सिग्नल में चूक और चली गईं सैकड़ों जानें, बालासोर ट्रेन हादसे से याद आया 14 साल पुराना खौफनाक मंजर

By: Jun 4th, 2023 12:06 am

तरक्की की राह पर कुल्लाचें भर रहे भारत की खुशियों पर एक हादसे ने जोर की ब्रेक लगा डाली है। बालासोर के ट्रेन हादसे ने एक बार फिर याद दिला दिया कि अभी भी हमें उस गुजरे जमाने को पीछे छोडऩे के लिए बहुत मेहनत करने की जरूरत है, जब ऐसे एक्सिडेंट हमारी तरक्की पर सवाल खड़े करते हैं…

हादसे को लेकर रिपोर्ट तैयार

ओडिशा ट्रेन हादसे की शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक, बहानगा बाजार स्टेशन पर सिग्नलिंग को लेकर मानव गलती इस हादसे की असल वजह थी। घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद चार वरिष्ठ रेलवे अधिकारियों ने हादसे को लेकर रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि गौर से निरीक्षण करने के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि 12841 कोरोमंडल एक्सप्रेस को मेन लाइन के लिए सिग्नल दिया गया। हालांकि तुरंत बाद ही सिग्नल वापस ले लिया गया। कोरोमंडल एक्सप्रेस को मेन लाइन पर जाने का सिग्नल था, लेकिन वह मेन लाइन पर जाने के बजाए लूप लाइन पर चली गई। लूप लाइन पर पहले से मालगाड़ी खड़ी होने से हादसा हो गया। फिर ट्रेन पलटी तो दूसरे ट्रैक पर डिब्बे आ गिरे। बाद में इसी ट्रैक पर यशवंतपुर एक्सप्रेस आकर भिड़ गई। दो पेज की हाथ से लिखी यह रिपोर्ट वरिष्ठ रेल अधिकारियों, जेएन सुबुधि, आरके बनर्जी, आरके पंजीरा और एके मोहंतू ने तैयार की है। यह रिपोर्ट शनिवार को जमा की गई।

साजिश हो सकती है, टाइमिंग अजीब है

बालासोर। ओडिशा ट्रेन हादसे पर पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने कहा है कि इस घटना में साजिश हो सकती है। इस पूरी घटना की गंभीरता से जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि घटना की टाइमिंग अजीब है। पूर्व रेल मंत्री ने कहा कि हादसे की उच्च स्तरीय जांच हो और इस मामले का एनालिसिस करना चाहिए। यह एक भयानक हादसा है। पूर्व रेल मंत्री त्रिवेदी ने कहा कि मैं जो दृश्य देख रहा हूं, ऐसा लग रहा है कि मानो भूकंप के बाद का मंजर हो। हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि जापान की तरह एक भी मौत न हो। नई टेक्नोलॉजी आ रही है, जिसे रेलवे सिस्टम में शामिल किया जा रहा है।

रेल मंत्री को कोई नहीं जानता हरी झंडी दिखाने वाले को सब जानते हैं

बालासोर। राजद प्रमुख और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद ने शनिवार को ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे को दुखद बताया और देश में रेलवे नेटवर्क में गिरावट के लिए केंद्र सरकार को घेरा। लालू यादव ने पटना में कहा, बालासोर में ट्रेन दुर्घटना दिल दहला देने वाली और दुखद है, यह रेलवे की एक बड़ी चूक है लालू यादव ने ट्वीट कर मोदी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा, इस देश का रेल मंत्री कौन है? यह कोई नहीं जानता, लेकिन रेल बजट खत्म कर चेहरा चमकाने के लिए रेलगाडिय़ों को हरी झंडी कौन दिखाता है ये सब जानते हैं।

रेलवे में कुछ ठीक नहीं, 500 पास जाएगी मृतकों की संख्या

बालासोर। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शनिवार दोपहर ओडिशा के बालासोर में ट्रेन दुर्घटनास्थल पर पहुंचीं। इस दौरान ममता बनर्जी ने कहा कि मेरे हिसाब से यह रेल हादसा रेलवे में कोऑर्डिनेशन गैप के चलते हुआ है। हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। इस दौरान ममता बनर्जी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के बीच दुर्घटना में मरने वालों की संख्या को लेकर विवाद हो गया। ममता बनर्जी ने कहा कि दुर्घटना में मरने वालों की संख्या 500 तक हो सकती है। इस पर रेल मंत्री ने कहा कि यह 500 नहीं, बल्कि 288 है।

