क्या अमरीका में लोकतंत्र खतरे में है?

अमरीका को ऐसे किसी भी संवैधानिक बदलाव से बचना चाहिए जो शक्तियों के इस सुंदर संतुलन को बदले। अमरीकी सिस्टम की कुछ विशेषताओं पर अकसर ‘अलोकतांत्रिक’ होने के रूप में हमला किया जाता है। जैसे कि इलेक्टोरल कॉलेज, सेनेट का सभी राज्यों को समान वोट और फिलिबस्टर नियम। परंतु उन्हें खत्म करने से सरकार की शक्तियां कुछ ही हाथों में समाहित हो जाएंगी। विश्वास बनाए रखो, अमरीका। आपका लोकतंत्र बिल्कुल सही चल रहा है…

आश्चर्यजनक रूप से 83 प्रतिशत अमरीकियों का मानना है कि उनके देश का लोकतंत्र खतरे में है। राष्ट्रपति बाइडेन बार-बार याद दिलाते हैं कि पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए खतरा हैं। ट्रंप बाइडेन के बारे में भी यही बात कहते हैं। और एक हालिया सर्वेक्षण में, डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों पार्टियों के बहुमत का कहना है कि ‘लोकतंत्र पतन के खतरे में है।’

परंतु जमीन पर कुछ और ही कहानी सामने आती है। अमरीकी चुनाव ठीक से और समय पर हो रहे हैं, उनमें नागरिकों की भागीदारी दर ऊंची है, देश के राज्य और संघीय प्रशासन स्थिर हैं और संविधान के अनुसार काम कर रहे हैं। सभी स्थानीय सरकारी निकाय – लगभग 80,000 नगर परिषदों से लेकर शिक्षा बोर्ड तक – और सभी 50 राज्य सरकारें अपने निर्दिष्ट कत्र्तव्यों का पालन कर रही हैं और लोगों के प्रति जवाबदेह हैं।

यदि वर्जीनिया, ओहायो और केंटकी में हाल के चुनाव हमें कुछ बताते हैं तो वह यह है कि अमरीकी लोकतंत्र अत्यधिक संवेदनशील है। डेमोक्रेट्स ने बड़ी जीत हासिल की – बावजूद इसके कि बाइडेन की अप्रूवल रेटिंग घटकर 40 प्रतिशत के करीब रह गई है – ज्यादातर इसलिए क्योंकि पार्टी का गर्भपात समर्थक एजेंडा वही है जो लोग चाहते हैं।

संघीय स्तर पर, जहां इस लोकतंत्र के खतरे की चर्चा का अधिकांश ध्यान केंद्रित है, अमरीका की तीनों शाखाएं उसी तरह काम कर रही हैं जैसे वे 235 वर्षों से कर रही थीं। कांग्रेस ने पिछले साल पांच महत्त्वपूर्ण कानून पारित किए, जिनमें से अधिकांश को द्विदलीय समर्थन प्राप्त था। इसने जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई की, राष्ट्रपति चुनावों में सुधार किया, हथियार कानूनों को कड़ा किया, चीन के खिलाफ अमरीकी विनिर्माण को मजबूत किया, और राष्ट्रीय स्तर पर समलैंगिक विवाह को प्रतिष्ठित किया। इस वर्ष, रिपब्लिकन नियंत्रित सदन, डेमोक्रेट-नियंत्रित सीनेट और राष्ट्रपति पद उसी प्रकार एक-दूसरे से द्वंद्व कर रहे हैं जैसा कि वे हमेशा विभाजित सरकार की अमरीका की अनूठी प्रणाली के तहत करते हैं। और सर्वोच्च न्यायालय भी दूरगामी निर्णय करना जारी रखे है। हाल ही में इसने सकारात्मक कार्रवाई कर राज्य के अधिकारों को सुदृढ़ किया और कार्यकारी अधिकारों पर रोक लगाई।

जहां तक डोनाल्ड ट्रंप का सवाल है, अमरीकी प्रणाली के अंतर्निहित संवैधानिक सुरक्षा उपायों ने उनसे काफी प्रभावी ढंग से निपटा। पद संभालने के दो साल के भीतर ही उनके पंख काट दिए गए जब डेमोक्रेट्स ने 2018 के मध्यावधि चुनाव में सदन में बहुमत हासिल कर लिया। अपने कार्यकाल के आखिरी दो वर्षों में, ट्रंप जांच और दो महाभियोगों के कारण अपंग हो गए। और उनके राष्ट्रपति कार्यकाल के बाद अब तक उन पर चार आपराधिक मामलों में 91 आरोपों पर अभियोग दाग दिए गए हैं।

ट्रंप के सत्ता अतिक्रमण करने या एकतरफा कार्रवाई करने के प्रयासों को अमरीका के संविधान की प्रसिद्ध नियंत्रण और संतुलन प्रणाली ने रोक दिया। उदाहरण के लिए, कुछ मुस्लिम देशों से आप्रवासन पर उनका प्रतिबंध, और बच्चों को दस्तावेज न होने पर उनके अप्रवासी माता-पिता से अलग करने की उनकी नीति, दोनों को अदालतों द्वारा रोक दिया गया था। दक्षिणी सीमा पर दीवार बनाने के उनके प्रयास को ही कांग्रेस ने विफल कर दिया।

