आर्थिक भेदभाव के खिलाफ जंतर-मंतर पर आप, केरल-कर्नाटक के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए केजरीवाल-मान

By: Feb 9th, 2024 12:06 am

केरल-कर्नाटक के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल-भगवंत सिंह मान

दिव्य हिमाचल ब्यूरो—चंडीगढ़

केंद्र सरकार द्वारा विपक्ष शासित राज्यों के साथ किए जा रहे आर्थिक भेदभाव के खिलाफ दिल्ली में जंतर-मंतर पर कर्नाटक और केरल के मुख्यमंत्रियों के विरोध प्रदर्शन को आम आदमी पार्टी ने भी अपना समर्थन दिया है। गुरुवार को पार्टी की तरफ से दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान पहुंचे और केंद्र के खिलाफ अपनी एकजुटता दिखाई। सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केरल के मुख्यमंत्री पीनराई विजयन का धन्यवाद किया और कहा कि उन्होंने देश के संविधान, लोकतंत्र और संघीय ढांचे को बचाने के लिए महत्त्वपूर्ण पहल की है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में केंद्र सरकार का राज्यों के साथ रवैया बेहद चिंताजनक है, अभी बजट के दिन चल रहे हैं। आज हम अपने-अपने दफ्तरों में बैठकर बजट बना रहे होते, लेकिन हमें अपना हक मांगने के लिए जंतर-मंतर पर आना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पंजाब कृषि राज्य है, राज्य के किसान हर साल 182 लाख मीट्रिक टन चावल पैदा कर कर देश को देते हैं। फिर भी केंद्र सरकार ने हमारा ग्रामीण विकास फंड (आरडीएफ) का 5500 करोड़ रोक रखा है। इस फंड का उपयोग मंडियों और मंडियों को जाने वाली सडक़ों को बनाने और मरम्मत कार्यों में होता है।

हमें इसके लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है। उन्होंने कहा कि एक तरफ केंद्र हमारे फंड रोक रखे हैं और दूसरी तरफ केंद्र द्वारा नियुक्त राज्यपाल हमें रोजाना के सरकारी कामकाज में परेशानियां उत्पन्न करते हैं। पिछली बार उन्होंने पंजाब विधानसभा सत्र को ही गैरकानूनी बता दिया था। फिर हमें सत्र को बीच में बंद करके सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा। वहां पहली तारीख पर ही उन्हें कोर्ट ने फटकार लगाई और हमें सत्र बुलाने की मंजूरी दी। जिन राज्यों में भाजपा विपक्ष में नहीं होती, वहां भाजपा के राज्यपाल विपक्ष का काम करते हैं। वह हर रोज नई चि_ी सरकार को लिखते हैं। मैंने कभी नहीं देखा कि किसी भाजपा शासित राज्यों गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के गवर्नर ने किसी मुख्यमंत्री को कोई चि_ी लिखी हो। राज्यपाल मामले में उच्चतम न्यायालय ने हमारे पक्ष में फैसला देते हुए कहा कि लोकतंत्र में जनता द्वारा चुने हुए लोगों को ही शासन करने का अधिकार है। राज्यपाल को सरकार के कामकाज में दखलंदाजी नहीं करनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि राजपाल के पास विधानसभा से पारित हुए विधेयकों को रोकने का अधिकार नहीं है। केरल के राज्यपाल मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा ही फैसला सुनाया है, इसी तरह चंडीगढ़ में भी भाजपा ने तानाशाही की है। धक्केशाही करके हमारे आठ पार्षदों के वोट रद्द कर दिए और अपना मेयर बना लिया। सुप्रीम कोर्ट भी भाजपा द्वारा नियुक्त पीठासीन अधिकारी का फर्जीवाड़ा देखकर हैरान रह गया।


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