निवेश प्राथमिकताएं

By: Feb 5th, 2024 12:05 am

सिद्ध होना था कि हिमाचल निवेश के काबिल है और अगर इसी उद्देश्य से अरब हैल्थ एक्सपो से प्रदेश के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन व उनकी टीम परिणाम ला रही है, तो यह सरकार के प्रयत्नों में मील पत्थर साबित होगा। दुबई से कुल 2345 करोड़ के निवेश का अर्थ सर्वप्रथम बल्क ड्रग पार्क का दायरा बढ़ा रहा है, जबकि इससे मेडिकल डिवाइस पार्क का औचित्य भी सलामत हुआ है। ड्रग पार्क के लिए 1100 करोड़ तथा डिवाइस पार्क के 295 करोड़ के अलावा हिमाचल की ग्रीन एनर्जी में आ रहे 350 करोड़ निवेश की प्राथमिकताओं का उदय करते हैं। हैल्थ केयर के लिए 250 करोड़ व पर्यटन व आयुष के तहत 350 करोड़ की डील के मायने हिमाचल में विदेशी निवेश की राहें खोल रहे हैं। हालांकि निवेश के लक्ष्य में छह हजार करोड़ तक पहुंचने की ख्वाहिश अभी बाकी है, फिर भी खबर का उत्साह कहीं तो संसाधन विहीन हिमाचल को आशान्वित करता है। चिन्हित क्षेत्रों में निवेश का सहयोग राज्य को इस तरह परिभाषित भी कर रहा है कि आने वाले समय में पर्वतीय प्रदेश तक इन्हीं राहों से संसाधन पहुंच सकते हैं। हिमाचल में पिछले कुछ दशकों से निजी या अंतरराष्ट्रीय निवेश की जगह ढूंढी जा रही है, लेकिन निरंतरता की कमी के कारण हर सरकार अपने-अपने तौर तरीके आजमाती रही और सियासत के कारण भी परियोजनाएं निरस्त होती रहीं। मसलन फोर्ड कंपनी ने मनाली स्की विलेज की हामी भरी, लेकिन राजनीतिक कारणों से इस महत्त्वाकांक्षी योजना का श्रीगणेश नहीं हो पाया। कई बार एसई जेड के मार्फत संकल्प जोड़े गए या बायोटेक्नालोजी पार्क की स्थापना से निवेश लाने की इच्छा दिखाई दी, लेकिन शून्यता ही हाथ लगी। बहरहाल बल्क ड्रग पार्क और मेडिकल डिवाइस पार्क अपनी ढांचागत सुविधाओं के कारण निवेशक का ध्यान आकृष्ट कर सकते हैं। इसी तरह प्रदेश में आईटी सेक्टर के लिए पार्क स्थापित किए जाते हैं, तो कई नामी कंपनियां यहां आना चाहेंगी।

सरकार पहले ही कांगड़ा एयरपोर्ट विस्तार के जरिए कनेक्टिविटी का ऊंचा डग भर चुकी है, जबकि विभिन्न फोरलेन परियोजनाओं के मार्फत हिमाचल का आर्थिक नक्शा उन्नत हो रहा है। ऐसे में निवेशक के लिए जमीन, पानी और बिजली की उपलब्धता के साथ-साथ प्रशिक्षित-शिक्षित मानव संसाधन की आवश्यकता भी रहेगी। हिमाचल में धारा 118 के तहत अनुमतियां तथा पर्यावरणीय दिक्कतों से अगर छूट मिलती है, तो निवेशक के लिए पहाड़ चढऩा मुश्किल नहीं। होना तो यह चाहिए कि तमाम फोरलेन की परिधि में कम से कम आधा दर्जन निवेश केंद्र विकसित किए जाएं। राज्य में थीम, मनोरंजन पार्क के अलावा फिल्म सिटी, सेटेलाइट टाउन, ट्रांसपोर्ट नगर व साइंस सिटी बसाने जैसी परियोजनाएं सीधे पर्यटन को सशक्त करेंगी, जबकि साहसिक एवं वाटर स्पोट्र्स में भी काफी संभावना है। पैराग्लाइडिंग की दृष्टि से बीड़-बिलिंग का उदय अब एक वैश्विक स्थल के रूप में चर्चित हो रहा है। ऐसे में जबकि हम निवेश के लिए छलांगें मार रहे हैं, प्रदेश को अपने रुचि के क्षेत्र तय कर लेने चाहिएं। बहुत पहले डा. वाईएस परमार ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में परवाणू जैसे औद्योगिक नगर के अलावा कालाअंब से संसारपुर टैरस तक कई परिसर विकसित किए। बीबीएन की तर्ज पर बीबीटी तथा सीमांत क्षेत्रों में औद्योगिक गलियारे का विकास होता है, तो उत्पादन क्षेत्र में राज्य का कर ढांचा भी मजबूत होगा। विदेशी निवेश के साथ स्थानीय निवेश का तालमेल भी जरूरी है और इसके लिए हिमाचल के तमाम व्यापारिक, पर्यटन, औद्योगिक तथा परिवहन संगठनों से राय-मशविरा करके सरकार निवेश मैत्री वातावरण बना सकती है।


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