यहां तक कि ‘हाउ डेमोक्रेसीज डाई’ पुस्तक के लेखकों ने भी स्वीकार किया कि अपने पहले वर्ष में, ‘राष्ट्रपति ट्रंप एक लापरवाह ड्राइवर की तरह बार-बार रेलिंग से टकराए, लेकिन वह उसे नहीं तोड़ पाए। हमने तानाशाही की सीमा पार नहीं की।’

लेकिन फिर भी डराने वाले अमेरिकी लोकतंत्र के खात्मे की चेतावनी देते हैं। वर्तमान में यह बार-बार ट्रंप के ‘बड़े झूठ’ (कि बाइडेन की जीत नाजायज थी) और कैपिटल पर 6 जनवरी के हमले के लिए उनके उकसावे के रूप में किया जाता है। लेकिन ट्रंप इन चालों में भी विफल रहे। लगभग सभी राज्य और संघीय निर्वाचित अधिकारी – जिनमें कई रिपब्लिकन और उनके अपने उपराष्ट्रपति भी शामिल हैं – अपनी संवैधानिक शपथों के प्रति सच्चे रहे और पद पर बने रहने के उनके प्रयासों को सफल बनाने से इनकार कर दिया।

फिर भी विनाश के ये भविष्यवक्ता अमरीकी लोकतंत्र को बदनाम करना जारी रखे हैं, क्योंकि इससे उनकी पार्टी को लाभ मिलता है। ट्रंप ने डेमोक्रेट्स को उन्हें और उनकी पार्टी को देश के लिए खतरे के रूप में चित्रित करने को भरपूर ईंधन दिया है। इससे वामपंथी राजनेताओं, लेखकों और कार्यकर्ता समूहों को अपने विचारों को बेचने का एक आकर्षक तंत्र तैयार हो गया है।

परंतु यह केवल ध्रुवीकरण को बढ़ाने और अमरीकी लोकतंत्र में विश्वास को कमजोर करने का काम करता है। ताजा शोध से पता चलता है कि अमरीकी तब अलोकतांत्रिक तरीके से कार्य करने के लिए अधिक इच्छुक होते हैं जब उन्हें डर होता है कि विरोधी पार्टी भी ऐसा ही कर रही है। राजनीतिक विश्लेषक जेसन विलिक ने हाल ही में ‘वाशिंगटन पोस्ट’ के कॉलम में तर्क दिया, ‘अमरीकी लोकतंत्र के लिए खतरा, कम से कम आंशिक रूप से, बुरी जानकारी से उत्पन्न होता है। लोग अन्य पार्टियों से लोकतंत्र के खतरे को अधिक महत्त्व देते हैं और परिणामस्वरूप रक्षात्मक रूप से लोकतांत्रिक मानदंडों को नष्ट करने के अधिक इच्छुक हो जाते हैं।’

अमरीका में लोकतंत्र तब तक खतरे में नहीं है जब तक यह अपने संस्थापकों की संवैधानिक संरचना को बरकरार रखते हैं। यह शक्तियों के एकीकरण को सरलता से प्रतिबंधित करती है। संघीय व्यवस्था, कार्यकारी और विधायी शक्तियों का पृथक्करण और सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक समीक्षा की शक्ति पिछली दो शताब्दियों से अमरीका की सफलता की महत्त्वपूर्ण कुंजी रहे हैं।

जस्टिस एंटोनिन स्कैलिया ने 2014 के एक साक्षात्कार में कहा, ‘आज दुनिया का हर तानाशाह जनता के अधिकारों का वास्ता देता है।’ परंतु यह कागजी अधिकार नहीं जो लोकतांत्रिक स्वतंत्रता पैदा करते हैं। यह सरकार की संरचना है जो किसी को भी संपूर्ण शक्ति जब्त करने से रोकती है। जो लोकतंत्र को मजबूत रखती है।

अमरीका को ऐसे किसी भी संवैधानिक बदलाव से बचना चाहिए जो शक्तियों के इस सुंदर संतुलन को बदले। अमरीकी सिस्टम की कुछ विशेषताओं पर अकसर ‘अलोकतांत्रिक’ होने के रूप में हमला किया जाता है। जैसे कि इलेक्टोरल कॉलेज, सेनेट का सभी राज्यों को समान वोट और फिलिबस्टर नियम। परंतु उन्हें खत्म करने से सरकार की शक्तियां कुछ ही हाथों में समाहित हो जाएंगी। विश्वास बनाए रखो, अमरीका। आपका लोकतंत्र बिल्कुल सही चल रहा है।

-अमरीका में ‘द हिल’ में प्रकाशित

(29 नवंबर, 2023)

भानु धमीजा

सीएमडी, दिव्य हिमाचल


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