पर्यटन अमावस्या से बचें

By: Jan 13th, 2024 12:05 am

पर्यटनकी खिड़कियां पूछ रहीं, वह सामने क्यों टांग दी उलटी तस्वीर। ये जन्नत की निगाहों में क्यों फंस गए तिनके, बहारों के आंचल में तो ऐसा कुछ न था। हिमाचल यूं तो पर्यटन राज्य की तासीर में फलता-फूलता दिखाई देता है, लेकिन इन आंकड़ों में खुशहाली नहीं। शीतकालीन पर्यटन की अमावस्या इस बार पर्यटन के चांद को छुपा रही है कहीं, इसलिए नववर्ष की आंधी कहीं लौट गई। जो रास्ते पर्यटन की पदचाप सुनाते थे, वे आज अपनी शिकायत दर्ज करा रहे हैं। शायद इन्हीं शिकायतों को सुनकर हिमाचल पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष रघुवीर सिंह बाली ने नजर दौड़ाई तो देखा सरकारी होटलों ने मुस्कराना छोड़ दिया और आक्यूपेंसी की घटती दर ने गंभीर चुनौती दे दी। अगर निजी वोल्वो बसों की आमद में सैलानी खोजे जाएं, तो एक वसंत वहां है, लेकिन यह कारवां नहीं कि मंजिलें फतह मान ली जाएं। शुक्र यह कि पहली बार कोई अध्यक्ष पर्यटन विकास निगम की होटल इकाइयों के अस्तित्व से जुड़े प्रश्न उन्हीं के प्रबंधकों से पूछ रहा। जाहिर है आक्यूपेंसी बढ़ाने का लक्ष्य बड़ा है, लेकिन इससे पहले इसके घटने की वजह भी तो खोजी जाए। सरकारी होटलों ने अपनी क्षमता के अनुरूप या तो व्यवहार करना नहीं सीखा या प्रबंधन की जरूरत में व्यावसायिकता अर्जित नहीं की, वरना पर्यटन के अवसर निजी होटलों की ओर क्यों सरकते। विश्वसनीयता के हिसाब से पर्यटकों के लिए सरकारी होटलों के प्रति जो रुझान स्वाभाविक भी था, उसने क्यों परिवर्तित दिशा पकड़ ली। यह भी एक सत्य है कि सरकारी होटलों के दायरे में श्रेष्ठ समझे गए कुछ प्रबंधकों ने अपने सेवा काल का उपयोग या तो राजनीतिक संबंध बनाने में किया या अपनी क्षमता के अनुरूप निजी होटल बनाने में किया।

आरएस बाली सर्वेक्षण से पता लगा सकते हैं कि पर्यटन विकास निगम के बगल में इसी के प्रबंधकों ने निजी होटल छिपा रखे हैं। एक मूल्यांकन पर्यटन इकाइयों का भी जरूरी है ताकि पता चले कि ये निकम्मी क्यों साबित हो रही हैं। सार्वजनिक क्षेत्र में होटल चलाने की आवश्यकताओं में यह फर्ज भी नत्थी है कि ये पर्यटन का नेतृत्व करें, लिहाजा बदलते उद्योग की संज्ञा में उद्देश्य भी बदलने होंगे। पर्यटन निगम के होटलों को अपनी मार्केटिंग रणनीति में बदलाव करते हुए बुकिंग के बदलते संसार में, ऑनलाइन प्रयास से निजी कंपनियों से जुडऩा चाहिए। विडंबना यह है कि हिमाचल में निजी क्षेत्र के साथ सरकारी फाइल जुडऩा नहीं चाहती। हिमाचल में हाई एंड टूरिस्ट, युवा सैलानी तथा पहाड़ों की तलाश में देश को खोज रहे पर्यटक नई संभावना पैदा कर रहे हैं, अत: पर्यटन निगम को कुछ होटलों को ए, कुछ को बी तथा अन्य को सी श्रेणी में विभक्त करके मार्केटिंग प्रयास करने होंगे। शिमला के ट्रिपल एच, होटल धौलाधार, मनाली व धर्मशाला के क्लब हाउस, मनाली के लॉग हट तथा कोर्ट आदेश पर वापस मिल रहे वाइल्ड फ्लावर हॉल को प्रीमियर होटलों की दृष्टि से हाई एंड टूरिस्ट की मांग से जोडऩा होगा। बजट टूरिस्ट की दृष्टि से अन्य होटलों को सुविधाजनक दरों तथा अन्य इकाइयों को युवा पर्यटक की जरूरतों तथा छात्रावास जैसे अनुभव के लिए निर्धारित करना होगा। हिमाचल पर्यटन विकास निगम को निजी वोल्वो बसों तथा ट्रैवल एजेंसियों के साथ मिलकर ऐसे पैकेज बनाने होंगे, जो युवा पर्यटकों को पूरे हिमाचल की सैर व स्टे करवाने के लिए तत्पर रहें।

पर्यटन निगम तथा एचआरटीसी के बीच एक समझौते के तहत पैकेज बनाने होंगे। जयपुर, दिल्ली, चंडीगढ़, जम्मू, पंजाब-हरियाणा व उत्तराखंड के विभिन्न शहरों से हिमाचल के लिए टूअर शुरू करें, तो होटलों की बुकिंग तथा साइट सीईंग भी इसके साथ जुड़ जाएगा। दूसरी ओर हिमाचली पर्यटक को भी पड़ोसी राज्यों के लिए पैकेज की सुविधा होगी, तो विभिन्न राज्यों की अधोसंरचना के बीच आपसी आदान-प्रदान हो पाएगा। हिमाचल में कुछ होटलों को वेडिंग डेस्टिनेशन, धरोहर पर्यटन, फिशिंग, ट्रैकिंग, साहसिक खेलों तथा ट्राइबल लाइफ से जोडक़र विकसित करना होगा, जबकि वंदे भारत के तहत अंब-अंदौरा आ रही ट्रेन को भविष्य की संभावना से जोडऩा चाहिए, यानी ऊना या अंब तक पहुंच रहे यात्रियों को पर्यटक बसों के जरिए धर्मशाला, पालमपुर, ज्वालाजी व हमीरपुर तक पहुंचाने व ठहरने की व्यवस्था की जिम्मेदारी ओढऩी होगी। हिमाचल पर्यटन विकास निगम को अपनी कार्य संस्कृति को सरकारी पाजेब से मुक्त करते हुए व्यावसायिक दक्षता के नए प्रयोग करने होंगे।


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