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बड़ी उम्र में क्यों लगता है दिल को रोग, IIT मंडी के शोधकर्ताओं ने लगाया बीमारी के खतरनाक कारणों का पता

By: Mar 30th, 2023 12:04 am

आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने लगाया बीमारी के खतरनाक कारणों का पता, प्रोफेसर डा. रमना ठाकुर व टीम ने किया अध्ययन

अमन अग्रिहोत्री — मंडी

भारत में 45 वर्ष और अधिक उम्र के लोगों में हृदय रोगों यानि सीवीडी के सबसे खतरनाक कारणों का पता लगाने के लिए आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं की एक टीम ने डा. रमना ठाकुर के मार्गदर्शन में एक अध्ययन किया है। अध्ययन में आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने भारत के गांव और शहर दोनों से 45 वर्ष उम्र के 59 हजार से अधिक लोगों के डाटा का विश्लेषण किया और बीमारी के सबसे खतरनाक कारणों का पता लगाया। शोध के विवरण करंट प्रॉब्लम्स इन कार्डियोलॉजी इम्पैक्ट फैक्टर 16.464 नामक जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं। आईआईटी मंडी के मानविकी और सामाजिक विज्ञान स्कूल में एसोसिएट प्रोफेसर डा. रमना ठाकुर, रिसर्च स्कॉलर गायत्री और सुजाता ने मिलकर यह शोध पत्र तैयार किया है।आईआईटी मंडी की डा. रमना ठाकुर का कहना है कि सीवीडी के कई खतरनाक कारण रहे है। जिनमें सिस्टोलिक ब्लड प्रेसर अधिक होना, एचडीएल कोलेस्ट्रॉल कम होना, मोटापा, सेहत के लिए हानिकारक खान-पान, पोषण सही नहीं होना, आयु, परिवार में सीवीडी का इतिहास, शारीरिक व्यायाम नहीं करना, धूम्रपान और शराब का सेवन प्रमुख हैं।

एक अन्य खतरनाक कारण वायु प्रदूषण का प्रकोप है। शोधकर्ताओं की टीम ने इन खतरनाक कारणों को अलग-अलग समूहों में बांटने का प्रयास किया है और फिर भारत में 45 वर्ष और अधिक आयु के लोगों में सीवीडी पर प्रत्येक समूह के असर को जानने का लक्ष्य रखा है। टीम ने भारत में लांगिट्युडिनल एजिंग स्टडी के डाटा का उपयोग किया। राष्ट्रव्यापी लागिट्युडिनल सर्वे में सभी भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 18 वर्ष और अधिक आयु के 73 हजार 396 व्यक्तियों को शामिल किया गया। इस अध्ययन का शुभारंभ स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के तत्त्वावधान में किया गया। इसके पहले दौर से डाटा एकत्र किए गए। इसके लिए नोडल एजेंसी का काम अंतरराष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान मुंबई ने किया। शोधकर्ताओं ने डाटा सुधारने के बाद 45 वर्ष और अधिक आयु के 59073 लोगों को अध्ययन में शामिल किया। (एचडीएम)

सीवीडी के लिए पर्यावरण प्रदूषण जिम्मेदार

डॉ. रमना ठाकुर ने बताया कि अध्ययन में पाया गया कि भारत के उम्रदराज वयस्कों में सीवीडी के प्रकोप और इसके बढऩे के लिए पर्यावरण प्रदूषण एक खतरनाक कारण है। भारत की अधिकतर आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और खाना पकाने व ऐसे अन्य कार्यों के लिए प्रदूषण करने वाले ईंधनों का उपयोग करती है। ऐसे ईंधनों के जलने से हानिकारक धुआं निकलता है, जो लोगों की सेहत के लिए खतरनाक है। वहीं, अध्ययन के अनुसार शारीरिक सीवीडी के लिए शारीरिक कारणों की भी पहचान की गई। अध्ययन से यह भी पता चला है कि मधुमेह, हाई कोलेस्ट्रॉल, डिप्रेशन और अधिक वजन या मोटापा जैसे शारीरिक कारणों के साथ व्यायाम न करना, प फास्ट-फूड अधिक खाना भी सीवीडी के लिए खतरनाक शारीरिक कारण हैं।


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