अज्ञानता का अंधकार

By: Jul 22nd, 2023 12:05 am

बाबा हरदेव

गतांक से आगे..

मानवता का अर्थ है नैतिक गुणों का संचय, ऐसी जानकारी जिसमें अच्छा-बुरा, उचित-अनुचित, करुणा-घृणा, नम्रता-कठोरता आदि गुणों का विचार करके उन्हें अपनाने की क्षमता हो। यह पद्धति मानव को मानवीय गुणों से युक्त करके मानवता के दायरे में लाती है। मानव योनि उत्तम योनि मानी गई है क्योंकि इसमें विवेक बुद्धि विचार शक्ति और ज्ञान तत्त्व अधिक है। इसे कर्म योनि भी कहा गया है। ईश्वर ने सारी मानव योनि की रचना पांच तत्त्वों से की है ‘क्षिति जल पावक गगन समीरा’। ‘पंच रहित यह अधम शरीरा’। सारी मानव जाति में एक ही शक्ति आत्मा के रूप में कार्य कर रही है। हमारे धर्म ग्रंथ और पीर पैगंबर विद्वानों ने सारी मानवता को एक रूप करके माना है। इनका कहना है कि मानव की जात सबै एक ही पहिचानवो। सारी मानव जाति को एक रूप मानो। हमारे ऋषि-मुनियों ने भी बसुधैव कुटुंबकम की बात कही है। वली पीर भी यही बात कहते हंै मखलूक सारी है कुनबा खुदा का। जब एक ही रचनहार ने एक ही विधि से सारी मानव जाति की रचना की है तो फिर मानवों के अंदर यह विवाद क्यों है? जाति भाषा क्षेत्र आदि बाहरी आवरणों को लेकर वैर, ईष्र्या और अहं भाव कार्य कर रहे हैं। कुछ विशिष्ट व्यक्ति इन को बढ़ावा दे रहे हैं और मानव को हिंदू, सिख, मुसलमान आदि अनेक समुदायों में बांट रहे हैं और उनमें कटुता लाकर भावानात्मक दूरियां पैदा कर रहे हैं। समाज की ऐसी दशा को देखकर युगपुरुष बाबा अवतार सिंह जी ने अवतार बाणी में इसका वर्णन कुछ इस प्रकार किया है।

कोई हिंदू कोई मसुलम कोई सिख ईसाई ए।

हर किसे ने अपनी दुनिया वक्खो वक्ख बनाई ए।।

इन समुदायों को चलाने वाले विशिष्ट व्यक्ति धर्म को आधार बनाकर टकराव पैदा कर रहे हैं। वैर, ईष्र्या, नफरत के कारण जब अज्ञानता का अंधकार गहरा गया, मानव अपने मानवीय लक्ष्य को भूल कर भटक गया, तभी जातियों संप्रदायों आदि में विभाजित हो गया। मानवीय मूल्यों को फिर से उजागर करने के लिए संत निरंकारी मिशन एक आध्यात्मिक आंदोलन के रूप में उजागर हुआ। यह मिशन ईश्वर की अनुभूति का मिशन है। ईश्वर एक है और सब इसी परमपिता की संतान है। हर मानव में एक ही ईश्वर का अंश आत्मा कार्य कर रही है। अपने सर्व सांझे पिता की जानकारी के बिना मानव-मानव के निकट नहीं आ सकता। बाबा जी कहते हैं धर्म जोड़ता है तोड़ता नहीं। जो मानव मन में दूरियां पैदा करे वह धर्म नहीं हो सकता। ईश्वर की अनुभूति ही मानव में मिथ्या दंभ, ईष्र्या वैर आदि विकारों को निकाल कर उसमें प्रेम, करुणा और भाईचारे की भावना ला सकती है। फिर यह भावना साकार हो उठती है न कोई बैरी नहीं बिगाना सगल संगि हम कउ बनि आई। संत निरंकारी मिशन का मूल उद्देश्य मानवता की स्थापना करना है। सद्गुरु बाबा हरदेव सिंह जी संपूर्ण विश्व के मानव मात्र को आत्मज्ञान कराके कल्याण कर रहे थे तथा मानवता को स्थापित कर रहे थे। अज्ञानता के अंधकार को ब्रह्मज्ञान के प्रकाश से ही दूर किया जा सकता है। – क्रमश:


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