बर्दाश्त करते हैं बल्कि झूठ बोलने वाले राजनेता की कुशलता की प्रशंसा करते हैं। स्वतंत्रता मिलने के बाद से ही यह परंपरा लगातार चली आ रही है और अब यह अपने पूरे शबाब पर है। पिछले आठ सालों में एक बड़ा फर्क और आया है कि झूठ गढऩे और फैलाने के काम को संस्थागत स्वरूप दे दिया गया और इसके लिए बाकायदा एक बड़ी फौज तैयार की गई। परिणाम यह है कि समाज का आम आदमी ही नहीं बल्कि संस्कारित बुद्धिजीवी भी न केवल भ्रामक समाचारों का शिकार बन रहे हैं, बल्कि झूठ को सच मानकर उसे आगे बढ़ाने में सहायक हो रहे हैं। कुछ लोग तो इस हद तक आस्थावान हैं कि यह पता लग जाने पर भी कि उनसे झूठ बोला गया है या उनके सामने झूठ परोसा गया है, वे दिमाग के बजाय दिल का इस्तेमाल करते हुए एक सफेद झूठ को भी झूठ मानने से इन्कार कर देते हैं और उसे आगे बढ़ाने में संकोच नहीं करते। यह वैसा ही है जैसा अंग्रेज़ी उपन्यासकार जॉर्ज ऑरवेल के प्रसिद्ध उपन्यास ‘नाइंटीन एटी फोर’ यानी ‘1984’ में दिखाया गया है जहां कहानी का मुख्य किरदार विंस्टन स्मिथ ‘बिग ब्रदर’ की सरकार का कर्मचारी है।

इस सरकार के नारे हैं- ‘युद्ध में ही शांति है’, ‘दासता में ही स्वतंत्रता है’ और ‘अज्ञानता में ही ताकत है’। इस सरकार के चार मंत्रालय हैं, पहला ‘प्रेम का मंत्रालय’। यह मंत्रालय कानून-व्यवस्था कायम रखता है। दूसरा ‘शांति का मंत्रालय’ जिसका काम युद्ध में लगे रहना है। इसका नियम है कि दुश्मन गढ़ लो और युद्ध करो। तीसरा ‘सत्य का मंत्रालय’ है जो हर झूठी-सच्ची सरकारी खबर को सबसे बड़े सच के रूप में पेश करता है, और चौथा ‘प्रचुरता का मंत्रालय’ है जो गरीबी बांटता है, लेकिन संदेश देता है कि सब कुछ अच्छा हो रहा है और भविष्य में भी सब बेहतर ही होगा। इसका लक्ष्य यह अहसास दिलाना है कि ‘बिग ब्रदर’ ही हमेशा सही है, उनसे अलग विचार रखने वाले लोग अपराधी हैं जिन्हें कुचल देना चाहिए। चिंता की एक और बात यह है कि भडक़ाऊ बयान देना राजनेताओं का आजमाया शगल बन गया है। जाति, धर्म, क्षेत्र, राज्य आदि की बात करके समाज को बांटना और अपनी राजनीतिक रोटियां सेंककर अपनी नेतागिरी चमकाना भी योग्यता का पैमाना बन गया है। अपने आप को किसी धर्म का अनुयायी कहना गलत नहीं है, लेकिन शेष धर्मों का निरादर करना, उनके खिलाफ ज़हर उगलना गलत है। राजनेताओं का एक और शगल भी बहुत भयानक है जिसकी शुरुआत हालांकि एक नेता ने की, पर यह इतना फैला कि अब सभी राजनीतिक दल और नेता इसके प्रयोग के लिए विवश हैं। इस नए हथियार ने राजनीति की दशा-दिशा ही बदल दी है। अपने विरोधियों की इज्ज़़त का फलूदा करने तथा उन्हें बुद्धिहीन बताने और सिद्ध करने का यह नया हथियार बहुत खतरनाक है।

तकनीक के प्रसार के कारण यह हथियार बहुत प्रभावी साबित हो रहा है और अब यह इंस्टीट्यूशनलाइज़ हो गया है, इसे एक संस्था का स्वरूप मिल गया है। एक बड़ी सेना रोज़ झूठ गढऩे और उसे आगे फैलाने के काम के लिए तैनात है। सोशल मीडिया के प्रसार ने नेताओं के इस काम को आसान बनाया है। राजनीतिक सफलता के लिए ये हथियार शार्टकट का काम करते हैं और बहुत खतरनाक हैं, इसलिए इनकी रोकथाम के लिए चिंतन-मनन आवश्यक है। फेसबुक, ह्वाट्सऐप, ट्विटर आदि सोशल मीडिया मंचों के माध्यम से फैलाए जाने वाले संदेश समाज में जो जहर फैला रहे हैं उसे बयान करना कठिन है। समाज में कट्टरता को बढ़ावा देकर समाज को बांटा जा रहा है। दो दुश्मन सदैव दुश्मन ही रहते हैं और दुश्मनी में दोनों पक्षों का नुकसान होता है। दुश्मनी में हमेशा डर का माहौल बना रहता है और सुरक्षा सदा दांव पर होती है। ध्रुवीकरण और बंटवारे से किसी समाज का भला नहीं हो सकता। हमें समझना होगा कि झूठ का प्रसार या समाज का बंटवारा सिर्फ नेताओं को फायदा पहुंचाता है, जनता का तो नुकसान ही होता है। कोई भी नेता, चाहे वह किसी भी दल का हो, झूठ परोस रहा हो, समाज को बांट रहा हो, उसका बहिष्कार होना चाहिए। अब हमें जागना होगा, खुद जागना होगा, ताकि देश मजबूत बने और प्रगति कर सके। अगर हम चाहते हैं कि देश जीते, समाज जीते तो यह हमें करना होगा। यह नेताओं की नहीं, हमारी जिम्मेदारी है। हम यह जिम्मेदारी निभा सके तो ही देश का नवनिर्माण संभव है।

पी. के. खुराना

राजनीतिक रणनीतिकार

ई-मेल: indiatotal.features@gmail.com


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App