गोवा राष्ट्रीय खेलों में प्रदेश का प्रदर्शन

By: Nov 17th, 2023 12:06 am

स्वर्ण पदक की परम्परा को जारी रखते हुए चंबा की सीमा ने दस हजार मीटर की दौड़ में स्वर्ण पदक व पांच हजार मीटर की दौड़ में भी अपना सर्वश्रेष्ठ समय निकाल कर दूसरा स्वर्ण पदक जीता है। सीमा साई खेल छात्रावास धर्मशाला में एथलेटिक्स प्रशिक्षक केहर सिंह पटियाल के प्रशिक्षण कार्यक्रम से निकल कर आजकल भोपाल में विशेष व गहन प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है। अगले साल ओलंपिक खेलों में इस धाविका से काफी उम्मीद है। हिमाचल को महिला हैंडबाल में स्नेहलता की टीम ने इस बार भी अपना जलवा दिखाते हुए स्वर्ग पदक दिलाया है। हिमाचल प्रदेश के मुक्केबाज आशीष कुमार ने रजत व आशीष वनडोर ने कांस्य पदक जीत कर पदक तालिका में योगदान दिया है। वुशू में हिमाचल प्रदेश को प्रशांत व अशीम मोहम्मद ने अपने-अपने वजन में कांस्य पदक जीत कर मान बढ़ाया है। सरकार इन खिलाडिय़ों को जल्द सम्मान दे…

भारत के 2023 राष्ट्रीय खेल, जिसे भारत के 37वें राष्ट्रीय खेलों के रूप में भी जाना जा रहा है और भविष्य में गोवा राष्ट्रीय खेलों के नाम से भी जाना जाएगा। भारत के राष्ट्रीय खेलों का 37वां संस्करण गोवा में आयोजित हुआ। राष्ट्रीय खेलों में देश के विभिन्न राज्यों व सेना के लगभग 7000 एथलीटों ने 36 खेलों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए अपना अपना दम दिखाया। पिछले वर्ष 2022 में गुजरात ने राष्ट्रीय खेलों का आयोजन किया। दो साल के अंतराल में होने वाले ये खेल कभी तो दस साल बाद भी आयोजित हुए हैं। इस बार भी ये खेल एक वर्ष बाद ही आयोजित हो गए। प्रदेश के खिलाडिय़ों ने भी राज्य ओलंपिक संघ के बैनर तले कुछ खेलों में अपना दम दिखाया और पदक जीत कर हिमाचल का नाम रोशन किया है। हिमाचल प्रदेश महिला कबड्डी टीम ने उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन करते हुए हिमाचल प्रदेश की पदक तालिका को स्वर्ण पदक से सजाया है। पिछले दो दशकों से हिमाचल प्रदेश महिला कबड्डी का देश में दबदबा कायम है।

जब राज्य में कबड्डी के लिए कोई भी छात्रावास नहीं था, तब 2000 में दयाराम चौधरी के प्रशिक्षण कार्यक्रम से निकली लड़कियों ने पुष्पलता के नेतृत्व में पहली बार राष्ट्रीय महिला खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। उसके बाद कबड्डी प्रशिक्षक मेहर चंद वर्मा साई धर्मशाला व स्वर्गीय कबड्डी प्रशिक्षक दौलतराम ठाकुर व रतन ठाकुर से राज्य खेल छात्रावास बिलासपुर में महिला कबड्डी खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण सुविधाएं उपलब्ध हुईं और उत्कृष्ट प्रदर्शन भी सामने आते रहे हैं। एथलेटिक्स में हिमाचल प्रदेश की पदक तालिका को सुमन रावत ने तीन दशक पहले ही राष्ट्रीय खेलों में कई बार स्वर्ण पदकों से सजाया है। अमन सैनी ने भी स्वर्ण पदक सहित कई पदकों से हिमाचल प्रदेश की पदक तालिका को राष्ट्रीय खेलों में सजाया है। स्वर्ण पदक की परम्परा को जारी रखते हुए चंबा की सीमा ने दस हजार मीटर की दौड़ में स्वर्ण पदक व पांच हजार मीटर की दौड़ में भी अपना सर्वश्रेष्ठ समय निकाल कर दूसरा स्वर्ण पदक जीता है। सीमा साई खेल छात्रावास धर्मशाला में एथलेटिक्स प्रशिक्षक केहर सिंह पटियाल के प्रशिक्षण कार्यक्रम से निकल कर आजकल भोपाल में विशेष व गहन प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है। अगले साल ओलंपिक खेलों में इस धाविका से काफी उम्मीद है। हिमाचल को महिला हैंडबाल में स्नेहलता की टीम ने इस बार भी अपना जलवा दिखाते हुए स्वर्ग पदक दिलाया है। हिमाचल प्रदेश के मुक्केबाज आशीष कुमार ने रजत व आशीष वनडोर ने कांस्य पदक जीत कर पदक तालिका में योगदान दिया है।

