अवैज्ञानिक निर्माण ने खोखला किया सिरमौर

By: Aug 22nd, 2023 12:15 am

भवन-सडक़ों का अंधाधुंध निर्माण और बरसाती नालों-खड्डों को रोकना पड़ रहा भारी

उदय भारद्वाज-शिलाई
आज के वैज्ञानिक युग में अवैज्ञानिक निर्माण तबाही का कारण बनता जा रहा है। अनियोजित तरीके से बनाए जा रहे भवन, सडक़ निर्माण व अन्य निर्माण क्षेत्र के बरसाती नालों-खड्डों का मार्ग रोकना यहां निकट भविष्य के लिए सुरक्षित नहीं है। यही बड़ा कारण है कि इस बार की बरसात का विकराल रूप ने ऐसा तांडव मचाया है कि इस तबाही की अपूर्ण क्षति के गहरे जख्म कभी भुलाए नहीं जा सकते हैं। विकास के नाम पर बनाए जा रहे निर्माणाधीन एनएच-707 के निर्माण के लिए हजारों पेड़ों को बलि चढ़ाया गया। भारी भरकम कंपन उत्पन्न करने वाली मशीनों से निर्माण तथा निर्माण कार्यों के लिए बारूदी धमाकों का प्रयोग तथा निरंतर कटाव से पहाड़ कमजोर हो गए हैं।

निर्माणाधीन 100 किलोमीटर लंबे एनएच-707 मार्ग बद्रीपुर-पांवटा साहिब से फेडिज पुल जिला शिमला तक प्रशासन व मोर्थ की अनदेखी, निर्माण कंपनियों का अवैज्ञानिक तरीका निकट भविष्य के लिए आपदा की बुनियाद डाल गया है। अनुबंध के नियमों के अनुसार निर्माण कार्यों का मलबा कंपनियों को डंप करना था ताकि वह एक जगह रहता, लेकिन निर्माणकर्ता पांचों कंपनियों ने निर्माण का मलबा बरसाती नालों, खड्डों, आरक्षित वन भूमि में फेंका, जिससे कई दर्जन परिवार के रिहायशी मकान को नुकसान पहुंच रहा है। जरा सी बारिश से लोगों के खेतों, खलिहानों व घासनियों में मलबा घुस गया है, जिससे किसानों की फसलें, ढलानदार खेत, पशुशालाएं, पगडंडियां मलबे की भेंट चढ़ गई। प्रशासन व सरकार पीडि़तों को आंशिक मुआवजा देकर आपदा की सूची में डाल दिया है। जबकि यह प्राकृतिक आपदा नहीं है यह मानव निर्मित आपदा है। अवैज्ञानिक निर्माण से रिहायशी गांव शिल्ला में दरारें आ गई हैं। वहीं गंगटोली खड्ड में फेंका गया निर्माण का मलबा नेड़ा खड्ड में जाने से हुए कटाव से अशयाड़ी पंचायत के नलेडी उप-गांव में आधा दर्जन रिहायशी मकान कटाव की भेंट चढ़ गए हैं। (एचडीएम)

एनएच-707 पर तीन जगह ब्लैक स्पॉट
एनएच-707 निर्माणाधीन 100 किलोमीटर के दायरे में मार्ग से उपर तीन दर्जन से ज्यादा ऐसे स्लाइडिंग ब्लैक स्पॉट बन गए हैं जो जरा सी बारिश में भी कहर बनकर टूट सकता है। नेड़ा खड्ड के किनारे टिंबी कस्बा भी खतरे की जद में है। नेड़ा खड्ड के चैनेलाइजेशन न होने की वजह से यह कस्बा कभी भी खड्ड की जद में आ सकता है। चारों और से सडक़ों व भवन निर्माण का मलबा खड्ड में फेंका जाता है। बरसात में जब मलबा बरसाती कटाव के साथ पानी के साथ मिलेगा तो टिंबी में तबाही ला सकता है। इसी प्रकार एनएच-707 के 100 किलोमीटर दायरे के साथ उपर व नीचे बसे सैकड़ों गांव व उप-गांव खतरे की जद में हैं। भू-वैज्ञानिकों का कहना है कि पश्चिमी हिमालयन के इस भूकंप जोन में कंपन उत्पन्न करने वाली मशीनों, बारूद के धमाके, अवैज्ञानिक खनन से निकट भविष्य सुरक्षित नहीं है। इसलिए निकट भविष्य की सुरक्षा को देखते हुए सरकार व कार्य कर रही एजेंसियों, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, पर्यावरण विभाग व मोर्थ ने यदि कड़े कदम नहीं उठाए तो आने वाले समय में इसके परिणाम गंभीर होंगे तथा मानव निर्मित इस आपदा को प्राकृतिक आपदा का नाम दिया जाएगा।


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