चुनावी साल में अंतरिम बजट से उम्मीदें

सरकार नए अंतरिम बजट से पीएलआई योजना का दायरा बढ़ाते हुए इसे कपड़ा और हस्तशिल्प जैसे क्षेत्रों तक विस्तृत कर सकती है…

एक फरवरी को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा लोकसभा में पेश किए जाने वाले वर्ष 2024 के अंतरिम बजट की तैयारियों का अंतिम चरण 24 जनवरी को हलवा वितरण समारोह के साथ आरंभ हुआ। पिछले तीन पूर्ण बजट की तरह नया अंतरिम बजट भी पूरी तरह से पेपरलेस होगा। वस्तुत: इस समय पूरे देश की निगाहें वित्तमंत्री के द्वारा पेश किए जाने वाले अंतरिम बजट की ओर लगी हुई हंै। वस्तुत: देश में जिस साल लोकसभा चुनाव होते हैं, उस वर्ष दो बजट आते हैं। एक अंतरिम बजट और दूसरा पूर्ण बजट होता है। सामान्यतया अंतरिम बजट में नई सरकार बनने तक की व्यय जरूरतों को पूरा करने का उद्देश्य होता है। लेकिन अधिकांश अंतरिम बजटों में लोक लुभावन योजनाओं और बड़ी-बड़ी राहतों का ढेर लगाया जाता रहा है। इस बार वित्तमंत्री सीतारमण वित्तीय अनुशासन के साथ आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जरूरी राहतों और आर्थिक कल्याण की योजनाओं से संतुलित अंतरिम बजट पेश करते हुए दिखाई दे सकती हैं। नि:संदेह इस समय वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट को अंतिम रूप देते समय दो अहम मसले वित्तमंत्री के समक्ष हैं। एक का संबंध उस राजकोषीय गुंजाइश और आकार से है जो फिलहाल केंद्र सरकार के पास अनुकूल स्थिति में है और दूसरा मुद्दा आगामी आम चुनावों में आवश्यक चुनावी लाभ हासिल करने के लिए कुछ नई व्यय योजना की घोषणा और आर्थिक कल्याण को लेकर सरकार की राजनीतिक अनिवार्यता से संबंधित है। वित्तमंत्री ने सीतारमण ने कहा है कि अंतरिम बजट लेखानुदान होगा।

पूर्ण बजट लोकसभा चुनावों के परिणामों के कोई एक माह बाद आने की संभावना रहेगी। कहा है कि जिस तरह वर्ष 2000 के बाद प्रस्तुत हुए तीन अंतरिम बजटों में लोक लुभावन बड़ी घोषणाएं की गई थी और कर उपायों की अनदेखी की गई, वह वैसा नहीं करने जा रही हैं। उनके द्वारा लोकसभा चुनाव के पूर्व प्रस्तुत किए जाने वाले नए अंतरिम बजट में वैसी बड़ी-बड़ी लोक लुभावन योजनाओं को शामिल नहीं किया जाएगा। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि नए अंतरिम बजट के समय वित्तमंत्री सीतारमण के पास आयकर परिदृश्य पर सकारात्मक बदलाव होने का अनुकूल परिदृश्य मौजूद है। हाल ही में एसबीआई की रिसर्च विंग के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2014 से 2022 के पिछले आठ वर्षों में आयकर रिटर्न भरने वाले आयकरदाताओं की संख्या और आयकर की प्राप्ति में छलांगे लगाकर वृद्धि हुई है। 2023-24 के 31 दिसंबर तक आयकर रिटर्न रिकॉर्ड 8.18 करोड़ के स्तर को पार कर चुका है। जहां पिछले आठ वर्षों में आयकर रिटर्न भरने वाले दोगुने हुए हैं, वहीं आय की असमानता में भी कमी आई है। वित्त वर्ष 2014-22 के दौरान व्यक्तिगत आय असमानता 0.472 प्रतिशत से घटकर 0.402 प्रतिशत हो गई है। इस दौरान 3.5 लाख रुपए के कम आय वाले समूह से 36.3 फीसदी लोग उच्च आय वाले समूह में शामिल हो गए हैं। नि:संदेह वित्तमंत्री के मुठ्ठियों में देश में कर सुधारों से आयकरदाताओं और आयकर संग्रहण के साथ-साथ जीएसटी में लक्ष्य से भी अधिक वृद्धि की बड़ी अनुकूलताएं है। इसके अलावा वित्तमंत्री के पास कुछ और अनुकूलताएं भी हैं, जिनके मद्देनजर वे उपयुक्त जरूरी राहत दे सकती हैं। इस वित्त वर्ष 2023-24 में वित्तमंत्री सीतारमण वित्तीय अनुशासन का पालन करते हुए वे अब तक राजकोषीय घाटे को बजट लक्ष्य के मुताबिक जीडीपी के 5.9 तक नियंत्रित रखते हुए सफलतापूर्वक आगे बढ़ी हैं। यह बात भी स्पष्ट रूप से उभरकर दिखाई दे रही है कि पिछले लोकसभा चुनाव के पहले 2019 के अंतरिम बजट में किसान सम्मान निधि व आयकर राहत देने के लिए जरूरी प्रावधान किए गए थे। चूंकि पिछले माह दिसंबर में राज्यों के उत्साहजनक चुनावी नतीजों में कल्याणकारी योजनाओं की भूमिका अहम मानी गई है, इसे ध्यान में रखते हुए वित्तमंत्री आमजन के हितार्थ कुछ महत्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक कल्याण की योजनाओं के साथ-साथ छोटे आयकरदाताओं और मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए कुछ जरूरी प्रावधान कर सकती हैं। नए अंतरिम बजट में छोटे आयकरदाताओं व मध्यम वर्ग को कुछ राहत दी जा सकती है। बजट में किफायती आवासों के लोन पर ब्याज पर सब्सिडी बढ़ सकती है। नई मैन्युक्चरिंग यूनिट के लिए आयकर छूट की सीमा बढ़ सकती है। किसानों और महिलाओं के लिए अंतरिम बजट में बड़े ऐलान हो सकते हैं। किसान सम्मान निधि बढ़ाई जा सकती है।