कवच होता, तो टल जाती ओडिशा की अनहोनी

बालासोर। ओडिशा के बालासोर में हुए दर्दनाक हादसे ने हर किसी को गमगीन कर दिया है। भारतीय रेलवे के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने कहा कि इस मार्ग पर कवच प्रणाली उपलब्ध नहीं थी। इस हादसे के बाद कवच को लेकर फिर बात होने लगी है। दरअसल रेल मंत्रालय ने पिछले साल कवच टेक्नोलॉजी की टेस्टिंग की थी। इसका प्रचार किया गया था। रेलवे का दावा है कि इस टेक्नोलॉजी से उसे जीरो एक्सिडेंट के अपने लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। इसके जरिए सिग्नल जंप करने पर ट्रेन खुद ही रुक जाएगी। एक बार लागू होने के बाद इस पूरे देश में लगाने के लिए प्रति किलोमीटर 50 लाख रुपए खर्च होंगे। जानकारी के मुताबिक, ये सिस्टम तीन स्थितियों में काम करता है, जैसे कि हेड-ऑन टकराव, रियर-एंड टकराव, और सिग्नल खतरा। ब्रेक विफल रहने की स्थिति में कवच ब्रेक के स्वचालित अनुप्रयोग द्वारा ट्रेन की गति को नियंत्रित करता है। यह उच्च आवृत्ति वाले रेडियो संचार का उपयोग करके गति की जानकारी देता रहता है, जो एसआईएल -4 के अनुरूप भी है, जो सुरक्षा प्रमाणन का उच्चतम स्तर है।

पाक पीएम दुखी, जस्टिन ट्रूडो भारत के साथ

ओडिशा रेल हादसे पर दुनियाभर के नेताओं ने जताया शोक

दिव्य हिमाचल ब्यूरो— नई दिल्ली

ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन एक्सिडेंट पर दुनियाभर के राष्ट्र अध्यक्षों ने शोक जताया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने दुख जताया है और लोगों के जल्द ठीक होने की कामना की है। वहीं, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कनाडाई लोगों से इस मुश्किल वक्त में भारतीयों का साथ देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि ओडिशा से आ रही हादसे की तस्वीरें दिल तोडऩे वाली हैं। मेरी दुआएं उन लोगों के साथ हैं, जिन्होंने हादसे में अपने परिजन को गंवाया है। वहीं, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने हादसे पर दुख जाहिर किया। जेलेंस्की ने ट्वीट में पीएम मोदी को टैग कर लिखा, हम आपके दुख को समझ सकते हैं। मैं आशा करता हूं कि घायल लोग जल्द ठीक हो जाएंगे। पुतिन ने हादसे पर दुख जताते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री मोदी के नाम एक मैसेज भेजा है। उन्होंने दुख की घड़ी में भारत के साथ खड़े होने की बात कही। सुनक ने ओडिशा के हादसे को दर्दनाक बताया है। उन्होंने कहा, मैं पीडि़तों के लिए दुआ करता हूं। जो बिना रुके लोगों को बचाने का काम कर रहे वो प्रशंसा के हकदार हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ की जनरल असेंबली के हेड साबा कोरोसी ने भी हादसे पर दुख जताया। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा कि वो हादसे की खबर सुनकर दुखी हैं। ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन ने ओडिशा हादसे के पीडि़तों के लिए दुआएं मांगने की बात कही है। भारत में अमरीका के राजदूत एरिक ग्रासिटी ने कहा है किमैं ट्रेन हादसे में जान गंवाने वालों के परिवार के प्रति संवेदना जाहिर करता हूं। दुख की घड़ी में हम भारत के साथ हैं।

हादसे की कहानी, चश्मदीद की जुवानी

वाशरूम से बाहर निकली, तो देखा कि ट्रेन के डिब्बे एक-दूसरे पर चढ़ गए थे, लोग चीख रहे थे कोरोमंडल ट्रेन की पैसेंजर वंदना खटेड़ हादसे को याद करते हुए कांप उठती हैं। उन्होंने बताया कि जब ये हादसा हुआ, तब वह वाशरूम से लौट रही थीं। उन्होंने देखा कि उनकी ट्रेन किसी लचर लकड़ी की तरह टेड़ी हो गई थी। यह देखकर वे कांप उठीं। जैसे-तैसे खुद को संभाला। उनका सामान यहां-वहां फैला पड़ा था। घायल यात्री एक-दूसरे पर गिरे पड़े थे। हर तरफ चीख-पुकार मची थी।

