मुल्क मजे में है…

By: Dec 2nd, 2023 12:05 am

देखिए जी, मुल्क मजे में है। जैसे हुक्मरान मजे में हैं। बाबा लोग मजे में हैं। धर्माचार्य मजे में हैं। कोई फिक्र फाका नहीं। एकदम से मस्त। मजा पूरे शबाब पर। मुल्क दौड़ रहा है नाक की सीध में सरपट। बीच में कोई अवरोध नहीं। कोई ट्रैफिक जाम नहीं। कोई रैली, धरना, प्रदर्शन नहीं। सडक़ में कोई खड्डा या गड्डा नहीं। कोई पेड़ नहीं। कोई झाड़ी नहीं। रॉन्ग साइड में कोई गाड़ी नहीं। सडक़ चकाचक। एकदम से क्लियर रास्ता। मुल्क को और क्या चाहिए! मुल्क लगातार आगे बढ़ रहा है। नए-नए रिकॉर्ड बना रहा है और अपने ही रिकॉर्ड तोड़ रहा है। कोई ऐसी फील्ड नहीं है जिसमें मुल्क ने नए रिकॉर्ड नहीं बनाए। मुल्क ने पूरी दुनिया को दिखा दिया है कि रिकॉर्ड ऐसे बनते हैं। इन रिकार्डों के सर्टिफिकेट भी मुल्क के पास हैं। लॉकर में सुरक्षित। कोई माई का लाल इन सर्टिफिकेट को चुरा नहीं सकता। डुप्लीकेट बना नहीं सकता। ओरिजिनल रिकॉर्ड हैं और ओरिजिनल सर्टिफिकेट। ऐसे-ऐसे सर्टिफिकेट दुनिया के किसी मुल्क के पास नहीं होंगे, लेकिन हमारे पास हैं। जैसे भ्रष्टाचार के रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट। महंगाई के रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट। नेताओं के गौरवपूर्ण करैक्टर के रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट। रेप के रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट। इलेक्शन में वायदों के रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट। वायदे पूरे न करने के रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट और एक दूसरे पर कीचड़ उछालने के रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट। यह तमाम रिकॉर्ड और उनके सर्टिफिकेट हमारे मुल्क की आन, बान और शान हैं। हम इन रिकार्डों पर इतरा रहे हैं, मुल्क पर बलिहारी हुए जा रहे हैं। मुल्क मजे में है। मुल्क दौड़ रहा है।

फिर टेंशन भी काहे को लें। अब देखो न, सरकार भी कोई टेंशन नहीं लेती। मजे से सोई रहती है और मजे लेती रहती है। अपनी खुदा से यही फरियाद है कि सरकार का बाल भी बांका न हो। सरकार के घुटनों में कभी सूजन ना आए। सरकार के पांव में कभी कांटा न चुभे। कान पर कभी जूं न रेंगे। वरना लफड़ा हो जाएगा। वैसे भी इन दिनों कई लफड़ेबाज सक्रिय हैं। खामखा मुल्क को बदनाम कर रहे हैं। मुल्क को लेकर बड़ी कंट्रोवर्सी भरी बातें कर रहे हैं। पूरी दुनिया इन बातों को कान लगाकर सुन रही है। अपुन को यह अच्छा नहीं लग रहा। कोई कह रहा है कि मुल्क इधर जा रहा है तो कोई कह रहा है कि मुल्क उधर जा रहा है। कोई चिंता जता रहा है कि मुल्क दिशा से भटक गया है। जैसे मुल्क न हुआ, बेचारी गाय हो गई जो बाड़ तोड़ कर पड़ोसी के खेत में घुस गई हो। कोई कह रहा है मुल्क पहले चल रहा था, अब खड़ा हो गया है। जैसे पेट्रोल खत्म हो जाने पर कोई बाइक सडक़ के बीचों-बीच खड़ी हो जाती है या फिर शॉपिंग मॉल पर जाकर वाइफ खड़ी हो जाती है। कोई माथे पर हाथ रख कह रहा है- हे राम! इस मुल्क में क्या-क्या दिन देखने पड़ रहे हैं, तो कोई घुटनों के बीच सिर देकर यह कह रहा है कि अब इस मुल्क का क्या होगा! कोई बुड़बड़ा रहा है कि जिन हाथों में मुल्क की लगाम सौंपी थी, वे ही बेलगाम हो गए हैं। यानी फिजूल का चिंतन हो रहा है। फालतू किस्म के लोग और अंड बंड सोच जा रहे हैं। चैनलों पर भी अलग-अलग दलों के प्रवक्ता मुल्क की सूरते हाल को लेकर एक दूसरे के कपड़े फाडऩे पर उतारू हैं। यानी बेकार की लफड़ेबाजी में मुल्क फोकस में है। जैसे नेताओं के लिए कुर्सी फोकस में होती है, अफसरों के लिए घूस और पति परमेश्वरों के लिए प्रेमिका। अब मूर्खों को कौन समझाए कि फालतू के चिंतन छोड़ दो! अपना मुल्क तो मजे में है। पब्लिक शान से जी रही है।

गुरमीत बेदी

साहित्यकार


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App