नए बजट में राजकोषीय घाटा और विनिवेश लक्ष्य कम हो सकता है। विनिवेश लक्ष्य 50 हजार करोड़ रुपए से नीचे रखा जा सकता है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को प्रोत्साहनमूलक राहत दी जा सकती है। जहां विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी करने के लिए सरकार नए अंतरिम बजट से पीएलआई योजना का दायरा बढ़ाते हुए इसे कपड़ा और हस्तशिल्प जैसे क्षेत्रों तक विस्तृत कर सकती है, वहीं रियल एस्टेट सेक्टर को भी प्रोत्साहनमूलक राहत दे सकती है। नए अंतरिम बजट में देश में डिजिटल क्रांति को बढ़ाने से संबंधित मोबाइल सेवा प्रदाताओं सहित विभिन्न उत्पादों, बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए अधिक पूंजीगत व्यय के प्रावधान भी दिखाई दे सकते हैं। नए बजट में वित्तमंत्री जनकल्याण की ऐसी घोषणाएं भी कर सकती हैं जो अंतरिम बजट का हिस्सा नहीं होते हुए आगामी पूर्ण बजट की घोषणाओं की संभावनाओं को रेखांकित करते हुए दिखाई दें। यह भी महत्वपूर्ण है कि नए अंतरिम बजट में वित्तमंत्री आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री आवास योजना, पेयजल जैसी सामाजिक सरोकार जैसी मदों में खर्च की बढ़ोतरी करते हुए दिखाई दें। उल्लेखनीय है कि इन दिनों वेतनभोगी (सेलरीड) वर्ग के लाखों छोटे आयकरदाता और मध्यम वर्ग के लोग यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में उन्हें टैक्स संबंधी कोई उपयुक्त राहत नहीं मिली है। साथ ही अब महंगाई वृद्धि और उनके बढ़ते जरूरी खर्चों के कारण उन्हें कुछ आयकर राहत की अपेक्षा है। ऐसे में नए अंतरिम बजट में छोटे आयकरदाताओं को नई कर व्यवस्था के तहत लगभग 50 हजार रुपए तक की नई कर राहत मिल सकती है। मानक कटौती सीमा को 50000 रुपए से बढ़ाकर 75000 रुपए किए जाने और जिन मकानों में व्यक्ति खुद रह रहा हो, उस पर लिए गए आवास ऋण पर ब्याज पर कर छूट की सीमा 2 लाख रुपए से बढ़ाकर कम से कम 2.5 लाख रुपए किए जाने की अपेक्षा है।

नि:संदेह वेतनभोगी वर्ग के द्वारा नए अंतरिम बजट में राहत की अपेक्षा इसलिए भी न्यायसंगत है, क्योंकि वेतनभोगी वर्ग के द्वारा दिया गया कुल आयकर पेशेवरों और कारोबारी करदाताओं के वर्ग द्वारा चुकाए गए कुल आयकर से काफी अधिक होता है। वेतनभोगी वर्ग के करदाताओं के कर की कटौती आमदनी अर्जित करने के स्रोत पर अर्जित आय पर की जाती है। इसे टीडीएस के रूप में जाना जाता है। टीडीएस के कारण वेतनभोगी नियमानुसार अपने वेतन पर ईमानदारीपूर्वक आयकर चुकाते हैं और आमदनी को कम बताने की गुंजाइश नगण्य होती है। इस परिप्रेक्ष्य में एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि वर्ष 2022-23 में देश के 140 करोड़ से अधिक लोगों में से सिर्फ 2.24 करोड़ लोगों ने ही आयकर दिया है। यानी देश की कुल आबादी का 1.60 फीसदी लोग ही आयकरदाता हैं। साथ ही देश में शून्य आयकर देयता वाले आईटी रिटर्न की संख्या भी लगातार बढ़ते हुए वर्ष 2022-23 में 5.16 करोड़ हो गई। करीब 70 फीसदी आयकर रिटर्न शून्य आयकर देयता बता रहे हैं। इनमें अधिकांश रिटर्न वे हैं जो उद्योग-कारोबार और पेशेवर आयकरदाताओं से संबंधित हैं। चूंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार वित्तीय अनुशासन की दृढ़ता दिखा रहे है, ऐसे में यदि केंद्र को अपने घाटे को चालू वर्ष में जीडीपी के 5.9 फीसदी और 2025-26 में 4.5 फीसदी तक लाना है तो ढेर सारी लोक लुभावन योजनाओं के लिए राजकोषीय गुंजाइश सीमित है।

डा. जयंती लाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री


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