वृंदावन में बदला बाबा बाल आश्रम, कृष्ण भक्ति में डूबे लोग

By: Feb 7th, 2024 12:19 am

श्रद्धालुओं का उमड़ा भारी सैलाब, धार्मिक समागम के छठे दिन भजन गायिका अलका गोयल के भजनों पर झूमे भक्त

दिव्य हिमाचल ब्यूरो-ऊना
राष्ट्रीय संत बाबा बाल जी आश्रम कोटला कलां में चल रहे 13 दिवसीय धार्मिक समागम के छठें दिन प्रसिद्ध गायिका अलका गोयल ने भजनों की ऐसी ताल छेड़ी कि पंडाल में बैठे श्रद्धालू झूमने पर मजबूर हो गए। मंगलवार को बाबा बाल आश्रम वृंदावन में तब्दील हो गया। भारी संख्या में पहुंचे भक्तों के चलते पंडाल पूरी तरह से खचा-खच भरा हुआ था। पंडाल में तिल धरने के लिए भी जगह शेष नहीं बची थी। भक्तों ने कतारबद्ध होकर बाबा बाल जी महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया।

श्रीकृष्ण की महिमा का गुणगानभगवान श्रीकृष्ण की महिमा का गुणगान किया। अलका ने भजनों के माध्यम से भक्तों का अध्यात्मिक मार्गदर्शन किया। उन्होंने एक के बाद प्रस्तुत भजनों ओ सांवरे हमको तेरा सहारा है, मुबारक बेला खुशी की बेला है, नंद के अंगना में बज गई आज बधाई से भक्तजनों को झूमने पर विवश कर दिया। इस दौरान चारों तरफ कृष्ण भक्ति की ही धूम मची रही। अलका गोयल ने कहा कि व्यक्ति को हमेशा भगवान का नाम जपना चाहिए। भगवान श्री कृष्ण अपने भक्तों की रक्षा स्वयं करते हैं, लेकिन भक्तों को भी हमेशा भगवान से जुड़े रह कर मानवता के कल्याण में योगदान देना चाहिए। नश्वर संसार के परेशानी भरे हालातों से केवल प्रभु का नाम ही
हमें शांति दिला सकता है।

रासलीला से मंत्रमुग्ध हुए भक्त

वृंद्धावन से आई पार्टी ने सुबह के समय रासलीला कर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने श्रीकृष्ण-राधा जी के भजनों की ऐसी ताल छेड़ी की भक्त अपनी जगह पर खड़े होकर नाचने को विवश हो गए। इस दौरान श्रीकृष्ण व राधा जी को समर्पित झांकिया भी निकाली गई।

भागवत कथा होने से स्वर्ग बनता है घर

ऊना। श्रीभागवत कथा बार-बार सुनने से हृदय का परिवर्तन हो जाता है। जिस घर में भगवान की कथा होती है वह स्थान स्वर्ग बन जाता है। उक्त प्रवचन राष्ट्रीय संत बाबा बाल जी महाराज ने राधा-कृष्ण मंदिर आश्रम कोटला कलां में 13 दिवसीय विराट धार्मिक स्म्मेलन के तहत श्रीमद भागवत कथा के छठें दिन मंगलवार को व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि प्रात: काल प्रभु का स्मरण करते हुए उठना चाहिए। ब्रह्म मुहूर्त में उठने सेे अद्भुत लाभ प्राप्त होते हैं। संसार की सारी संपदा भी भगवान की कथा के समक्ष अत्यंत अल्प है। ईश्वर का सतत चिंतन करने से गंगा जैसी पवित्रता, हिमालय जैसी अडिगता, सागर जैसी गहराई एवं चंद्रमा जैसी शीतलता मिलती है। मन विकार रहित होकर परम सुख का अनुभव करता है। मनुष्य असंख्य सद्गुणों का भंडार है। सच्चाई तो यह है कि मानव ईश्वर की सर्वोश्रम कृति है। इस मौके पर भारी संख्या में भक्तजन उपस्थित रहे।


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