इनसानी दिमाग में फिट होगा कम्प्यूटर, कल्पना को सच्चाई में बदलने की तैयारी में एलन मस्क

By: Feb 15th, 2024 10:12 pm

दिव्य हिमाचल ब्यूरो— नई दिल्ली

कैसा हो अगर इनसानी दिमाग में कम्प्यूटर फिट हो सके और फटाफट डाटा ट्रांसफर, सेव या डिलीट किया जा सके? यह कल्पना किसी साइंस फिक्शन फिल्म की नहीं, बल्कि अमरीकी अरबपति एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक की है। इस कंपनी का मकसद ही इनसानी दिमाग में एक कम्प्यूटर चिप फिट करना है और जल्द ही यह कल्पना सच्चाई में बदलने वाली है। लंबे वक्त तक जानवरों के दिमाग में कम्प्यूटर चिप की टेस्टिंग करने के बाद पिछले साल न्यूरालिंक को अमरीकी रेग्युलेटर्स की परमिशन मिली है और इनसानी दिमाग में कम्प्यूटर चिप इंप्लांट अब दूर नहीं। कंपनी का दावा है कि इस इंप्लांट के जरिए इनसानी दिमाग को कम्प्यूटर से जोड़ा जा सकेगा और लोग सोचने भर से कम्प्यूटर कमांड्स दे सकेंगे।

न्यूरालिंक इनसान के दिमाग में जो कम्प्यूटर चिप लगाने जा रहा है, उसका आकार बेहद छोटा है और मौजूदा प्रोटोटाइप एक सिक्के जितना है। हालांकि कंपनी के ऊपर जानवरों को नुकसान पहुंचाने के आरोप भी लगे हैं और एक रिपोर्ट की मानें तो साल 2018 के बाद इस इंप्लांट के टेस्टिंग के दौरान लगभग 1,500 जानवरों की मौत हुई है। एलन मस्क का दावा है कि सफल टेस्टिंग के बाद चिप का इस्तेमाल उन मरीजों के साथ किया जाएगा, जो पैरालिसिस या अन्य अंगों की अक्षमता संबंधी बीमारियों से जूझ रहे हैं। चिप की मदद से ऐसे लोग कम्प्यूटर व अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज चला पाएंगे। इसके अलावा बोलने या सुनने में अक्षम लोगों को भी चिप की मदद से संवाद करने का विकल्प मिलेगा।

न्यूरालिंक चिप पर एक्सपर्ट की राय

एक्सपर्ट विनोद के सिंह की मानें तो बेशक न्यूरालिंक से जुड़े बदलाव भविष्य की नींव रखते हैं, लेकिन इससे होने वाले दुष्प्रभाव भी एक गहरी चिंता का विषय है, जिनको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। खासकर शुरुआती क्लीनिकल ट्रायल में कंपनी को खास ध्यान रखना होगा कि किसी तरह का संक्रमण या बाकी नुकसान रिक्रूटर्स को न हो। इसके अलावा कम्प्यूटर से जुड़ाव के चलते ऐसे चिप और इसके नेटवर्क की हैकिंग का खतरा भी बना रहेगा। विनोद भी न्यूरालिंक को सकारात्मक कदम मानते हैं और उनका मानना है कि तकनीकी दुनिया में इनसान का मशीन से जुड़ाव कई प्रक्रियाओं को आसान बना सकता है। इसके अलावा खासकर ऐसे लोग, जो लकवा या अन्य बीमारियों से पीडि़त हैं, उनके लिए न्यूरालिंक की सफलता वरदान साबित हो सकती है।


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