पंखा पकडक़र बैठा रहा, फिर दूसरों की मदद की

एक पैसेंजर ने बताया कि हम एस5 बोगी में थे और जिस समय हादसा हुआ उस उस समय मैं सोया हुआ था। तेज आवाज से मेरी नींद खुली। मैंने देखा कि ट्रेन पलट गई है। मेरी सीट ऊपर वाली थी, मैं वहां पंखा पकड़ कर बैठा रहा। ट्रेन में भगदड़ मच गई थी। लोग बचाओ-बचाओ चिल्ला रहे थे। ट्रेन से बाहर निकलकर लोग ही एक-दूसरे की मदद कर रहे थे।

दस-12 लोग मेरे ऊपर आकर गिरे

एक अन्य पैसेंजर ने बताया कि मुझे ट्रेन में नींद आ गई थी। तभी गाड़ी पलट गई। झटके से मेरी नींद खुली। मैं रिजर्व बोगी में था, लेकिन इसमें जनरल बोगी जैसे लोग भरे थे। मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि 10-12 लोग मेरे ऊपर पड़े हुए हैं। जब मैं ट्रेन से बाहर निकला तो देखा कि किसी का हाथ नहीं है, किसी का पैर नहीं है।

6:40 पर ट्रेन में बैठा, 6:55 पर हादसा हो गया

एक पैसेंजर सौम्यरंजन शेट्टी ने बताया कि वह भद्रक ब्लॉक में रहते हैं और बालासोर में नौकरी करते हैं। शाम को घर जाने के लिए उन्होंने 6:40 बजे बालासोर से कोरोमंडल ट्रेन पकड़ी। 6:55 पर बहानगा स्टेशन पर कुछ आवाज आई और ट्रेन पलट गई। तब समझ आया कि ट्रेन का एक्सिडेंट हो गया है। मैं बाहर निकला। मेरे साथ जो तीन-चार लोग थे, उनका रेस्क्यू किया गया। एक आदमी मुझे पकडक़र नीचे लाया और पानी पिलाया।

मां-बाप मर चुके थे, बच्चे ने भी रोते-रोते दे दी जान

बालासोर ट्रेन हादसे की कई रुला देने वाली कहानी है, जिसे सुनकर किसी का भी दिल पसीज जाए। एक चश्मदीद ने बताया कि जब यह हादसा हुआ, तब वह अपने घर पर था। यह किसी धमाके की आवाज जैसा था। जैसे ही मैं घर से बाहर निकला, सब कुछ बदल चुका था। ट्रेन के अंदर और बाहर लाशें पड़ी थी। जब मैं पहुंचा तो बहुत से लोग घायल थे, वे प्यास से तड़प रहे थे। विश्वास ने आगे बताया कि एक बच्चे के सामने उसके मां-बाप के शव पड़े थे। उसने भी रोते-रोते अपनी जान दे दी। यह मंजर बहुत भयानक और असहनीय था।

देश का दिल दहला देने वाले रेल हादसे

छह जून 1981

बिहार में छह जून, 1981 को एक ट्रेन मानसी और सहरसा के बीच पुल पाल करते समय पटरी से उतर गई थी और सात डिब्बे कोसी नदी में गिर गए थे। इस हादसे में 800 यात्रियों की मौत हो गई थी। यह अब तक भारत और दुनिया के सबसे खतरनाक रेल हादसों में से एक है।

20 अगस्त 1995

दिल्ली से कानपुर के बीच चलने वाली पुरुषोत्तम एक्सप्रेस उत्तर प्रदेश में फिरोजाबाद के पास खड़ी कालिंदी एक्सप्रेस से टकरा गई थी। इस हादसे में दोनों ट्रेनों के 360 से अधिक यात्री मारे गए थे। इस घटना के लिए मैन्युअल त्रुटि को जिम्मेदार ठहराया गया था।

26 नवंबर 1998

जम्मू तवी-सियालदह एक्सप्रेस पंजाब खन्ना में अमृतसर जाने वाली फ्रंटियर गोल्डन टेंपल मेल के साथ हादसे की शिकार हुई थी। पटरी टूटी होने के कारण स्वर्ण मंदिर मेल ट्रेन के तीन डब्बे पटरी से उतर गए थे। वहीं जम्मू तवी-सियालदह एक्सप्रेस छह डिब्बे पटरी से उतर गए थे। इस भीषण हादसे में 280 से अधिक यात्रियों की जान गई थी।