वुशू में हिमाचल प्रदेश को प्रशांत व अशीम मोहम्मद ने अपने अपने वजन में कांस्य पदक जीत कर मान बढ़ाया है। पिछल कई वर्षों से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता खिलाडिय़ों को उनके द्वारा जीते गए पदकों के लिए ईनाम बांट समारोह आयोजित नहीं हुआ है। अब तो प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह जल्दी ही अपने पदक विजेता खिलाडिय़ों के लिए ईनाम बांट समारोह आयोजित कर हिमाचल को गौरव दिलाने वालों को सम्मान दे। इसके अलावा अगर हम हिमाचल में खेल की मूलभूत सुविधाओं की चर्चा करें, तो खेल ढांचे को और सुदृढ़ करने की जरूरत है। आजकल खेलों में प्रतिस्पर्धा बहुत बढ़ गई है। अत: खास सुविधाएं पाने वाले खिलाड़ी ही खेलों में अपना नाम ऊंचा कर पाते हैं। खेल सुविधाओं के बल पर कभी पंजाब खेलों में बहुत आगे था। अब हरियाणा भी खेलों में बहुत उन्नति कर रहा है। वहां खिलाडिय़ों को अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय मुकाबले जीतने पर बड़े-बड़े इनाम दिए जाते हैं। हिमाचल में विजेता खिलाडिय़ों को सरकार की ओर से नाममात्र के पुरस्कार दिए जाते हैं। इसके कारण हिमाचल में खिलाड़ी खेलने के लिए प्रेरित नहीं हो पाते हैं।

जरूरत इस बात की है कि हिमाचल में भी माकूल खेल वातावरण तैयार किया जाए। यहां पर खेल प्रशिक्षण की पर्याप्त सुविधाएं भी नहीं हैं। इसके कारण प्रतिभाशाली खिलाड़ी अन्य राज्यों को पलायन कर जाते हैं। शेष खिलाड़ी अपना खेल कैरियर बीच में ही खत्म कर देते हैं। इस तरह हिमाचल खेल प्रतिभाओं से वंचित है। यहां पर खेलों को प्रोत्साहन देने के लिए निजी तौर पर कुछ लोग आगे आए हैं। वे खिलाडिय़ों को बिना किसी शुल्क के प्रशिक्षित कर रहे हैं। सरकार को भी चाहिए कि निशुल्क प्रशिक्षण दे रहे इन लोगों की आर्थिक मदद करे। हिमाचल में कुछ हद तक खेल ढांचा तैयार है, किंतु उसका सही उपयोग नहीं हो पा रहा है। खेल के मैदानों में लोग सुबह की सैर कर रहे होते हैं। होना यह चाहिए कि खेल के मैदानों को खेलों के लिए ही उपयोग किया जाए। बहरहाल, राष्ट्रीय खेलों में जिन खिलाडिय़ों ने बेहतर प्रदर्शन किया है, उन्हें सरकार को जल्द सम्मानित करना चाहिए। खिलाडिय़ों को प्रेरित करना होगा।

भूपिंद्र सिंह

अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक

ईमेल: bhupindersinghhmr@gmail.com


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