हर आगंतुक, पर्यटक नहीं-5

By: Sep 30th, 2023 12:05 am

पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार और स्वरोजगार की असीमित संभावना को अगर अंगीकार करें, तो प्रदेश की कर्मचारी राजनीति बदल जाएगी और हर छात्र का नजरिया भी। प्रदेश की तालीम में एक व्यापक परिवर्तन की जरूरत है और यह तब पूरी होगी जब राजनीतिक मंच सरकारी नौकरियों के प्रचार-प्रसार के बजाय स्वरोजगार का शृंगार करने की वजह बनेगा। प्रदेश सरकार अगर पांच करोड़ पर्यटक आगमन के ध्येय को पूरा कर लेती है, तो इसी अनुपात में रोजगार व स्वरोजगार को भी समझना होगा। औसतन दस पर्यटकों पर भी एक व्यक्ति को रोजगार मिलता है तो इस तरह हिमाचल में पचास लाख लोगों के लिए अवसर होंगे। यह सारा रोजगार प्रदेश के लोग तभी हासिल कर पाएंगे, अगर युवा पीढ़ी की शिक्षा, प्रशिक्षण तथा परवरिश इस तरह के रोजगार सरीखी होगी। फिलहाल हिमाचल में उपलब्ध अधिकांश रोजगार का निर्यात ही हो रहा है या यूं कहें कि बाहरी राज्यों के लोग उद्योग, पर्यटन, कृषि, बागबानी तथा परिवहन आदि क्षेत्रों में पैदा हुए रोजगार से खुद को समृद्ध कर रहे हैं। अभी से पर्यटन रोजगार की अधिकतम व्याख्या के लिए सरल व सक्षम नीतियां बनाने की जरूरत है। ई-टैक्सी योजना के तहत सरकार पचास प्रतिशत तक खरीद अनुदान दे रही है।

अगर इस महत्त्वाकांक्षी योजना को एक मॉडल के रूप में प्रमुख शहरों व पर्यटक-धार्मिक स्थलों से जोड़ा जाए, तो क्रांतिकारी परिवर्तन आएगा। पढ़े-लिखे नौजवानों को किसी वाहन कंपनी के इलेक्ट्रिक व्हीकल का ब्रांड एंबेसेडर बना दिया जाए, तो समूचे प्रदेश में एक ही तरह की टैक्सी सेवा उपलब्ध होगी। इससे वर्तमान टैक्सी दरों में कमी आएगी और ऐसी वाहन सेवाओं से पर्यटक दौड़े आएंगे। प्रदेश के एयरपोट्र्स व रेलवे स्टेशनों से भी युवा ई-टैक्सी सेवा को ही अधिकृत किया जाए। दरअसल हिमाचल में पर्यटन परिवहन क्षेत्र में अगर सरकार उदार नीति पर चले, तो सस्ती टैक्सी सेवाओं से आर्थिकी को भी संबल मिलेगा। इसके अलावा पर्यटन निवेश की नीति के तहत पूरे प्रदेश में महत्त्वपूर्ण सडक़ों के किनारे हर बीस किलोमीटर की दूरी पर पर्यटक सुविधा केंद्रों के दायरे में व्यापार और स्वरोजगार को बढ़ावा मिलेगा। प्रदेश के हर छोटे-बड़े कस्बे में बस स्टॉप कम व्यापारिक परिसरों के निर्माण से भी पढ़े-लिखे नौजवान को निवेश करके आगे बढऩे का मौका मिलना चाहिए। पर्यटन क्षेत्र में लघु व मध्यम निवेश की योजना के अंतर्गत बेरोजगार युवाओं को सस्ती दरों पर राज्य की रोजगार गारंटी के तहत सस्ती ऋण सुविधा की आसान पद्धति बनानी होगी।

पर्यटन की हर हलचल से सैलानी के हालचाल तक जोडऩे के लिए रोजगार की परंपराएं बदलनी होंगी, जबकि नवाचार के अधिकतम प्रयास को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता भी रहेगी। प्रदेश के पाठ्यक्रमों में स्कूल, कालेज से बिजनेस स्कूलों तक उद्यमशीलता जैसे विषय पर जोर देना होगा। हिमाचल फिलहाल पर्यटन के प्रारूप में किसी तरह के रोजगार को भी स्वीकार कर रहा था, जबकि अब रोजगार की क्षमता में पर्यटन अधोसंरचना का विस्तार होना चाहिए। यह एकतरफा नहीं हो सकता। पूरे पर्यटन क्षेत्र को व्यवस्थित करेंगे, तो रोजगार एवं स्वरोजगार इसके सूत्रधार बनेंगे। विश्व के रोजगार व स्वरोजगार मॉडलों का अध्ययन करते हुए, सरकारी हस्तक्षेप से ढांचागत शुरुआत होगी तो निजी क्षेत्र और भी आगे आकर पर्यटन को आर्थिकी व रोजगार से जोड़ेगा। इसी के साथ प्रदेश की विभिन्न परियोजनाओं व सडक़ तथा एयरपोर्ट विस्तार से विस्थापित होने जा रही जनता का पर्यटन परियोजना के जरिए पुनर्वास करेंगे, तो हर दर्द का इलाज इस क्षेत्र में तलाशा जा सकता है।


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