दो अगस्त 1999

्रउत्तर सीमांत रेलवे के कटिहार मंडल के अवध में अवध-असम एक्सप्रेस और ब्रह्मपुत्र मेल की टक्कर में करीब 268 लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे में 359 से अधिक लोग घायल हो गए थे। ब्रह्मपुत्र मेल भारतीय सैनिकों को असम से सीमा तक लेकर जा रहा था।

28 मई 2001

मुंबई जाने वाली हावड़ा कुर्ला लोकमान्य तिलक ज्ञानेश्वरी सुपर डीलक्स एक्सप्रेस पश्चिम बंगाल के पश्चिम मिदनापुर जिला में खेमशौली और साडीहा के बीच रात 1:30 बजे पटरी से उतर गई थी। इसके बाद एक मालगाड़ी ने आकर टक्कर मार दी थी। इस हादसे में 235 यात्रियों की जान चली गई थी।

नौ सितंबर 2002

हावड़ा-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस गया और डेहरी-ऑन-सोन स्टेशनों के बीच रफी गंज स्टेशन के पास पटरी से उतर गई थी। मैनुअल फॉल्ट के कारण ह दुर्घटना हुई थी। इसमें 130 से अधिक लोग मारे गए थे। ऐसा कहा जाता है कि जिस ट्रैक पर ट्रेन चल रही थी, वह ब्रिटिश काल का था। भारी बारिश के कारण पटरी में दरार आ गई थी।

अक्तूबर 2005

आंध्र प्रदेश में वेलुगोंडा के पास एक पैसेंजर ट्रेन के कई डिब्बे पटरी से उतर गए थे। इस हादसे में कम से कम 77 लोग मारे गए थे।

जुलाई 2011

फतेहपुर में एक मेल ट्रेन के पटरी से उतरने से करीब 70 लोगों की मौत हो गई थी। 300 से ज्यादा घायल हो गए थे।

नवंबर 2016

उत्तर प्रदेश में एक एक्सप्रेस ट्रेन के पटरी से उतरने से 146 लोग मारे गए और 200 से अधिक घायल हो गए थे।

जनवरी 2017

आंध्र प्रदेश में एक पैसेंजर ट्रेन के कई डिब्बे पटरी से उतर जाने से कम से कम 41 लोगों की मौत हो गई थी।

अक्तूबर 2018

अमृतसर में एक दिल दहला देने वाली हादसा हुई थी। पटरियों पर जमा भीड़ को ट्रेन कुचल देती है। इस हादसे में कम से कम 59 लोगों की मौत हो गई थी।

फुल स्पीड में थी कोरोमंडल एक्सप्रेस, रोकना संभव नहीं था, ओडिशा ट्रेन हादसे पर रेलवे का बयान

बालासोर। बालासोर हादसे पर रेलवे की तरफ से कहा गया है कि ट्रेन नंबर 12481 कोरोमंडल एक्सप्रेस बहानगा बाजार स्टेशन के (शालीमार-मद्रास) मेन लाइन से गुजर रही थी, उसी वक्त अप लूप लाइन पर वो मालगाड़ी से टकरा गई। ट्रेन फुल स्पीड में थी और उसे स्टेशन पर रोकना संभव नहीं था। इसका परिणाम ये हुआ कि 21 कोच डीरेल हो गए और तीन कोच डाउन लाइन पर चले गए। हर स्टेशन पर दूसरी ट्रेन पास कराने के लिए लूप लाइन होती है। बहानगा बाजार स्टेशन पर अप और डाउन, दो लूप लाइन हैं। किसी ट्रेन को लूप लाइन पर तब खड़ा किया जाता है, जब किसी ट्रेन को स्टेशन से पास कराया जाना हो।

घायलों को ले जा रही बस पश्चिम मिदनापुर में दुर्घटनाग्रस्त

बालासोर। बालेश्वर से ट्रेन हादसे के घायलों को बसों से अलग-अलग जिलों में पहुंचा जा रहा था, तभी पश्चिम मेदिनीपुर में बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई। पिकअप वैन और बस की आमने-सामने की टक्कर हो गई। इससे कई लोगों को मामूली चोटें आईं। हादसे के कारण नेशनल हाईवे-60 पर जाम लग गया।

