इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी बढ़ाने पर हाई कोर्ट पहुंचे 19 उद्योग, 10 उद्योगों को फिलहाल मिली अंतरिम राहत

By: Nov 28th, 2023 12:08 am

10 उद्योगों को फिलहाल मिली अंतरिम राहत, अधिकांश मामलों में सरकार ने भी दाखिल किया है जवाब

दिव्य हिमाचल ब्यूरो — शिमला

हिमाचल सरकार द्वारा बढ़ाई गई इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी के खिलाफ अब तक करीब 19 उद्योग हाई कोर्ट पहुंचे हैं। इनमें से 10 उद्योगों को फिलहाल अंतरिम राहत मिल गई है। कोर्ट ने इन्हें पुरानी दरों पर इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी जमा करवाने को कहा है और राज्य सरकार के नए आदेश को फिलहाल लागू होने से रोक दिया है। सरकार से भी इस मामले में जवाब मांगा गया था और अधिकांश मामलों में जवाब दायर हो गया है। हिमाचल में बिजली बोर्ड ने पहली सितंबर, 2023 को एक आर्डर जारी कर प्रदेश में नई बिजली दरें उद्योगों पर लागू की थी। इसमें घरेलू, कृषि और सिंचाई उपभोक्ताओं के लिए शुल्क नहीं बढ़ाया गया है। नई दरों के तहत एचटी (हाई टेंशन) के अधीन आने वाले उद्योग के लिए बिजली शुल्क 11 प्रतिशत से बढ़ाकर 19 प्रतिशत कर दिया गया था। ईएचटी (एक्सट्रीम हाई टेंशन) उद्योगों के लिए इसे 13 प्रतिशत से बढ़ाकर 19 प्रतिशत किया गया है। छोटे और मध्यम उद्योगों पर बिजली शुल्क 11 प्रतिशत से 17 प्रतिशत तक बढ़ाया है। सीमेंट संयंत्रों पर बिजली शुल्क 17 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया है।

डीजी (डीजल जनरेटर) सेट की ओर से बिजली उत्पादन पर 45 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली शुल्क भी लगाया गया है। राज्य के उद्योग इस बढ़ोतरी को ज्यादा बताते हुए इसका विरोध कर रहे हैं। कुछ उद्योग राज्य सरकार से बात किए बिना पहले ही हाई कोर्ट चले गए थे। बाद में कुछ उद्योगपतियों ने उद्योग मंत्री के माध्यम से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से भी उनके सरकारी निवास पर जाकर बैठक की थी। इसके बाद मुख्यमंत्री ने इन दरों का युक्तिकरण करने का आश्वासन दिया था। यानी बढ़ी हुई दरें कुछ कम की जानी थीं, लेकिन अभी तक इस पर फैसला नहीं हो पाया है। हालांकि बीच में कैबिनेट की एक बैठक भी हो गई। अब पहली दिसंबर, 2023 को कैबिनेट की अगली बैठक है और इसमें इस मामले पर चर्चा हो सकती है। राज्य में आई आपदा के बाद राजस्व बढ़ाने के कदमों के तहत इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी को बिजली बोर्ड ने बढ़ाया था, लेकिन इसका असर उद्योगों पर प्रतिकूल न हो और इससे राज्य से उद्योगों का पलायन शुरू न हो जाए, इस पर भी उद्योग विभाग की नजर है।

क्या कहा है कोर्ट ने अपने आर्डर में?

मेजर्स सिद्धार्थ सुपर स्पिनिंग मिल्स बनाम राज्य बिजली बोर्ड के केस में हाई कोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता को पुरानी दरों पर ही इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी जमा करवाने दी जाए, जब तक इस मामले में फैसला नहीं होता। यह 20 नवंबर का आर्डर है। थियोन फार्मास्युटिकल्स के केस में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब दायर करने के लिए दो हफ्ते का नोटिस दिया था और तब तक पहली सितंबर, 2023 की बिजली बोर्ड की नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी थी। इसी तरह के फैसले अन्य याचिकाकर्ताओं को भी मिले हैं।

भाजपा सरकार में मिली राहत भी खत्म

पूर्व भाजपा सरकार ने औद्योगिक निवेश बढ़ाने की मंशा से उद्योगों को इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में 20 पैसे प्रति यूनिट की अतिरिक्त छूट दी थी। यह छूट इन्वेस्टर मीट के बाद उठाए गए कदमों के तहत थी, लेकिन इसकी अवधि भी 31 मार्च, 2023 को खत्म हो गई। उसके बाद उद्योगों को यह छूट भी अब नहीं मिल रही है। ऐसे में इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी बढऩे से औद्योगिक लागत में भी वृद्धि हुई है। कोर्ट में उद्योगों का तर्क है कि इस तरह इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी बढऩे से उनके ऊपर 50 लाख से एक करोड़ की अतिरिक्त देनदारी आ गई है।


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