अघंजर महादेव

By: Mar 9th, 2024 12:22 am

देवभूमि हिमाचल प्रदेश की धौलाधार की तलहटी कांगड़ा घाटी के धर्मशाला खनियारा में एक ऐसा मंदिर है, जहां पर 500 वर्षों से बाबा श्री गंगा भारती जी महाराज का अखंड धूणा जल रहा है। इस स्थान पर ही बाबा ने तपस्या की थी। इस मंदिर को अघंजर महादेव के नाम से पुकारा जाता है। कहा जाता है कि प्राचीन ऐतिहासिक अघंजर महादेव का इतिहास बाबा गंगा भारती, महाराजा रणजीत सिंह और पांडव पुत्र धनुर्धर अर्जुन से जुड़ा है। इस मंदिर के संदर्भ में विभिन्न दंतकथाएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि महाराजा रणजीत सिंह उदर रोग से ग्रस्त थे। एक दिन जब महाराजा रणजीत सिंह ने अपनी पीड़ा बाबा गंगा भारती जी को बताई, और उन्होंने उनका इलाज किया, जिससे महाराजा पूरी तरह से ठीक हो गए। कहा जाता है कि बाबा ने यहां पर पानी की तीन चूलियां पिलाकर महाराजा का उदर रोग ठीक किया था।

इससे खुश होकर महाराजा रणजीत सिंह ने बाबा जी को अपना दुशाला भेंट किया। बाबा गंगा भारती ने इस दुशाले को अपने हवन कुंड में डाल दिया। इस पर महाराजा रणजीत सिंह हैरान हुए और थोड़ी ही देर बाद बाबा ने सैकड़ों दुशाले उस धूणे से एक जैसे निकाल दिए, और कहा कि इनमें पहचान कर अपना दुशाला उठा लो। बाबा का यह चमत्कार देखकर महाराजा रणजीत सिंह अचंभित रह गए और बाबा जी की शरण में गिर गए। इसके बाद महाराजा रणजीत सिंह ने कुछ भूमि बाबा जी को मंदिर बनवाने के लिए दे दी। यह भी कहा जाता है कि इसी स्थान पर बाबा गंगा भारती जी ने जीवित समाधि ली थी। मंदिर परिसर में ही बाबा जी का समाधि स्थल भी मौजूद है। एक अन्य दंतकथा के अनुसार इस स्थान पर ही पांडव पुत्र अर्जुन को भगवान श्रीकृष्ण ने भोलेनाथ की उपासना करने को कहा। अर्जुन ने इसी स्थान पर बैठकर घोर तप करके भोलेनाथ को प्रसन्न किया और उनसे दिव्य शक्तियां और पाशुपति अस्त्र प्राप्त किया।

कहा जाता है कि भोलनाथ कैलाश पर्वत के लिए इसी रास्ते से होकर जाया करते थे, और अर्जुन की तपस्या से खुश होकर भोलेनाथ ने उन्हें विजयश्री का आशीर्वाद दिया और दिव्य शक्तियां प्रदान करके अर्जुन को शक्तिशाली बना दिया। इसके बाद इस स्थान की महत्ता और बढ़ती ही गई। वर्तमान में इस मंदिर का जीर्णोद्धार भी किया गया है। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं व साधु-संतों के लिए लंगर व ठहरने की व्यवस्था भी है। इसके लिए एक नए सराय भवन का निर्माण व मंदिर का जीर्णोद्धार भी एडीबी के प्रोजेक्ट के तहत करवाया गया है। अघंजर महादेव में जहां द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन करवाए जाते हैं, तो वहीं यहां बाबा भारती का वो अखंड धूणा भी है, जो सदियों से सभी के आकर्षण का केंद्र है। कहते हैं कि इस आखंड धूणे को आज दिन तक बुझते हुए किसी ने नहीं देखा, और न ही जलाते हुए, यह छह सौ साल से ही जलता चला आ रहा है, जो कि सभी को हैरत में डालने के लिए काफी है। इस धूणे को लोग महज बाहर से ही देख सकते हैं, अंदर किसी को भी जाने की इजाजत नहीं दी जाती है। जब धूणे में लकड़ी खत्म होती है, तो उसे महज धूणे में झौंका जाता है, फिर धूणे के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। यहां बाबा गंगा भारती की छह सौ साल पुरानी गद्दी भी ज्यों की त्यों बरकरार है। जिसके दर्शन करके लोग खुद को धन्य मानते हैं, वहीं साथ ही बाबा गंगा भारती की समाधि भी बनी हुई है, जहां लोग पहले दर्शन कर फिर भगवान शंकर के दर्शनों के लिए आते हैं।

-नरेन कुमार, धर्मशाला


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