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गेस्ट फैकल्टी: एक सीमित समय तक सेवाएं; CM बोले, बेवजह विरोध कर रहे बेराजेगार, पहले समझें यह

By: Jan 18th, 2024 12:08 am

दिव्य हिमाचल ब्यूरो — गलोड़

स्कूलों में जिस गेस्ट फैकल्टी की बात हमने की है, उसे जानने के लिए पहले उसकी पॉलिसी को समझना जरूरी है। यह पॉलिसी कोई मंथली या ईयर बेसिस पर नहीं है, बल्कि एक सीमित समय के लिए सरकार ने स्कूलों या कालेज में गेस्ट फैकल्टी रखने का प्रावधान किया है। इसमें घंटों के हिसाब से उस गेस्ट फैकल्टी को मेहनताना दिया जाएगा। यह कहना है मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू का। बुधवार को नादौन विधानसभा क्षेत्र के गलोड़ में ‘सरकार गांव के द्वार’ कार्यक्रम में पहुंचे मुख्यमंत्री ने कहा कि जो बेरोजगार इसका विरोध कर रहे है,ं उन्हें दरअसल पॉलिसी के बारे में पता नही नहीं है। उन्होंने कहा कि कई बार यूं होता है कि स्कूलों में या कालेज में किसी भी विषय का शिक्षक एक सप्ताह या फिर दस दिन की छुट्टी पर चला जाता है। ऐसे में इन बड़ी कक्षाओं में संबंधित विषय की पढ़ाई प्रभावित हो जाती है। हमारी सरकार ने इस समस्या को समझा और इसका हल निकाला गया कि ऐसी स्थिति में संबंधित स्कूल के हैडमास्टर या फिर प्रिंसीपल को यह राइट होगा कि वो विकल्प के तौर पर अल्प समय के लिए मैरिट आधार पर नेट-सेट क्वालिफाई गेस्ट फैकल्टी रख पाएंगे, जिन्हें प्रति घंटे के हिसाब से मेहनताना दिया जाएगा।

जैसे ही संबंधित रेगुलर शिक्षक ड्यूटी पर हाजिर हो जाएगा तो गेस्ट फैकल्टी को हटना होगा। बेरोजगार सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे थे और 26 जनवरी को सरकार के इस फैसले का विरोध करने के लिए बड़ा प्रदर्शन करने की तैयारी कर रहे हैं। विपक्ष द्वारा सरकार गांव के द्वार कार्यक्रम को जनमंच की कॉपी बताने के बयान पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह जनमंच की तरह नहीं है। पूर्व बीजेपी सरकार ने जनमंच पर 36 करोड़ रुपए खर्च कर दिए, लेकिन हमारा इस कार्यक्रम में कोई खर्चा नहीं होगा। हम जनता की सेवा के लिए आए हैं। किस पंचायत की समस्याएं क्या हैं, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को कैसे मजबूत किया जा सकता है इस कार्यक्रम का उद्देश्य केवल यह है। गौर हो कि विपक्ष इसे जनमंच की कॉपी बता रहा है और कह रहा है कि कार्यक्रम का केवल नाम बदला गया है।

पहले लोग ढंूढते थे पटवारी, अब पटवारी ढंूढ रहे लोगों को

सीएम बोले; कोई दिक्कत है तो सरकार को लिखो, एप्लीकेशन में फोन नंबर जरूर हो

दिव्य हिमाचल ब्यूरो — गलोड़ (हमीरपुर)

राजस्व से संबंधित मामले ऐसे होते हैं, वर्षों तक फाइलों में ही दबे रहते थे। लोग पटवारियों और तहसीलों के चक्कर काट-काट कर थक जाते थे, लेकिन उनका निपटारा नहीं हो पाता था। प्रदेश सरकार ने आम जनता और खासकर ग्रामीण इलाकों से जुड़ी इस समस्या ओ समझा और महसूस किया और जाना कि राजस्व से संबंधित मामलों के चक्कर में लोगों को कितनी मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ता है। प्रदेश की जनता की इस समस्या के समाधान के लिए अब प्रत्येक माह के अंतिम दो दिनों में लंबित राजस्व मामलों के निपटारे के लिए राजस्व लोक अदालत लगाई जा रही हैं। इसमें अब तक इंतकाल के 65000 से अधिक तथा तकसीम के साढ़े तीन हजार से अधिक लंबित मामलों का निपटारा किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक समय ऐसा भी था कि ऐसे मामलों के निपटारे के लिए लोग पटवारियों को ढंूढते-ढंूढते पटवारखानों के चक्कर काटते रहते थे, लेकिन आज समय ऐसा आया कि पटवारी लोगों को ढंूढ रहे हैं कि आप बताओ की आपका कोई ऐसा मामला फंसा तो नहीं है।

सरकार गांव के द्वार कार्यक्रम के शुभारंभ के लिए नादौन विधानसभा क्षेत्र के गलोड़ पहुंचे मुख्यमंत्री ने कहा कि गलोड़ तहसील में राजस्व अदालतों में इंतकाल के लंबित 273 मामलों में से 266 तथा तकसीम के लंबित 115 में से 60 मामलों का निपटारा किया गया है। मुख्यमंत्री ने गोइस पंचायत और बढेड़ा में लोगों से मुलाकात करते हुए कहा कि यदि आपकी कोई भी समस्या है तो साधे कागज में एप्लीकेशन लिखकर मुझे भेजें या पर्सनली मुझे थें। उन्होंने कहा कि यदि किसी को लगता है कि शिमला में आकर मुझसे मिलना जरूरी है तो कोशिश करें कि शुक्रवार को ही आएं, क्योंकि उस दिन मैं केवल लोगों से ही मुलाकात करता हूं। उन्होंने लोगों से अपील की कि जब भी अपनी समस्या की एप्लीकेशन मुझे भेजे, तो एक बात का जरूर ध्यान रखें कि उसमें अपना मोबाइल फोन नंबर जरूर लिखें, ताकि मैं जरूरत पडऩे पर फीडबैक ले सकूं कि आपका काम हुआ कि नहीं।


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