भ्रष्टाचार और क्षेत्रीय राजनीतिक दल

By: Dec 2nd, 2023 12:05 am

सवाल यही उठता है कि क्षेत्रीय दलों के नेताओं ने अपने राज्य और देश के सामने कभी भ्रष्टाचार से निपटने का खाका नहीं रखा। यह निश्चित है कि विपक्षी दलों का आगामी लोकसभा चुनाव में केंद्र में सत्ता पाने का ख्वाब तब तक शायद ही पूरा हो, जब तक भ्रष्टाचार सहित अन्य संवेदनशील मुद्दों पर नीतियां स्पष्ट न हों…

क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के लिए भ्रष्टाचार कोई मुद्दा नहीं है। इन दलों के नेताओं को उसी हद तक यह मुद्दा नजर आता है, जब उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई की जाती है। भ्रष्टाचार की चपेट में आए कमोबेश सभी क्षेत्रीय दलों का एक जैसा रवैया है। इन दलों को इस बात की चिंता नहीं है कि उनके राज्य में भ्रष्टाचार कैसे समाप्त हो, भ्रष्टाचार में फंसने के बाद पूरा जोर इस बात पर रहता है कि इसे विरोधी दल की कार्रवाई करार देते हुए कैसे खुद को पाक साफ करार दिया जाए। तमिलनाडु के बिजली मंत्री और डीएमके नेता सेंथिल बालाजी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत नहीं मिल सकी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पार्टी आप के मंत्री-सासंद को शराब घोटाले के मामले में जमानत नहीं मिल सकी। इसी तरह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के कई मंत्री-विधायक भ्रष्टाचार के मामलों में जेल से आते-जाते रहे हैं। बिहार में लालू यादव की पार्टी के नेताओं का भी यही हाल है। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के मंत्री और डीएमके नेता वी. सेंथिल बालाजी को स्वास्थ्य आधार पर जमानत देने से इनकार कर दिया। बालाजी को प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि सेंथिल बालाजी की हालत जमानत पाने के लिए बहुत गंभीर नहीं लगती है और कहा कि वह ट्रायल कोर्ट के समक्ष नियमित जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके बाद बालाजी के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी जमानत याचिका वापस ले ली।

भाजपा को केंद्र से बेदखल करने की हुंकार भरने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के नेता-मंत्री भ्रष्टाचार के जाल में फंसे हुए हैं। भ्रष्टाचार और राशन भ्रष्टाचार मामलों में केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद पार्थ चटर्जी, ज्योतिप्रिय मल्लिक, जीबनकृष्ण साहा और माणिक भट्टाचार्य वर्तमान में जेल में हैं। गौ तस्करी मामले में तिहाड़ जेल में तृणमूल के बाहुबली नेता अणुब्रत मंडल भी बंद हैं। क्षेत्रीय दलों के भ्रष्टाचार के खिलाफ सीबीआई और ईडी की छापे की कार्रवाई लगातार जारी है। क्षेत्रीय दलों की स्वार्थपरक आलोचनाओं से केंद्र सरकार कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटी है। नई कार्रवाई के तहत केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने पश्चिम बंगाल में कथित स्कूल भर्ती घोटाले में संलिप्तता के आरोप में एक विधायक और दो पार्षदों सहित तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं के आवासों पर एक साथ छापेमारी की। इसी तरह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आप पार्टी से जुड़े दिल्ली वक्फ बोर्ड से जुड़े जिशान हैदर, जावेद इमाम, दाऊद नसीर को ईडी ने गिरफ्तार किया। ये सभी आरोपी आम आदमी पार्टी के एमएलए अमानतुल्लाह खान के नजदीकी बताए जाते हैं। प्रवर्तन निदेशालय इस मामले में आप विधायक अमानतुल्लाह खान के खिलाफ भी मामला दायर कर चुका है। भ्रष्टाचार को लेकर जितनी अंधेरगर्दी बिहार में व्याप्त है, उतनी शायद ही किसी राज्य में होगी। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि बिहार और पश्चिम बंगाल राजनीतिक भ्रष्टाचार के मामलों में शीर्ष पर हैं। आश्चर्य की बात यह है कि मुख्यमंत्री रहते हुए चारा घोटाले में जेल गए लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार ने कोई सबक नहीं सीखा। बिहार में लैंड फॉर जॉब केस में पूरा लालू परिवार फंसा हुआ है। डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी को जमानत मिली हुई है। वर्ष 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री रहे लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल के दौरान लैंड फॉर जॉब घोटाला हुआ था, जिसके तहत लोगों को जमीन के बदले रेलवे के अलग-अलग डिविजन में नौकरी देने का आरोप लगाया गया था। सीबीआई की चार्जशीट में पहली बार बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को आरोपी बनाया गया था। सीबीआई ने कोर्ट को बताया था कि लालू प्रसाद यादव के खिलाफ केस चलाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से मंजूरी मिल गई है। ये उदाहरण बताते हैं कि क्षेत्रीय राजनीतिक दल सत्ता में आने पर भ्रष्टाचार की लूट-खसोट मचाने में किस कदर लिप्त हैं। जब कभी इनके भ्रष्टाचार के मामले उजागर होते हैं, तब इन दलों के नेता लोकतंत्र की दुहाई देने लगते हैं।

भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई कराने के लिए भारतीय जनता पार्टी को जिम्मेदार ठहराते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि इन दलों के करीब आधा दर्जन नेताओं को अदालतों से जमानत तक नहीं मिल सकी। अधीनस्थ अदालतों के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने भी जमानत देने से इंकार कर दिया। निश्चित तौर पर अदालतों ने इन आरोपी नेताओं के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य होने के बाद ही जमानत के आवेदन निरस्त किए हैं। आश्चर्य यह है कि क्षेत्रीय दल सिर्फ अपने नेताओं के खिलाफ की गई कार्रवाई को ही मुद्दा मानते हैं। भ्रष्टाचार इन दलों के लिए मुद्दा नहीं है। इन दलों ने केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की गई छापे की कार्रवाई के बाद यह प्रयास नहीं कभी नहीं किया कि राज्य से भ्रष्टाचार कैसे समाप्त किया जाए। इसके विपरीत भाजपा और केंद्र सरकार पर राजनीतिक रंजिश के कारण छापे पड़वाने का आरोप कई बार लगाया है। क्षेत्रीय दल भ्रष्टाचार के मामलों में उल्टी गंगा बहा रहे हैं। भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने के बजाय केंद्रीय एजेंसियों और भाजपा पर आरोप लगाते हुए उल्टी धमकी देने में जुटे हुए हैं। पश्चिम बंगाल में भ्रष्टाचार के मामलों में केंद्रीय एजेंसियों द्वारा टीएमसी के चार आला नेताओं की गिरफ्तारी पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुस्सा तो दिखाया, पर भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया। ममता बनर्जी ने पार्टी की बैठक में ऐलान किया कि टीएमसी के चार नेताओं की गिरफ्तारी के बदले में बीजेपी के आठ नेताओं को जेल भेजेंगे। साल 2011 के विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने ‘बदला नहीं, बदल चाई’ का नारा दिया था। लेकिन बदलती परिस्थितियों में 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले स्थिति कुछ हद तक बदल गई। तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ने सीधे ‘राजनीतिक बदला’ लेने का ऐलान किया। तृणमूल कांग्रेस की मीटिंग में ममता बनर्जी ने बीजेपी नेताओं को जेल में डालने की चेतावनी दी। कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में पार्टी की बैठक में ममता बनर्जी ने कहा, ‘उन्होंने हमारे चार विधायकों को जेल में डाल दिया है। इस तरह वे हमारी संख्या कम करना चाहते हैं। अगर उन्होंने हममें से चार लोगों को चोरी के नाम पर जेल में डाल दिया तो हम भी पार्टी की ओर से निर्णय लेते हुए उनमें से आठ को जेल में डाल देंगे।’

उन्होंने कहा, ‘जिनके नाम पर चोरी, हत्या या अन्य मामले होंगे, मैं उन्हें जेल में डालूंगी।’ ऐसी ही धमकी बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी दे चुके हैं। यादव ने केंद्र सरकार और बीजेपी पर हमला बोला। तेजस्वी यादव की तरफ से किए गए एक ट्वीट में लिखा गया है कि पूरा देश देख रहा है कि साहस, कत्र्तव्यनिष्ठा, धैर्य, बलिदान, जनसेवा, भाईचारा, एकता और सामाजिक उन्नति की चाह रखने वाले को क्या-क्या सहना पड़ रहा है, लेकिन वो इनके सामने कभी झुकेगा नहीं! तेजस्वी यादव ईडी और सीबीआई से हिसाब चुकता करने की धमकी दे चुके हैं। बिहार की तरह उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी केंद्र में सत्ता में आने पर भाजपा को सबक सिखाने की बात कह चुके हैं। सवाल यही उठता है कि क्षेत्रीय दलों के नेताओं ने अपने राज्य और देश के सामने कभी भ्रष्टाचार से निपटने का खाका नहीं रखा। यह निश्चित है कि विपक्षी दलों का आगामी लोकसभा चुनाव में केंद्र में सत्ता पाने का ख्वाब तब तक शायद ही पूरा हो, जब तक भ्रष्टाचार सहित अन्य संवेदनशील मुद्दों पर नीतियां स्पष्ट न हों।

योगेंद्र योगी

स्वतंत्र लेखक


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