अरियालुर रेल हादसे पर लाल बहादुर शास्त्री ने दिया था इस्तीफा

अरियालुर रेल हादसा 23 नवंबर, 1956 की सुबह 4:30 बजे हुआ था। जब थूथुकुडी एक्सप्रेस ट्रेन, अरियालुर रेलवे स्टेशन से दो मील की दूरी पर मरुदैयारु नदी पर उफान की वजह से दुर्घटनाग्रस्त हो गई और इसी दौरान ट्रेन का स्टीम इंजन और सात डिब्बे नदी में गिर गए। इस हादसे में 144 लोगों की मौत हुई थी और सैंकड़ों घायल हुए थे। यही नहीं, 200 से ज्यादा यात्री लापता हो गए थे। इस हादसे से उस वक्त के रेलमंत्री लाल बहादुर शास्त्री बहुत आहत हुए थे। उन्होंने अपना इस्तीफा प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सौंप दिया था।

किस्मत या चमत्कार! 110 लोगों का नहीं हुआ बाल भी बांका

बालासोर। ओडिशा के बालासोर में हुए रेल हादसे ने किस कदर तबाही मचाई, इसकी तस्वीर पूरे देश ने देखी। पर इस बीच कर्नाटक के 110 लोग ऐसे हैं, जो हादसे का शिकार हुई ट्रेन में सफर कर रहे थे, लेकिन फिर भी उनका बाल भी बांका नहीं हुआ। वे सभी सुरक्षित बच गए। जो 110 यात्री इस हादसे में सुरक्षित बच गए, वे सभी बंगलुरु हावड़ा ट्रेन में सफर कर रहे थे। ये सभी लोग चिक्कमगलुरु जिला के कलसा तालुक के रहने वाले हैं। वह ट्रेन की बोगी नंबर एस5, एस6 और एस7 में सफर कर रहे थे। हादसे से पहले कोलकाता के पास ट्रेन का इंजन बदला था। इसके चलते सभी यात्रियों को ट्रेन के पहले डिब्बे में शिफ्ट कर दिया। जब ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हुई, तो इसके आखिर के चार डिब्बे पटरी से उतरे गए। 110 यात्री पहले डिब्बे में थे, इसलिए आसानी से भाग निकले।

एक बार फिर कोरोमंडल एक्सप्रेस के लिए कॉल बना शुक्रवार

बालासोर ट्रेन हादसे से याद आया 14 साल पुराना खौफनाक मंजर

एजेंसियां— बालासोर

तब से आज में सिर्फ साल और तारीख बदली, ट्रेन, दिन और घटना जस की तस है…14 साल बाद एक बार फिर कोरोमंडल एक्सप्रेस हादसे की शिकार हो गई। दो जून, शुक्रवार को ओडिशा के बालासोर में कोलकाता के हावड़ा स्टेशन से तमिलनाडु के चेन्नई जाने वाली शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस और बंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस से टक्कर हो गई। इस हादसे में अब तक 288 लोगों के मारे जाने की खबर आ रही है, जो संख्या अभी और बढ़ सकती है। 747 से अधिक लोग इस हादसे में घायल हो गए। इस दुर्घटना ने साल 2009 की याद को फिर से ताजा कर दिया। इस हादसे पर अब सियासत भी शुरू हो गई है। हालांकि अब तक ये तस्वीर साफ नहीं हो सकी है कि आखिर ये हादसा कैसे हुआ।

इसकी जांच जारी है। 13 फरवरी, 2009 को ओडिशा के जाजपुर रोड के पास कोरोमंडल एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हुई थी। उस हादसे में 16 यात्रियों की मौत हुई थी, लगभग 161 घायल हो गए थे। हादसा उस वक्त हुआ, जब ट्रेन हावड़ा से चेन्नई की ओर तेज रफ्तार से आ रही थी। ओडिशा के जाजपुर में ट्रेन के 16 डिब्बे पटरी से उतर गए थे। हादसा करीब रात के आठ बजे हुआ है। उस वक्त ट्रेन की रफ्तार 100 किमी प्रति घंटा से भी अधिक थी। 13 फरवरी, 2009 को उस दिन भी शुक्रवार था और दो जून को जब ये ट्रेन फिर से हादसे की शिकार हुई उस दिन भी शुक्रवार था। जगह भी ओडिशा थी। ट्रेन, जगह, दिन सबने 14 साल बाद फिर से इतिहास को दोहराया। इस ट्रेन से के लिए शुक्रवार ब्लैक फ्राइडे साबित हुआ। उस वक्त हादसे में 16 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं दो जून को 288 लोगों की मौत हो गई है। इस हादसे ने 14 साल पहले हुए हादसे की याद को ताजा कर दिया।


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