संसार में बंधन का कारण

By: Feb 10th, 2024 12:20 am

श्रीश्री रवि शंकर

वह क्या है, जो आपको वास्तविकता से, सत्य से और परमात्मा से दूर रखता है। वे चार प्रकार के भय या इच्छाएं हैं, जो आपको संसार से बांधते हैं। इन्हें कहा एषणाएं जाता है और ये हैं पुत्रेष्णा, वित्तेष्णा, लोकेष्णा और जीवेष्णा। पहली है पुत्रेष्णा माने अपने बच्चों से लगाव। हमेशा अपनी संतान के विषय में सोचते रहना। कल, जब वे बड़े होंगे और उनके पास आपके लिए समय नहीं होगा, तो आपका दिल टूट जाएगा। वास्तव में, वे किसके बच्चे हैं? वे भगवान के बच्चे हैं। आप केवल उनके आने का द्वार मात्र थे। लेकिन लोग कहते हैं कि ओह! मेरे बच्चे, मेरे बच्चे। यह आपके मन को ज्वरित कर देता है, यह आपके मन को इतना अवरुद्ध कर देता है कि आप वास्तव में यह नहीं देखते कि उनके लिए क्या अच्छा है। इस एष्णा के कारण लोगों को बहुत सी समस्याएं और कष्ट होते हैं। फिर आती है वित्तेष्णा, पैसे की इच्छा।

हम एक वृद्ध महिला को जानते हैं जो कहती थी, यदि कोई दिमाग से बीमार है, तो उन्हें बहुत से सिक्के दे दो। वे गिनते रहेंगे और बीमारी चली जाएगी। वित्तेष्णा पैसे की भूख है। आपके पास कितना पैसा हो सकता है? आप इसके साथ क्या करना चाहते हैं? अच्छा मान लीजिए आपके पास 30 मिलीयन डॉलर हैं? आप इसके साथ क्या करेंगे? क्या आप अपने जीवन में 30 मिलीयन डॉलर का आनंद ले सकते हैं? पैसा आवश्यक है मगर पैसे की लालसा आप पर और आपके जीवन पर इस प्रकार हावी हो सकती है कि आप वास्तविकता को देखने, प्रेम को पहचानने और उससे परे कुछ देखने में असमर्थ होंगे। वित्तेष्णा आपको बांधती है। केवल एक खाता पुस्तिका आपके मन को बैंक में रखती है। यह आपको झूठी सुरक्षा देती है। पैसे के विषय में इतनी चिंता क्यों करनी है।

विश्वास रखें और कहिए मुझे जो चाहिए वो प्रदान किया जाए और फिर काम करें, उसमें अपना सौ प्रतिशत डालें। देखें क्या होता है, जो आना है वह आएगा और जो खर्च होना है वह खर्च होगा। उसके बाद आती है लोकेष्णा। आपको पैसे की भी इतनी परवाह नहीं हो सकती, लेकिन आप इस बात की बहुत परवाह करते हैं कि लोग मेरे बारे में क्या सोचेंगे?

आप दुनिया में हर व्यक्ति के द्वारा प्रशंसा चाहते हैं? आप प्रसिद्ध होना चाहते हैं, कुछ बनना चाहते हैं ताकि आपका नाम आगे आने वाली पीढिय़ों तक बना रहे। प्रसिद्ध लोगों के साथ क्या हो रहा है? उनकी प्रसिद्धि हर समय एक जैसी नहीं रहती? इस कारण वे कई बार दूसरों से ईष्र्या करने लगते हैं। लोकेष्णा आपमें भय उत्पन्न करती है और आपको नीचे खींचती है। अब आती है जीवेष्णा, लंबे समय तक जीने की चाह। शारीरिक रूप से अमर बनने की चाह। लेकिन भौतिक शरीर को अमर क्यों बनाना है? प्रकृति आपको बार-बार एक नया शरीर प्रदान कर रही है। जिन लोगों ने अपना जीवन पूरी तरह नहीं जिया है, उनमें लंबे समय तक जीने की लालसा होती है। जिन लोगों को असाध्य रोग हैं, वे मरना नहीं चाहते।

वे लंबे समय तक जीने के लिए ललायित रहते हैं। इसका परिणाम क्या है? यह उन्हें इस क्षण का आनंद लेने, मुक्त होने की अनुमति नहीं देता है और यह जीवन में तनाव उत्पन्न करता है। एक स्वस्थ व्यक्ति भी मर जाएगा और एक बीमार व्यक्ति भी मर जाएगा। हर शरीर मर जाएगा।

यह जीवन का एक अपरिहार्य चरण है। यह एक प्रारंभ और एक अंत है। यह होने जा रहा है और यह होगा। इसका अर्थ यह नहीं कि आपको अपने शरीर की देखभाल करने की आवश्यकता नहीं है। आपको इस शरीर की पूरी देखभाल करनी चाहिए, लेकिन बिना ज्वर के, बिना एष्णा के। जब ये चार प्रकार के भय लुप्त हो जाते हैं, तब आप परमात्मा के समीप बैठने के योग्य हैं।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App