भारत की युवा शक्ति और अर्थव्यवस्था

By: Jan 17th, 2024 12:05 am

भारत चीन से सबसे ज्यादा आयात करता है, जबकि चीन को निर्यात बहुत कम है…

हमारे देश भारत में कुल आबादी का 66 फीसदी 35 वर्ष से कम आयु वर्ग का है। भारत दुनिया का सबसे अधिक युवा आबादी वाला देश है। इनके लिए रोजगार के अवसर प्रदान करना एक बड़ी चुनौती है। यदि हम इस चुनौती को पार कर लेते हैं तो यह हमारे देश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण योगदान सिद्ध होगा। इस समय भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। क्रय शक्ति समानता के मामले में हमारा देश पूरी दुनिया में तीसरे स्थान पर है। इंटरनेशनल मॉनिटरिंग फंड ने मजबूत मांग के कारण भारत के लिए अपना जीडीपी विकास दर अनुमान 6.3 फीसदी कर दिया है, जबकि चीन की विकास दर घटाकर 5 फीसदी कर दी है। यह एक बहुत बड़ा अंतर है। जिस देश ब्रिटेन ने सैंकड़ों वर्षों तक हमारे देश भारत पर राज किया और हमारे देश के संसाधनों को लूटा, आज हम उस देश की अर्थव्यवस्था को पछाड़ कर आगे निकल चुके हैं। विश्व में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के बावजूद हम अभी भी गरीबी से जूझ रहे हैं। प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से हमारा देश दुनिया के 197 देशों में 142वें स्थान पर है। दुनिया की जितनी भी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं, उनमें सबसे कम प्रति व्यक्ति आय भारत के लोगों की है। अमरीका में सालाना प्रति व्यक्ति आय 80035 डॉलर है। भारतीय रुपयों में यह आय 6662822 रुपए बनती है, जबकि भारत में प्रति व्यक्ति आय केवल 2601 डॉलर है। भारतीय रुपयों में यह आय 216530 रुपए प्रति व्यक्ति है। इस प्रकार अमरीका में प्रति व्यक्ति आय भारत में प्रति व्यक्ति आय से 31 गुना अधिक है। इसी प्रकार चीन में प्रति व्यक्ति आय भारत की प्रति व्यक्ति आय से पांच गुना अधिक है। भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है और एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2030 तक भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी। लेकिन हमें प्रति व्यक्ति आय को भी बढ़ाना होगा। इसके लिए रोजगार के अधिक से अधिक अवसर पैदा करने होंगे। क्षेत्रफल के हिसाब से हमारा देश विश्व में सातवें स्थान पर और जनसंख्या के हिसाब से हमारा देश विश्व में पहले दूसरे स्थान पर था, लेकिन 2023 की जनसंख्या के अनुसार हम पहले स्थान पर पहुंच चुके हैं। भारत का क्षेत्रफल दुनिया के कुल क्षेत्रफल का 2.4 फीसदी है और हम दुनिया के 17.76 फीसदी लोगों का भरण पोषण करते हैं।

यह एक बहुत बड़ी चुनौती है, क्योंकि इतनी अधिक जनसंख्या होने से देश के संसाधनों पर बहुत अधिक बोझ पड़ता है। भारत का कुल क्षेत्रफल 3287263 वर्ग किलोमीटर है, जबकि चीन का क्षेत्रफल 9572900 वर्ग किलोमीटर है। इस दृष्टि से देखा जाए तो चीन का क्षेत्रफल भारत के क्षेत्रफल से तीन गुना अधिक है। यदि वहां जनसंख्या अधिक भी है तो उसके पास प्राकृतिक संसाधन हमारे देश से कहीं अधिक हैं। इतनी बड़ी जनसंख्या का भरण पोषण करना उसके लिए इतना मुश्किल नहीं है। हमारे देश की लगभग आधी आबादी में सभी को रोजगार देना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। इसके लिए मेक इन इंडिया को एक अभियान के रूप में लेना होगा और साथ ही भारत में बनी हुई वस्तुओं को खरीदने पर अधिक जोर देना होगा। इससे एक तो युवा लोग अपना उद्यम स्थापित करके अपना रोजगार प्राप्त कर लेंगे, दूसरा, दूसरे लोगों को भी रोजगार उपलब्ध करवाएंगे। इससे बेरोजगारी की समस्या काफी हद तक दूर हो सकती है। जब हम अपने देश में ही अधिक से अधिक उत्पादों का निर्माण करेंगे और लोग उन्हें खरीदेंगे तो इससे हमारी अर्थव्यवस्था और तेजी से आगे बढ़ेगी। हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी भारत की जनता से आह्वान किया है कि अपने देश भारत में बने उत्पादों को खरीदने को अधिक से अधिक तवज्जो दें। आजादी के 100 साल यानी वर्ष 2047 तक हमने जो विकसित भारत का सपना संजोया है, उसके लिए युवाओं का अधिक से अधिक पढ़ा लिखा होना बहुत आवश्यक है। अपनी पढ़ाई के साथ साथ उन्हें व्यावसायिक दृष्टि से भी निपुण होना होगा, क्योंकि पढऩे लिखने से कोई भी व्यक्ति ज्ञान तो प्राप्त कर सकता है, लेकिन उसके लिए कोई भी काम आरंभ करने के लिए उस विशेष क्षेत्र में कलात्मक वा व्यावसायिक रूप से निपुण होना बहुत आवश्यक है। इसके लिए सरकार को युवाओं को विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने होंगे। केवल डिग्री प्राप्त कर लेने से ही काम नहीं चलेगा। विकसित भारत का लक्ष्य हासिल कैसे किया जाए, इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘विकसित भारत /2047’ कार्यक्रम पेश कर दिया है।

इसके तहत युवाओं से आइडिया मांगे जा रहे हैं। इसे ‘विकसित भारत /2047 वाइस ऑफ दि यूथ’ नाम दिया गया है। यदि मेक इन इंडिया के तहत युवाओं को कच्चे माल की आवश्यकता पड़ती है तो अपने देश में उपलब्धता कम होने पर दूसरे देशों से मंगवाया जा सकता है। पूरी दुनिया में भारत सबसे बड़ा युवा देश है। देश का युवा वर्ग इस देश के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। किसी भी देश की उन्नति में युवाओं का बहुत बड़ा योगदान है। आजकल युवा वर्ग नशे की गर्त में डूबता जा रहा है। हम सभी का कत्र्तव्य है कि इन युवाओं को नशे से मुक्ति दिलाने में अपना सहयोग दें और उन्हें सही रास्ते पर लाने के लिए प्रेरणा दें, ताकि ये अपने देश के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदान करें। इतिहास गवाह है कि दुनिया में चाहे कोई भी आंदोलन, क्रांति या सामाजिक सुधार हुआ हो, युवाओं का उसमें बहुत बड़ा योगदान रहा। भारत की आजादी में भी युवाओं का योगदान किसी से छिपा नहीं है। युवाओं ने इस देश की आजादी के लिए हंसते हंसते अपने प्राण न्योछावर कर दिए। विकसित देशों की उन्नति में भी भारतीय युवाओं का बहुत योगदान है। कोई समय था जब भारत का युवा वर्ग अधिकतर, रोजगार की तलाश में विदेशों पर ही निर्भर रहता था। लेकिन आज स्थिति कुछ और है। युवा वर्ग अपने देश में ही रोजगार प्राप्त करना चाहता है और उसे काफी मौके मिल भी रहे हैं। यदि कुछ युवा रोजगार की तलाश में विदेशों में जा भी रहे हैं, तो उससे हमारा विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ रहा है। उन देशों की उन्नति में भी हमारे देश के युवाओं का बहुत बड़ा हाथ है। किसी भी राष्ट्र को विकसित बनाने में अधिक विकास दर का होना बहुत आवश्यक है और भारत की विकास दर इस दिशा में आगे बढ़ रही है। भारत चीन से सबसे ज्यादा आयात करता है, जबकि आयात के मुकाबले चीन को निर्यात बहुत कम है। इस व्यापार घाटे को हमें कम करना होगा। इसके लिए अपने देश में वस्तुओं के निर्माण पर अधिक जोर देना होगा, ताकि निर्यात को बढ़ाया जा सके। युवा कौशल का भरपूर इस्तेमाल करना होगा।

नरेंद्र कुमार शर्मा

स्वतंत्र लेखक


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